देश में संक्रमितों की संख्या पांच हजार के पार, इटली की राह पर दिखाई दे रहा भारत, तेजी से पैर पसार रहा वायरस


भारत में कोरोना वायरस तेजी से अपने पैर पसार रहा है। देश में कोरोना संक्रमण के मामले चार दिन में दोगुने हो गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में 30 फीसदी मरीज जमाती हैं।


आंकड़ों को देखें तो मरीजों से संख्या 100 से 1000 पहुंचने में करीब 15 दिन का समय लगा। लेकिन 14 मार्च के बाद से संक्रमण ने तेजी से रफ्तार पकड़ी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 9 दिन में ही कोविड-19 से संक्रमितों का आंकड़ा 1,000 से बढ़कर 5,000 पहुंच गया। इतना ही नहीं इन 5,000 मामलों के साथ ही भारत  में कोरोना से मृत्यु दर अन्य देशों की तुलना में अधिक है।


भारत के मामले में पहले ये कहा जा रहा था कि यहां संक्रमण का खतरा कम होगा क्योंकि कोरोना का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं ने ये पाया कि ये वायरस खासकर बुजुर्गों पर हमला करता है और भारत की ज्यादातर आबादी युवा है। लेकिन नतीजे इसके उलट थे। भारत में कोरोना से संक्रमितों में युवाओं का प्रतिशत 42 था। आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से संक्रमितों में 42 फीसदी मरीजों की उम्र 21 से 40 साल के बीच है।


आंकड़ों से समझने की कोशिश 


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 30 मार्च तक कोरोना वायरस के 1,071 मामलों की पुष्टि हुई थी, जो 8 अप्रैल की शाम तक बढ़कर 5,200 से ज्यादा हो गई। इस तरह केवल 9 दिनों में ही भारत में कोरोना वायरस के मामलों में करीब पांच गुना बढ़ोत्तरी हो गई।


महज 5,000 से अधिक मामलों के साथ ही भारत में कोरोना से मृत्युदर दुनिया में आठवें स्थान पर है। अमेरिका, स्पेन, चीन, फ्रांस और ईरान जैसे इस वायरस से भयानक रूप से प्रभावित देशों में 5,000 मामलों को पार करने के बाद भारत की तुलना में कम मौतें हुईं।


5,000 संक्रमितों के साथ स्वीडन में मौत का आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा रहा। 3 अप्रैल तक स्वीडन में 282 मौतों के साथ कोरोना वायरस के 5,466 मामलों की पुष्टि हुई थी। करीब एक करोड़ की आबादी वाले इस देश में कोविड-19 के कुल 7693 मामले सामने आए हैं। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि स्वीडन ने अन्य यूरोपीय देशों की तरह सख्त लॉकडाउन के नियमों को लागू नहीं किया गया। लेकिन भारत में लॉकडाउन लगाने की बाद भी मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।




  • आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि भारत में कोरोना से रोजाना की औसत मृत्यु दर तकरीबन 15 से 20 फीसदी है। 1 अप्रैल को भारत में कोरोना से मृत्यु दर 28.16 फीसदी थी।




  • 5000 लोगों पर स्वीडन में मरने वालों का आंकड़ा 282 था। नीदरलैंड में 276, इटली जो कि कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित है यहां 5000 लोगों पर 234 लोगों की जान गई। ब्रिटेन में 233 लोगों की मौतें हुईं, वहीं अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में भारत में कोरोना से मृत्यु दर के आंकड़े परेशान कर सकते हैं।




  • भारत में 5000 संक्रमितों में 149 मौतें हुईं। फ्रांस में 148, ईरान में 145, स्पेन में 136 लोगों की जान गई। चीन से दुनियाभर में फैला ये वायरस यहां ज्यादा तबाही नहीं मचा पाया। मृत्युदर में भारत चीन से आगे है।




  • आंकड़ों पर गौर करें तो 5000 लोगों पर चीन में 132 मौतें ही हुईं। अमेरिका में जहां 100 मौतें हुई वहीं दक्षिण कोरिया में केवल 32 लोगों ने ही इस महामारी से जान गवाई। जर्मनी कोरोना से मृत्युदर में सबसे निचले पायदान पर है। इसके पीछे वहां की सरकार की कामयाब रणनीति है।




  • शोधकर्ताओं की मानें तो कोरोना वायरस से संक्रमित प्रति एक हजार व्यक्तियों में से नौ व्यक्तियों की मौत होने की आशंका है। दुनिया भर में इस समय कोरोना वायरस से जुड़ी मृत्यु दर अलग-अलग हैं।




  • मृत्यु दर इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपको किस तरह का ट्रीटमेंट मिला है। और कोई व्यक्ति ये बीमारी फैलने के किस स्तर पर संक्रमित हुआ है।


    भारत में मृत्युदर अधिक होने के क्या कारण हे


     


     



  • भारत में कोविड-19 से जिन लोगों की मौत हुई, उनमें से ज्यादातर मामलों में मरीज डायबिटीज और हाइपरटेंशन (बीपी) की समस्या से पीड़ित थे। ऐसे में भारत के लिए खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 9.4 फीसदी लोगों को डायबिटीज है। 12 फीसदी शहरी आबादी और करीब 8 फीसदी ग्रामीण आबादी इन दोनों रोगों की चपेट में है। और ऐसे लोगों को कोरोना का खतरा ज्यादा है।



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    चीन के 44 हजार केसों के अध्ययन के बाद यह बात सामने आई कि जिन मरीजों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी या सांस रोग था, उनमें मृत्यु की आशंका पांच गुना ज्यादा थीं। भारत में मामले में भी लगभग यही देखने को मिला।

     




  • इस वायरस से दुनियाभर में 15,31,192 लोग संक्रमित हैं। भारत में 6276 संक्रमितों के साथ 186 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि 569 मरीज ठीक भी हुए हैं।