इम्युनिटी के बारे में हम सभी ने सुना है लेकिन हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) हमारे इम्यून सिस्टम की वह खूबी है, जो हमें किसी महामारी से बचाने और हमारे शरीर को उसके संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है...
कोरोना से जुड़ी मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (MIT)की ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, भले ही अभी तक Corona Virus के लिए कोई वैक्सीन या कारगर इलाज नहीं खोजा जा सका है। लेकिन पूरी दुनिया में इस वायरस से लड़ने के लिए तीन तरीके ही मुख्य रूप से असरकारी देखे जा रहे हैं। आइए, जानते हैं इनके बारे में...
कोरोना वायरस से निजात पाने के जो सबसे कारगर तरीके अभी तक सामने आए हैं, उनमें पहला तरीका है लॉक डाउन। इसके जरिए इस वायरस का संक्रमण रोका जा सकता है। जैसे कि हमारे देश में पूरी तरह कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसके साथ ही अग्रेसिव टेस्टिंग भी एक तरीका है। ताकि ट्रांसमिशन को पूरे तरीके से रोका जा सके।
क्योंकि यह वायरस पूरे विश्व में फैल चुका है इसलिए लॉक डाउन की स्ट्रेटजी कारगर साबित होने के चांस बहुत कम हो गए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब लॉक डाउन से केवल कोरोना की संक्रमण दर को धीमा किया जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य सुविधाओं की उचित व्यवस्था की जा सके।
आखिर ये हर्ड इम्युनिटी क्या है?
कोरोना से पूरी तरह निजात पाने के लिए वैक्सीन बनाने और इसे आम लोगों तक पहुंचने में करीब 1 से डेढ़ साल लग सकता है। वैक्सीन संक्रमण से लड़ने के लिए हर्ड इम्युनिटी बनाती है। अब आपके मन में यह सवाल आना जायज है कि आखिर ये हर्ड इम्युनिटी क्या है? तो चलिए इस पर बात करते हैं...
तीसरा तरीका यह है कि अगर वायरस का संक्रमण लगातार होता रहता है तो बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं। इस दौरान कई लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के बल पर इस संक्रमण को हरा देते हैं, इन्हें संक्रमण के प्रति इम्यून होना कहा जाता है। जब इम्यून लोगों की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है तो वायरस अपना संक्रमण नहीं फैला पाता।
अगर कोरोना वायरस को ना रोका जाए तो अनुमान के मुताबिक, यह वायरस एक साल के अंदर दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी को संक्रमित कर देगा। इस स्थिति में इंसानों के अंदर खुद-ब-खुद हर्ड इम्युनिटी आ जाएगी, जो इस संक्रमण के फैलाव को रोक देगी। लेकिन इस दौरान मानव जाति को बड़े स्तर पर हानि होगी। यही वजह है कि दुनियाभर में कई देशों में लॉक डाउन या कर्फ्यू लगा दिया गया है।
कोरोना वायरस का रिप्रोडक्शन नंबर
कोरोना वायरस का रिप्रोडक्शन नंबर यानी R0 (इसे R-Naught पढ़ा जाता है) 2 और 2.5 के बीच है। इसका मतलब यह हुआ कि इस संक्रमण से ग्रसित हर व्यक्ति दो से ज्यादा लोगों को इंफेक्शन फैलाता है। इस स्थिति में हर्ड इम्युनिटी कोरोना के फैलाव को रोक सकती है।
रिप्रोडक्शन नंबर 2 से घटकर 1
जिस तरह कोरोना 1 से 2, 2 से 4 , 4 से 8 और 8 से 16 लोगों को संक्रमित कर रहा है। लेकिन अगर दुनिया की 50 प्रतिशत जनसंख्या इम्यून हो जाए तो यह इंफेक्शन एक व्यक्ति से एक में ही जाएगा। इस स्थिति में कोरोना वायरस का रिप्रोडक्शन नंबर 2 से घटकर 1 रह जाएगा।
इस स्थिति में मर जाएगा कोरोना
अगर यह R0 एक से भी कम हो जाए तो कोरोना वायरस का आउटब्रेक खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा। इसी वजह से अगर दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी इम्यून हो जाए तो यह वायरस धीरे-धीरे खुद ही खत्म हो जाएगा।
अग्रेसिव सप्रेश के कारण और प्रभाव
दुनियाभर में अग्रेसिव सप्रेशन (Aggressive Suppression), जिसे हम लॉक-डाउन या कर्फ्यू कहते हैं, कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने की एक विधि बन गई है। इसमें बीमार लोगों को आइसोलेट किया जाता है और सोशल कॉन्टेक्ट को लगभग बंद कर दिया जाता है।
इन्हें हराया हर्ड इम्युनिटी ने
लेकिन अग्रेसिव सप्रेश के कारण हम अपनी हर्ड इम्युनिटी नहीं बना पा रहे हैं, इस कारण हमें कोरोना वायरस से बचने के लिए आज के प्रभावी तरीके लंबे समय तक फॉलो करने पड़ सकते हैं, जो कि मानव जाति के लिए सुरक्षित भी हैं। पोलियो और स्मॉल पॉक्स जैसी बीमारियों को भी वैक्सीन के जरिए हर्ड इम्युनिटी बढ़ाकर ही हराया गया है।