घाटा / पिछले साल 7 फीसदी बढ़ाई थीं बिजली दरें, इस बार 5 फीसदी तक बढ़ सकता है टैरिफ

  • बिजली कंपनियों ने मप्र विद्युत नियामक आयोग को दरें बढ़ाने का दिया प्रस्ताव

  • सरकार पर 3600 कराेड़ सालाना भार, बिजली कंपनियों ने बताया नुकसान

    मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के लिए इमेज परिणामभोपाल . प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों ने मप्र विद्युत नियामक आयोग को बिजली की दरें बढ़ाने के संबंध में प्रस्ताव दे दिया है। मार्च-अप्रैल तक नया टैरिफ प्लान लागू किया जा सकता है। कंपनियों ने अपने नुकसान की भरपाई के लिए दरें बढ़ाने की जरूरत बताई है। हालांकि यह आयोग तय करेगा कि दरें कितनी बढ़ानी है। पिछले साल औसतन 7% दर बढ़ाई गई थी। इस बार भी राजस्व बढ़ाने की मांग के अनुरूप इसमें बढ़ोतरी की जा सकती है।


    पिछले साल अगस्त में सरकार ने इंदिरा गृह ज्योति योजना शुरू की थी। इसमें सभी घरेलू उपभोक्ताओं को शामिल किया था। इसमें 100 यूनिट तक की खपत पर प्रतिमाह 100 रुपए बिल दिया जाता है। जो 150 यूनिट तक खपत कर रहे हैं उन्हें 50 यूनिट पर सामान्य बिजली दर से बिल दिया जाता है। इसका बिल 400 रुपए के भीतर आता है। इधर, आयोग का कहना है कि सभी पक्षों पर विचार करने के बाद ही कुछ फैसला होगा। 


    इंदिरा गृह ज्योति योजना : 1 करोड़ 4 लाख उपभोक्ताओं को मिल रहा लाभ


    हर साल 300 करोड़ की सब्सिडी- ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इंदिरा गृह ज्योति योजना के तहत करीब 1 करोड़ 4 लाख उपभोक्ताओं को लाभ मिल रहा है। धीरे-धीरे यह संख्या और बढ़ रही है। इधर, सरकार पर इससे सालाना भार 3600 करोड़ आना है। बिजली कंपनियों को सरकार हर माह करीब 300 करोड़ की सब्सिडी देती है। 


    पिछले साल ये    जरूरत बताई थी


    पश्चिम क्षेत्र     14,407 
    मध्य क्षेत्र     11,982
    पूर्व क्षेत्र     11,774
    कुल     38,163     करोड़ रुपए


    अंतर...इस राशि में जरूरत के मुताबिक कुल 4098 करोड़ रुपए का अंतर था। इसमें क्रमश: पश्चिम क्षेत्र कंपनी का 1346 करोड़, मध्य क्षेत्र का 1634 करोड़ व पूर्व क्षेत्र का 1118 करोड़ का अंतर था यानी ये इन कंपनियाें का नुकसान था।  


    पिछले साल 4100 करोड़ रुपए का राजस्व अंतर बताया था...
    मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों ने पिछले साल करीब 4100 करोड़ रुपए का राजस्व अंतर बताया था। इन कंपनियोें ने दरों में 12.03 प्रतिशत बढ़ोतरी की मांग की थी। इसके बाद विद्युत नियामक आयोग ने सात प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। इसके एवज में करीब 2400 करोड़ रुपए की भरपाई हुई थी। जानकारों के मुताबिक इस बार राजस्व अंतर करीब 4500 करोड़ रुपए या इससे अधिक के होने की संभावना है। ऐसी स्थिति में करीब पांच फीसदी बढ़ोतरी की जा सकती है। 


    दरें बढ़ाने की दलीलें 
    जानकारी के मुताबिक कंपनियों ने दरें बढ़ाने के लिए कई दलीलें भी दी हैं। इनमें राजस्व में कमी, मुद्रास्फिति की वजह से बढ़ी लागत, आउटसोर्स, विभिन्न प्रकार की छूट शामिल हैं। बिजली कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनियां पहले से ही घाटे में चल रही हैं। अब भी बिजली चोरी हो रही है इसके अलावा सस्ती बिजली होने के बाद भी राजस्व वसूली में दिक्कतें हैं। गौरतलब है कि अब भी लाइन लॉस करीब 32 प्रतिशत हैं। ऐसे में कंपनियों ने नुकसान की भरपाई के लिए दरें बढ़ाने की जरूरत बताई है। मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एमडी विशेष गढ़पाले ने बताया है कि दरों के संबंध में आयोग में पिटिशन लगा दी गई है।