नशे के सौदागरों पर होगा बड़ा वार, अमेरिका और ब्रिटेन की एजेंसियों के साथ मिलकर बनाया ये खास प्लान


राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी


देश में नशे के सौदागर अब लंबे समय तक नहीं टिक पाएंगे। उन पर बड़ा वार करने की योजना बन रही है। इस योजना में अमेरिका की मादक पदार्थ प्रवर्तन एजेंसी और ब्रिटेन की राष्ट्रीय अपराध एजेंसी भी शामिल है।


जल, थल और वायु, किसी भी जगह पर नशे के सौदागरों को नहीं बख्शा जाएगा। जमीनी और समुद्री सीमाओं पर निगरानी रखने के लिए सीमा सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल और भारतीय तटरक्षक को 'स्वापक मादक पदार्थ और मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 के तहत नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने की शक्तियां प्रदान की गई हैं।
विदेशी एजेंसियों की मदद से नशे की अवैध खेती पर आसमान से यानी सैटेलाइट से नजर रखी जाएगी। जैसे ही कहीं पर नशे की फसल दिखाई पड़ेगी, उसे फौरन नष्ट कर दिया जाएगा।
 
भारत में नशे की समस्या को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच बैठकों के कई दौर पूरे हो चुके हैं। इसके अलावा स्वापक नियंत्रण ब्यूरो 'एनसीबी' ने मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिमस्टेक) के देशों से विस्तृत बातचीत की है।


गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी के अनुसार, मादक पदार्थों को जड़ से खत्म करने के लिए केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। इसके लिए भारत ने फरवरी में बिमस्टेक देशों का दो दिवसीय सम्मेलन बुलाया था, जिसमें श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान शामिल हुए थे।
इन तरीकों से रोकी जाएगी मादक पदार्थों की तस्करी
बिमस्टेक के सभी देश समुद्र के रास्ते होने वाली मादक पदार्थों की तस्करी पर नजर रखेंगे। मैथामफेटामाइन का उत्पादन वाली जगहों की सूची बनेगी। इसकी तस्करी वाले रूटों का पता लगाकर सौदागरों को काबू किया जाएगा।


ये खबरें सामने आई हैं कि हाई क्वालिटी मादक पदार्थों को डाक के जरिये भेजा जाने लगा है, इसके लिए डार्क नेट कोरियर और पोस्टल पर नजर रखेंगे। स्वापक मादक पदार्थों में मिलाने के लिए फार्मास्यूटिकल मादक पदार्थों की तस्करी खत्म करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर होगा प्रहार... 
केंद्रीय और राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए गृह मंत्रालय ने चार साल पहले नार्को समन्वय केंद्र (एनसीओआरडी) तंत्र स्थापित किया था। बेहतर समन्वय और सहयोग के लिए एनसीओआरडी प्रणाली को जिला स्तर पर फोर टियर में विभाजित कर दिया गया है।


मादक पदार्थों की अगर कोई बड़ी खेप पकड़ी जाती है तो उसके लिए संयुक्त समन्वय समिति गठित की गई है। एनसीबी के महानिदेशक को इसका हेड बनाया गया है। इसमें अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की भी मदद ली जाती है।


बीएसएफ, एसएसबी और भारतीय तटरक्षक को भी प्रभावी जिम्मेदारी सौंपी गई है। विदेशी और स्वदेशी जांच एजेंसी सैटेलाइट के जरिए मादक पदार्थों की खेती, तस्करी और उत्पादन करने वालों पर प्रहार करेंगी।


अंतरराष्ट्रीय सहयोग के एक हिस्से के रूप में भारत ने एनडीपीएस और रासानियक उत्प्रेरक की अवैध तस्करी तथा इससे जुड़े दूसरे अपराधों से निपटने के लिए विभिन्न देशों के साथ 26 द्विपक्षीय समझौते, 15 समझौते ज्ञापनों और सुरक्षा सहयोग के दो करारों पर हस्ताक्षर किए हैं।
ये संगठन भी करेंगे मदद
मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए कई विदेशी एजेंसियों और संगठनों के साथ सूचना एवं इंटेलिजेंस को लेकर समन्वय स्थापित किया गया है।


इनमें सार्क ड्रग ऑफेंसेज मॉनिटरिंग डेस्क (एसडीओएमडी), ब्रिक्स, कोलंबो प्लान, आसियान, आसियान सीनियर ऑफिशियल ऑन ड्रग मैटर्स (एएसओडी), बिमस्टेक, यूएनओडीसी और अंतरराष्ट्रीय स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (आईएनसीबी) आदि शामिल हैं।


एनसीबी ने प्रचालनात्मक सूचना के लिए अन्य देशों के विभिन्न मादक पदार्थ संपर्क अधिकारियों तथा संयुक्त राज्य अमेरिका की मादक पदार्थ प्रवर्तन एजेंसी और यूके की नेशनल क्राइम एजेंसी के साथ तालमेल स्थापित किया है। इन देशों से इंटेलिजेंस और उपकरणों की मदद मिलेगी।