राज्यों के लिए शराब बेचने के क्या मायने हैं, क्यों खुल रहे हैं शराब के ठेके


लॉकडाउन 3.0 में कुछ रियायतें देने का परिणाम यह हुआ कि सोमवार यानि चार मई को शराब की दुकानों के बाहर लंबी लाइन लगी हुई थी। चार मई की शाम दिल्ली सरकार ने भी शराब पर 70 फीसद स्पेशल कोरोना फीस लगाने का एलान कर दिया। 


इस फीस से यह समझ आता है कि किसी भी राज्य के लिए आबकारी सेवाएं कितनी जरूरी है। राज्य के लिए शराब बनाने और बेचने से राजस्व के बड़े हिस्से की प्राप्ति होती है। आइए समझते हैं कि राज्यों के लिए शराब बेचने के पीछे क्या गणित है...


राज्यों की शराब बिक्री से कमाई कैसे होती है?


शराब से किसी भी राज्यों को एक अच्छी राशि एक्साइज ड्यूटी के तौर पर मिलती है। हालांकि गुजरात और बिहार ने शराब पर प्रतिबंध लगा दिया है इसलिए इन दोनों राज्यों के राजस्व में शराब बिक्री का हिस्सा नहीं होता।


सामान्य तौर पर राज्य शराब की मैन्यूफैक्चरिंग और बिक्री पर एक्साइज ड्यूटी लगाते हैं। लेकिन तमिलनाडु एक्साइज ड्यूटी के साथ वेट यानि वैल्यू एडेड टैक्स भी लगाता है। इसके अलावा राज्य विदेश से आई शराब स्पेशल फीस लगाते हैं, ट्रांसपोर्ट फीस भी लेते हैं।


वहीं उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शराब की बिक्री पर स्पेशल ड्यूटी लगाते हैं। उत्तर प्रदेश ऐसी फीस इसलिए लगाता है ताकि मवेशियों की देखरेख में इस राशि को इस्तेमाल किया जा सके। पिछले सितंबर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी की थी। 


रिपोर्ट में बताया गया है कि किसी राज्य को शराब पर एक्साइज ड्यूटी से 10-15 फीसद राजस्व आता है। राज्य के खुद के टैक्स रेवेन्यू श्रेणी में एक्साइज ड्यूटी दूसरे या तीसरे नंबर पर आती है, पहले नंबर पर वस्तु और सेवा कर यानि जीएसटी आता है।


यही कारण है कि राज्य हमेशा शराब को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने के पक्ष में होते हैं ताकि राज्य की आमदनी पर असर ना पड़े।


शराब पर एक्साइज ड्यूटी से कितना कमाते हैं राज्य?


रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में 29 राज्य और दिल्ली और पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों को शराब पर एक्साइज ड्यूटी से कुल 1,75,501 करो़ड़ रुपये का बजट बना था। यह पिछले साल 2018-19 की तुलना में 16 फीसद ज्यादा था।


2018-19 में औसतन हर राज्य ने एक्साइज ड्यूटी से हर महीने 12,500 करोड़ रुपये इकट्ठा किए जो 2019-20 में बढ़कर 15,000 करोड़ रुपये मासिक हो गए। लेकिन कोरोना वायरस से पहले इस साल 15,000 करोड़ रुपये मासिक आय की उम्मीद लगाई गई थी।


उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले वित्तीय साल में राज्य ने शराब पर एक्साइज ड्यूटी से 2,500 करोड़ रुपये कमाए थे और इस साल कमाई की उम्मीद तीन हजार करोड़ रुपये थी।


किस राज्य की सबसे ज्यादा कमाई होती है?


2018-19 के वित्तीय साल के मुताबिक देश के जिन पांच राज्यों का सबसे ज्यादा राजस्व बना था, उसमें उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना शामिल है। उत्तर प्रदेश की ज्यादा कमाई के पीछ कारण है कि राज्य शराब पर केवल एक्साइज ड्यूटी लगाता है। 


उत्तर प्रदेश -       25,100 करोड़ रुपये
कर्नाटक -            19,750 करोड़ रुपये 
महाराष्ट्र -           15,353 करोड़ रुपये
पश्चिम बंगाल -   10,554 करोड़ रुपये
तेलंगाना -           10,313 करोड़ रुपये


उत्तर प्रदेश अलग से वैट नहीं लगाता है, जैसे तमिलनाडु अलग से शराब पर वैट लगाता है इसलिए राज्य का वैट कलेक्शन एक्साइज ड्यूटी में नहीं दिखता है। बिहार और गुजरात में शराब पर प्रतिबंध है इसलिए 2018-19 और 2019-20 में बिहार को शराब से कोई कमाई नहीं हुई।


गुजरात के शराब की एक्साइज ड्यूटी की कमाई बहुत ही कम होती है। आंध्र प्रदेश ने भी पिछले साल शराब पर पाबंदी लगाने का एलान किया था लेकिन चार मई से प्रदेश में शराब बेचने की अनुमति दे दी गई, हालांकि आंध्र प्रदेश शराब पर अलग से प्रतिबंध टैक्स लेता है।


राज्यों के लिए राजस्व के क्या स्रोत हैं?


मोटे तौर पर राज्यों के लिए राजस्व के दो स्रोत होते हैं, एक टैक्स रिवेन्यू और नॉन टैक्स रिवेन्यू। कर राजस्व को भी दो भागों में बांटा गया है, एक राज्य का अपना टैक्स रिवेन्यू और दूसरा केंद्रीय करों में हिस्सा।


अब राज्यों के अपने टैक्स रिवेन्यू को तीन श्रेणी में रखा गया है...
आय पर लगने वाला कर, इसमें कृषि आय टैक्स, प्रोफेशनल टैक्स, व्यापार पर टैक्स, कॉलिंग और रोजगार पर टैक्स शामिल है।
संपत्ति और पूंजी के लेन-देन पर टैक्स, इसमें भूमि राजस्व, स्टाम्प, रजिस्ट्रेशन फीस और शहरी अचल संपत्ति टैक्स शामिल है।
कमोडिटी और सेवाओं पर कर, इसमें बिक्री कर, वैट, केंद्रीय बिक्री कर, बिक्री कर पर सरचार्ज, टर्नओवर टैक्स की रसीदें, अन्य रसीदें, राज्य एक्साइज, वाहनों पर कर, वस्तु और यात्री पर कर, बिजली पर ड्यूटी और कर, मनोरंजन कर, राज्य जीएसटी और दूसरे कर शामिल हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में किसी राज्य के अपने टैक्स रिवेन्यू में सबसे ज्यादा हिस्सा राज्य जीएसटी का रहा जो कि 43.5 फीसद थी। इसके बाद 23.5 फीसद का बिक्री कर जिसमें मुख्य तौर पर पेट्रोल शामिल है। 


इसके बाद राज्य एक्साइज ड्यूटी का 12.5 फीसद योगदान और संपत्ति और पूंजी के लेन-देन पर 11.3 फीसद का योगदान रहा।