विकास न अटके / मास्टर प्लान में नया नियम... जिस दिन नोटिफिकेशन आएगा, उसी दिन से लागू होंगी स्कीमें, तत्काल शुरू करना होगा काम

  • इसलिए निर्माण एजेंसियों के लिए नई तरह की शर्त, नियम संशोधन का प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा

  • इसलिए जरूरी... भोपाल में 1975 व 1995 के मास्टर प्लान के कई काम अभी अधूरे, नए नियमों से प्रोजेक्ट नहीं रुक पाएंगे

  • छह महीने में काम शुरू नहीं कर पाए तो स्कीमें हो जाएंगी लैप्स

     


    भोपाल समेत प्रदेश के बड़े शहरों के पहले मास्टर प्लान के लिए इमेज परिणामभोपाल . प्रदेश के बड़े शहरों के लिए जो मास्टर प्लान तैयार हो रहे हैं, उनमें कुछ नए नियम भी जोड़े जा रहे हैं। इनमें सबसे खास यह है कि मास्टर प्लान का जिस दिन भी नोटिफिकेशन जारी होगा, इसके साथ ही विकास प्रोजेक्ट भी लागू कर दिए जाएंगे। इन प्रोजेक्ट्स पर निर्माण एजेंसियों को अगले दिन से ही काम शुरू करना होगा। यदि किसी कारण छह माह तक काम अटका रहता है तो स्कीमें स्वत: ही लैप्स हो जाएंगी। नगरीय विकास विभाग ने विकास संबंधी योजना के नियमों में संशोधन कर प्रस्ताव राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेज दिया है। मंजूरी मिलते ही ये नियम लागू हो जाएंगे। 


    कोर्ट में मामला लंबित होने पर नहीं रुकेगा काम नई व्यवस्था के तहत यदि जमीन का मामला कोर्ट में लंबित है और फैसला आने में देरी होती है, तो काम रोका नहीं जाएगा। उस पर अंतिम फैसला मान्य होगा। योजना में जो भूमि विवादित है उसका संरक्षित हिस्सा संबंधित को दे दिया जाएगा।



    भोपाल में मास्टरप्लान का काम जारी
    सरकार की भोपाल का नया मास्टर प्लान जल्द घोषित किए जाने की योजना है। यहां का मास्टर प्लान 2020 बन रहा है जो 2031 के हिसाब से होगा। इंदौर शहर के वर्तमान लागू मास्टर प्लान की अवधि 2021 में पूरी हो रही है, वहां 2022 से नया मास्टर प्लान बनाने का काम शुरू होगा। 


    यह भी नियम: मास्टर प्लान की सड़कों के किनारे बड़े प्लॉट ही काटे जाएंगे



    •  भोपाल समेत प्रदेश के बड़े शहरों के पहले मास्टर प्लान 1975 में बने, लेकिन उसके कई काम अब तक पूरे नहीं हुए हैं। 

    •  यही स्थिति 1995 में बने मास्टर प्लान की रही, जबकि इसका काम 2005 में पूरा हो जाना था, जो आज तक पूरा नहीं हुआ। 

    •  भोपाल में 1995 के मास्टर प्लान में 241 किमी सड़कें बनाई जानी थीं, लेकिन अब तक 53 किमी ही बनीं।

    •  निर्माण एजेंसियां कई बार स्कीमें बिना सोचे-समझे ही घोषित कर देती हैं, काम शुरू नहीं करतीं, वह अब ऐसा नहीं कर पाएंगी। 

    •  अब नए नियमों के मुताबिक मास्टर प्लान की सड़कों पर बड़े प्लाॅट ही काटे जाएंगे। ये 5 से 10 हजार वर्गमीटर के होंगे। 

    •   भूमि धारकों को छोटे प्लॉटों का संयोजन कर बड़ा प्लाट बनाने की अनुमति भी रहेगी।


    ऐसे होगा क्रियान्वयन


    पुराने लागू हुए मास्टर प्लान में जो प्रोजेक्ट आते थे, उसकी एजेंसियों की सही जानकारी नहीं मिल पाती थी। जब तक स्कीम का काम पूरा नहीं होता था, तब तक भूमि धारक को निर्माण की अनुमति नहीं होती थी। नए नियमों के हिसाब से जिस दिन स्कीम डिक्लेयर होगी, उस दिन भूमि धारक को पता चल जाएगा कि उसकी जमीन फाइनल ड्राफ्ट में है। नक्शे में भूमि धारक की जमीन चिन्हित होगी, उसे वहां उसी दिन से निर्माण करने की अनुमति होगी। 


    मास्टर प्लान में 24 मी. चौड़ी रोड बनाई जाती है तो उससे सटी स्कीमों के नाम भी घोषित कर दिए जाएंगे। एजेसियों से पुख्ता प्रस्ताव लिए जाएंगे, यदि वे काम शुरू नहीं करतीं, तो 6 महीने में स्कीमें लैप्स हो जाएंगी।


    जैसा पहले मास्टर प्लान में होता रहा, अब नहीं होगा




     नए शहरों के जो मास्टर प्लान तैयार किए जाने हैं उनमें सरकार का फोकस विकास कार्यों को गति देना है। ऐसा नहीं होगा, जैसे पहले मास्टर प्लान में होता रहा। उनके कई विकास कार्य आज भी अटके पड़े हुए हैं। भोपाल में 1975 में बने मास्टर प्लान के काम अब तक पूरे नहीं हो पाए। नई व्यवस्था के तहत मास्टर प्लान के साथ ही स्कीम घोषित कर दी जाएगी।  जयवर्धन सिंह, मंत्री, नगरीय विकास एवं आवास