दुनिया में कोरोना लील रहा करोड़ों रोजगार, भारत में 14 करोड़ ने गंवाया काम, यूएस में भी कोहराम


उत्पाद घटने, औद्योगिक गतिविधियां रुकने और सामान्य खरीद-फरोख्त व घूमने-फिरने से बचने का असर करोड़ों लोगों पर पड़ा है। कोरोना की वजह से दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शुमार देशों में करोड़ों नागरिक रोजगार गंवा रहे हैं। लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियां सीमित होने के बाद इसका असर अब नजर आने लगा है। 
इन देशों के श्रम, रोजगार, सांख्यिकी और उद्योग विभागों द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आने वाले महीनों में भी हालात इसी तरह विकट बने रह सकते हैं। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती बेरोजगारी पर रिपोर्ट-
भारत : सबसे खराब हालात, 26% हुई बेरोजगारी, 14 करोड़ ने गंवाया काम


सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमईआई) ने दावा किया है कि अप्रैल के तीसरे हफ्ते में देश में बेरोजगारी दर 26.2% पहुंच गई है। यह मार्च में 8.4% थी। खास बात है कि ग्रामीण भारत में कभी भी बेरोजगारी दर दहाई अंक तक नहीं पहुंची थी, लेकिन यह भी 26.7% हो चुकी है। यह शहरों में 25.1% है। आकलन है कि अब तक देश में 14 करोड़ लोग अपना काम गंवा चुके हैं। कोरोना  वायरस की वजह से कृषि गतिविधियों का थम जाना इस का कारण माना जा रहा है।


गांवों में पहली दफा शहरों से ज्यादा हुई बेरोजगारी



सीएमईआई के अनुसार जनवरी में देश में 41.1 करोड़ लोग रोजगार पा रहे थे, जो मार्च खत्म होने तक 39.6 करोड़ रह गए। सबसे ज्यादा नुकसान असंगठित क्षेत्र में हुआ है। श्रमिक वर्ग में 1.5 करोड़ को रोजगार मिल रहा था, जो 90 लाख ही रह गया है। 


नोबल पुरस्कार विजेता इस्थर डफलो और अभिजीत बेनर्जी के अनुसार भारत में ज्यादा प्रभावी ढंग से राहत पहुंचाने की जरूरत है, ताकि रोजगार की तलाश में घर छोड़ चुके लोगों को बचाया जा सके।सीआईआई के सर्वे के अनुसार, 52% कंपनियां मान रही हैं कि नौकरियों में 30% तक कमी आ सकती है।


अमेरिका : पहले रेस्तरां, होटलों में काम छूटा...अब फैक्टरियों में कोहराम


कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से ठहर गई अमेरिका की आर्थिक गतिविधियों से बीते दो हफ्तों में 96 लाख अमेरिकी नागरिकों ने अपनी नौकरियां गंवा दीं और सरकार की शरण में हैं। यहां की सरकार के अनुसार बेरोजगारी सुविधाओं के लिए बीते पांच हफ्ते में 2.80 करोड़ लोग दावा कर चुके हैं। होटल-रेस्तरां में नौकरियां खत्म होने के बाद अब फैक्टरियों व निर्माण इकाइयों पर असर शुरू हो गया।


यहां बेरोजगारी दर 16 प्रतिशत पहुंच चुकी है जो 1933 के महामंदी काल के 24.9 प्रतिशत के बाद सर्वाधिक है। अप्रैल खत्म होने तक बेरोजगारी 20 प्रतिशत पहुंच सकती है। हर तीन में से एक को वेतन कटने का डर है। पीयू रिसर्च सेंटर के अनुसार, हर तीन में से एक अमेरिकी के वेतन में कटौती होगी या नौकरियाें से निकाला जा सकता है।


अनुमान है कि तीन महीने तक वायरस का असर रहता है तो तीन करोड़ अमेरिकी अपनी नौकरियां गंवा सकते हैं।


ब्रिटेन : हर पांच में से एक नागरिक की नौकरी पर संकट, स्टोर्स में 20 लाख होटल में 13 लाख नौकरियां खत्म


242 साल पुराने यूनाटेड किंगडम के मल्टीनेशनल डिपार्टमेंटल स्टोर डेबनहम्स के इंग्लैंड में ही स्थित 142 स्टोर बंद हैं। उसके 22 हजार वर्करों को सरकार की फर्लान्ग स्कीम के तहत पैसा दिया जा रहा है, ताकि उनकी नौकरी न जाए।


फिर भी सात स्टोर हमेशा के लिए बंद कर दिए गए हैं। एसेक्स विश्वविद्यालय के शोध केे अनुसार हर पांचवे नौकरीपेशा की नौकरी पर संकट है। खुदरा क्षेत्र में 20 लाख (48%), होटल, पब, कैफे व रेस्तरां में 13 लाख (75%) और शिक्षण क्षेत्र में 8 लाख नौकरियां जा चुकी हैं। 10 लाख नौकरियां सर्विस सेक्टर से जाने की कगार पर हैं। 


बेरोजगारी दर दोगुनी : रिसर्च एजेंसियों का दावा है कि लॉकडाउन के बाद बेरोजगारी दर दोगुनी हो चुकी है। 33% उद्योग बंद हो चुके हैं। जीडीपी में 35% कमी अनुमान है, इतनी गिरावट विश्व युद्ध के बाद 1920-26 में और महामंदी के बाद 1929-33 में भी नहीं थी। 


जापान : फरवरी में 4.10 लाख बेेरोजगार


साल 2003 में जापान में 8897 लोगों ने महज इसलिए आत्महत्या कर ली थी क्योंकि वे अपने जीवन स्तर को ऊपर नहीं उठा पा रहे थे। उस वर्ष देश की बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत थी। 2019 में यह 2.4 प्रतिशत रही और आत्महत्याएं 3395, यानी आधी से कम हुईं।


जापान में बेरोजगारी दर में हर एक प्रतिशत वृद्धि का मतलब दो हजार लोगों की मौत है। फरवरी में यहां 4.10 लाख लोगों को नौकरी से निकाला गया। जनवरी में यह आंकड़ा 3.70 लाख था। 


जर्मनी : 6.50 लाख उद्योगों ने सरकार से मांगी मदद


यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहे जाने वाले जर्मनी में लॉकडाउन से थम गई आर्थिक गतिविधियों के चलते 6.50 लाख उद्योगों ने सरकार से मदद मांगी है। सरकार के मुआवजा कार्यक्रम ‘कुर्जारबेट’ के तहत इन कंपनियों को आमदनी घटने पर कर्मचारियों के कार्य घंटे कम करने की एवज में अतिरिक्त भुगतान के लिए पैसा मिलता है।


ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। क्षेत्र में एक लाख लोगों की नौकरियां जाने का अनुमान हैं। कार उत्पादकों से सप्लायर तंत्र के बीच 8.30 लाख नौकरियां भी घट सकती हैं। कार उत्पादन भी 15% घटा है, इसके मायने हैं कि 38 लाख कारें कम बनेंगी।  


द.कोरिया : सर्वाधिक नौकरियां घटीं


अब तक लाजवाब करने वाले दक्षिण कोरिया में भी मार्च में 1.95 लाख लोगों की नौकरियां गईं। यह मई 2009 के बाद किसी एक महीने के लिए सर्वाधिक आंकड़ा है। 4.20 लाख अस्थायी नौकरियां भी घट गईं। मार्च में देश के कुल 2.66 करोड़ लोग बेरोजगार थे।