कोरोना से बचाव के लिए AIIMS भोपाल में दवा का ट्रायल शुरू
भोपाल एम्स (AIIMS) में कोरोना के मरीज़ों पर कुष्ठ रोग की दवा एमडब्ल्यू (MW) का क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर दिया गया है. ये ट्रायल (Trial) उन मरीज़ों पर किया जा रहा है जो बेहद गंभीर स्थिति में आईसीयू (ICU) में भर्ती हैं.गुरुवार को तीन मरीजों को इस दवा का पहला डोज दिया गया है. ये माइक्रो बैक्टीरिया डब्ल्यू (MW) खतरनाक संक्रमण रोकने के लिए शरीर में प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है.उम्मीद की जा रही है कि एक बार फिर यह कोरोना संक्रमण रोकने कारगर सिद्ध होगा.
करुणा संक्रमण में साइटोंकाइनस की अति सक्रियता देखी गई है जोकि नुकसानदायक होती है साइटों का यंत्र प्रतिरक्षा कोशिकाओं से उत्पन्न किए जाने वाले प्रोटीन है. कई कोशिकाएं इन्हें पैदा करती हैं. इसकी मौजूदगी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को एक्टर और कंट्रोल रखती है लेकिन कोविड-19 के संक्रमण में साइटों का अंश बेहद एक्टिव हो जाते हैं जिसके कारण प्रतिरक्षा तंत्र काम नहीं कर पाता. आरंभिक अध्ययनों में कोरोना के उपचार में भारतीय वैज्ञानिकों की बनाई दवा एमडब्ल्यू कार्य समझी गई है और
भोपाल के एम्स में कोरोना संक्रमितों पर माइक्रोबैक्टीरियम-डब्ल्यू दवा के ट्रायल की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. एम्स के आईसीयू में भर्ती तीन गंभीर मरीजों को पहला डोज दिया गया है. गंभीर मरीजों को इंजेक्शन के रूप में एमडब्ल्यू दवा 3 डोज में दी जाएगी. इसका वैक्सीन के रूप में पहले भी ट्रायल हो चुका है इसलिए डॉक्टर्स को इसके कारगर होने की उम्मीद है.
माइक्रो बैक्टीरिया डब्ल्यू शरीर में बाहर से आने वाले खतरनाक संक्रमण को रोकने के लिए प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है. कोरोना संक्रमण में साइटोंकाइनस की अति सक्रियता देखी गई है जो नुकसानदायक होती है. MW की मौजूदगी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय और कंट्रोल रखती है. शुरुआती रिसर्च में भारतीय वैज्ञानिकों को इसके बेहतर नतीजे दिखाई पड़ रहे हैं इसलिए उम्मीद की जा रही है कि एक बार फिर यह दवा कोरोना संक्रमण रोकने में मददगार होगी.