मप्र / एक साल में हर शख्स पर औसतन 4 हजार रुपए कर्ज बढ़ाकर 29 हजार हुआ; यही स्थिति रही तो अगले साल 33 हजार के कर्जदार होंगे आप

  • बीते साल यह राशि औसतन 25 हजार रुपए प्रत्येक व्यक्ति थी

  • प्रदेश पर कुल कर्ज 2.10 लाख कराेड़ रुपए हाे जाएगा

    एक साल में हर शख्स पर औसतन 4 हजार रुपए कर्ज बढ़ाकर 29 हजार हुआ के लिए इमेज परिणामभोपाल . प्रदेश में बीते एक साल में हर बच्चे, महिला और पुरुष पर 4 हजार रुपए कर्ज बढ़ा है। 2018-19 में प्रत्येक व्यक्ति पर औसतन 25 हजार रुपए का कर्ज था, जो 2019-2020 यानी 31 मार्च को बढ़कर 29 हजार रुपए हो जाएगा। साथ ही प्रदेश पर कुल कर्ज 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपए हो जाएगा।


    बीते तीन सालों से यही स्थिति बन रही है। वित्त विभाग का अनुमान है कि राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए पंद्रहवे वित्त आयोग में राजकोषीय उत्तरादायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम एक्ट 2005) में 1% कर्ज लेने की सीमा बढ़ सकती है। यानी अभी राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 3.49 प्रतिशत कर्ज लिया जा सकता है जो अगले साल बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो जाएगा। यानी अभी सरकार हर साल 26888 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले सकती है, एक प्रतिशत सीमा बढ़ने से 9 हजार करोड़ रुपए ज्यादा कर्ज लिया जा सकता है।


    सीधे-सीधे कर्ज लेने की सीमा लगभग 36 हजार करोड़ रुपए हो जाएगी। आगे भी कर्ज लेने की यही स्थिति रही तो अगले वित्तीय वर्ष में हर व्यक्ति 33 हजार रुपए का कर्जदार होगा। बाजार एवं वित्तीय संस्थानों से ज्यादा कर्ज लेने की क्षमता बढ़ने को सरकार अच्छे संकेत मान रही है। इसकी वजह राज्य की जितनी ज्यादा कर्ज लेने की क्षमता बढ़ेगी, उससे सैद्धांतिक रूप से विकास कार्यों में अधोसंरचना विकास में सड़क, बिजली, पंचायतों और अधूरी पेयजल योजनाओं पर खर्च होगा। साथ ही वेतन, पेंशन, महंगाई भत्ता और सामाजिक न्याय से जुड़ी योजनाओं पर खर्च होगी।

    बीते तीन सालों में ऐसे बढ़ा कर्ज (राशि रुपए में) - इस साल मूल और ब्याज पर 29206 करोड़ रुपए

































    वर्ष कुल कर्जमूल भुगतानब्याज राशिप्रति व्यक्ति कर्ज
    2017-181,52,000 करोड़5,000 करोड़11,045 करोड़21,000
    2018-191,90,988 करोड़7,000 करोड़12,042 करोड़25,000
    2019-202,10,510 करोड़14,403 करोड़14.803 करोड़29,000

    इसलिए बढ़ रहा कर्ज


    अतिवर्षा से राहत कार्यों के लिए केंद्र से मदद न मिलने से राज्य सरकार को एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा राहत कार्यों पर खर्च करना पड़ा। केंद्र से नुकसान की भरपाई के लिए 11 हजार करोड़ रुपए मांगे, लेकिन 1000 करोड़ रुपए ही मिले। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और मनरेगा में राज्य सरकार को अपने हिस्से से राशि खर्च करना पड़ रही है।



    14वें वित्त आयोग में आधा प्रतिशत बढ़ी थी कर्ज लेने की सीमा
    14वें वित्त आयोग में राज्य सरकार का कुल ब्याज भुगतान सकल राजस्व प्राप्ति के 10 प्रतिशत से कम था तो कर्ज लेने की सीमा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की .25 प्रतिशत बढ़ा दी गई थी। इसी तरह प्रदेश का कर्ज जीएसडीपी का 25 प्रतिशत से कम होने से जीएसडीपी का .25 प्रतिशत बढ़ाया गया था। इस तरह राज्य की 3 प्रतिशत कर्ज सीमा बढ़कर 3.5 प्रतिशत हो गई थी। यह सिफारिशें 2015 से 2020 तक के लिए थी।


    वित्त आयोग ने राज्य के वित्तीय प्रबंधन को उचित मानते हुए यह बढ़ोतरी की थी। फिलहाल केंद्र और राज्य के बीच फंडिंग पैटर्न बदला है और केंद्र प्रवर्तित योजनाओं की राशि नहीं मिल रही है। इस स्थिति में उम्मीद जताई जा रही है कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति को देखते हुए पंद्रहवे वित्त आयोग की सिफारिशें जो 1 अप्रैल 2020 को आना है।


    ये सिफारिशें 2020 से 2025 तक के लिए प्रभावी होगा। इसमें एफआरबीएम की लिमिट 3.5 से बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो जाएगी। यानी 9 हजार करोड़ रुपए ज्यादा कर्ज लेेने की पात्रता होगी। इस साल खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष में कुल राजस्व प्राप्तियां 1 लाख 79 हजार करोड़ रुपए है और ब्याज पर भुगतान 14432 करोड़ रुपए होगा जो 10 फीसदी से कम है, इससे राज्य की कर्ज लेने की सीमा 2250 करोड़ रुपए बढ़ेगी।


    इसी राज्य का अनुमानित जीएसडीपी 9 लाख 62 हजार करोड़ रुपए अनुमानित है और कुल कर्ज 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपए अनुमानित है जो 25 फीसदी से कम है। इस स्थिति में भी अगले साल कर्ज लेने की सीमा 2250 करोड़ रुपए बढ़ जाएगी।