- एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों पर 1.42 लाख करोड़ रु की देनदारी
- वित्त मंत्री ने कहा- कंपनियां मनोबल ऊंचा रखते हुए कारोबार जारी रखें
नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सरकार संकट से गुजर रही टेलीकॉम कंपनियों की चिंताओं का समाधान चाहती है। किसी कंपनी को संचालन बंद नहीं करना चाहिए। मैं चाहती हूं कि सभी कंपनियां मनोबल ऊंचा रखते हुए कारोबार जारी रखें।
टेलीकॉम कंपनियां एजीआर के भुगतान में राहत चाहती हैं
सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था में कारोबारी कंपनियों की संख्या ज्यादा से ज्यादा हो, उनका बिजनेस कामयाब रहे। टेलीकॉम ही नहीं बल्कि सभी सेक्टर की कंपनियों के लिए यही कामना करती हूं। वित्त मंत्रालय इसी नजरिए के साथ सभी से बातचीत करता है। टेलीकॉम सेक्टर ने भी संपर्क किया, हम उनके मुद्दों से अवगत हैं।
एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों पर 1.42 लाख करोड़ रुपए की देनदारी बन रही है। दूरसंचार विभाग को इसके भुगतान के लिए रकम की प्रोविजनिंग से कई प्रमुख कंपनियों को जुलाई-सितंबर तिमाही में रिकॉर्ड घाटा हुआ। वोडाफोन-आइडिया (वीआईएल) ने 50,921 करोड़ रुपए का नुकसान बताया। यह किसी भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा तिमाही घाटा है। वीआईएल ने गुरुवार को नतीजे जारी करते हुए कहा था कि कारोबार जारी रखने की क्षमता अब सरकार से राहत मिलने पर निर्भर है।
भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने एजीआर के मुद्दे पर सरकार से कुछ छूट देने की मांग की है। वे चाहती हैं कि कम से कम ब्याज और पेनल्टी में तो राहत मिल ही जाए। सीतारमण का कहना है कि एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिन कंपनियों ने गंभीर चिंताओं के बारे में बताया, हम उन्हें दूर करने की सोच रखते हैं।
एजीआर मामला क्या है?
टेलीकॉम कंपनियों को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) का 3% स्पेक्ट्रम फीस और 8% लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। सुप्रीम कोर्ट के 24 अक्टूबर के फैसले से कंपनियां एजीआर की गणना टेलीकॉम ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर करती थीं। ट्रिब्यूनल ने उस वक्त कहा था कि किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे नॉन कोर स्त्रोतों से प्राप्त रेवेन्यू को छोड़ बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी। विदेशी मुद्रा विनिमय (फॉरेक्स) एडजस्टमेंट को भी एजीआर में माना गया। हालांकि फंसे हुए कर्ज, विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव और कबाड़ की बिक्री को एजीआर की गणना से अलग रखा गया। दूरसंचार विभाग किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। इसी आधार पर वह टेलीकॉम कंपनियों से बकाया फीस की मांग कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग के पक्ष में फैसला दिया था।