स्कूल बसों के वाहन चालकों और कंडक्टरों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्यत: करवाकर सूचना जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भिजवायें -एडीएम डॉ.तिवारी, एडीएम ने सीबीएसई संचालित निजी विद्यालयों के संचालकों के साथ बैठक की


 




 

   बुधवार को सिंहस्थ मेला कार्यालय के सभाकक्ष में अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी डॉ.आरपी तिवारी द्वारा जिले में सीबीएसई द्वारा संचालित विद्यालयों के संचालकों के साथ बैठक की गई। इसमें जिला शिक्षा अधिकारी सुश्री रमा नाहटे और लगभग 50 निजी विद्यालयों के संचालक मौजूद थे। बैठक में कक्षाओं में पुस्तकों, विद्यार्थियों के बस्ते का वजन निर्धारण, स्कूल बसों की सुरक्षा, फीस निर्धारण और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।
    एडीएम डॉ.आरपी तिवारी ने समस्त स्कूल संचालकों को निर्देश दिये कि स्कूल बसों के वाहन चालकों, कंडक्टरों और क्लीनरों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य रूप से करवायें तथा इसकी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भिजवायें।
    बैठक में संचालकों द्वारा पहली से बारहवी कक्षा में कौन-सी किताबों से पढ़ाई करवाई जा रही है, इस बारे में पूछा गया। एडीएम डॉ.तिवारी ने समस्त संचालकों को निर्देश दिये कि विद्यालयों में पाठ्य पुस्तकों के उपयोग में सीबीएसई सचिव द्वारा जारी सर्कुलर, अतिरिक्त निदेशक सीबीएसई बोर्ड द्वारा जारी सर्कुलर और मप्र हाईकोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनिवार्यत: पालन करें।
    पालकों को किसी एक दुकान से पुस्तकें क्रय करने के लिये बाध्य न करें। इस सूचना को अनिवार्यत: सभी स्कूलों में नोटिस बोर्ड पर लगाया जाये। विद्यार्थियों के बस्ते के वजन निर्धारण पर विचार-विमर्श के दौरान निर्धारित मान के अनुसार बच्चों के बस्ते का वजन रखने के निर्देश दिये। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का स्टाफ स्कूलों में समय-समय पर जाकर बच्चों के बस्ते का वजन चेक करे। गौरतलब है कि बस्ते के वजन को लेकर समय-समय पर पालकों द्वारा शिकायत की जाती है।
    जिला शिक्षा अधिकारी सुश्री नाहटे ने निर्धारित कक्षा के लिये निर्धारित बस्ते के वजन की जानकारी पालक-शिक्षक मीटिंग में पालकों को अनिवार्यत: देने के निर्देश दिये। स्कूल बसों की सुरक्षा पर चर्चा करते हुए एडीएम डॉ.आरपी तिवारी ने संचालकों से कहा कि स्कूल बस पीले रंग में होना जरूरी है, बसों पर स्कूल बस पीछे और अग्रभाग पर अनिवार्यत: लिखवाया जाये। यदि बस अनुबंधित हो तो उस पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखवाया जाये। स्कूल बस में फर्स्टएड बॉक्स की सुविधा हो, बसों में गतिमापी यंत्र, सीसीटीवी कैमरे और अग्निशमन यंत्र लगवाये जायें।
    इसके अलावा हर स्कूल में आपदा प्रबंधन व्यवस्था अनिवार्य रूप से होना जरूरी है। अक्सर वाहन दुर्घटनाएं तेज गति से वाहन चलाने के कारण होती हैं, अत: स्कूल बसों के वाहन चालकों को तेज गति से वाहन न चलाने के निर्देश अपने स्तर पर संचालक दें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि वाहन चालक द्वारा किसी नशीले पदार्थ का सेवन तो नहीं किया जा रहा है। बसों में सीटों के नीचे बस्तों को रखने की व्यवस्था करवाई जाये। स्कूल बसों में एक महिला कंडक्टर भी रखी जाये। स्कूल संचालक वाहन की फिटनेस भी समय-समय पर करवायें। बसों में लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग भी समय-समय पर चेक करते रहें।
    स्कूलों में फीस निर्धारण पर चर्चा के दौरान संचालकों को निर्देश दिये गये कि विद्यालय द्वारा शुल्क वृद्धि पूर्ववर्ती वर्ष की नियत फीस की यदि 10 प्रतिशत से ज्यादा की जाती है तो इसके लिये उसे सालभर के आय-व्यय का ब्यौरा अनिवार्यत: जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को देना होगा तथा जिला स्तरीय समिति से अनुमोदन लेना होगा। इसी प्रकार यदि पूर्ववर्ती वर्ष की नियत फीस में 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करने पर राज्य स्तरीय समिति से अनुमोदन अनिवार्यत: लेना होगा।
    निजी स्कूल संचालकों द्वारा युनिफार्म जब भी बदली जाये, इसकी जानकारी पालकों और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को अनिवार्यत: दी जाये। स्कूलों में जिन किताबों से पढ़ाई करवाई जा रही है, उनकी सूची स्कूलों की वेब साइट और नोटिस बोर्ड पर उपलब्ध कराई जाये