छिन्दवाड़ा / शिक्षा हब के रूप में मूर्त रूप ले रहा है छिन्दवाडा विश्वविद्यालय:नकुल नाथ

  प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने छिन्दवाड़ा जिले को शिक्षा के रूप में विकसित करने का जो सपना देखा है, वह उनके साथ ही जिले के सांसद श्री नकुल नाथ के प्रयासों से अब मूर्त रूप ले रहा है। छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय की स्थापना होने के बाद इस विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के साथ ही 29 विषयों की पहली परीक्षा मात्र 13 दिनों में सफलतापूर्वक संपन्न करवाकर एक मिसाल पेश की गई है। साथ ही इस विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एम.के.श्रीवास्तव के दिशा-निर्देशन में ओ.एम.आर. शीट की उत्तरपुस्तिकाओं के अभिनव प्रयोग से शीघ्रता और आसानी से विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परीक्षाओं के परिणाम घोषित किये जा रहे हैं जिससे विश्वविद्यालय से संबध्द महाविद्यालयों के विद्यार्थियों में खुशी का माहौल है और इसकी सर्वत्र सराहना की जा रही है।
      मुख्यमंत्री श्री नाथ की विशेष पहल पर 14 अगस्त 2019 को विधानसभा का विशेष संकल्प पारित कर छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई और मुख्यमंत्री ने जिले के विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित सौगात दी है। इस विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में केवल छिन्दवाड़ा जिला ही शामिल नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय के कार्य क्षेत्र और भविष्य में उच्च शिक्षा के महत्व को देखते हुये इसे विस्तार देते हुये 2 विश्वविद्यालयों बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से संबध्द बैतूल जिला और रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से संबध्द सिवनी, बालाघाट व छिंदवाड़ा जिलों में स्थित महाविद्यालयों को इसमें सम्मिलित किया गया हैं। मुख्यमंत्री श्री नाथ एवं जिले के युवा सांसद श्री नकुल नाथ के दिशा-निर्देशन में छिन्दवाडा विश्वविद्यालय का विकास कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इस विश्वविद्यालय के भवन के लिये ग्राम सारना में 48.562 हैक्टेयर अर्थात लगभग 120-125 एकड़ भूमि का आवंटन एवं 486.45 करोड रूपये का बजट आवंटन दिया जा चुका है। साथ ही भवन निर्माण की ड्रॉइंग व डिजाईन के लिये आर्कीटेक्ट की नियुक्ति की जा चुकी है। विश्वविद्यालय के लिये 325 पदों की स्वीकृति भी शासन व्दारा दी जा चुकी है। विश्वविद्यालय की प्रशासनिक, संबध्दता, परीक्षा और अन्य गतिविधियों के लिये डॉ.एम.के.श्रीवास्तव को कुलपति नियुक्त किया गया है जिन्होंने 3 अक्टूबर 2019 को अपना पदभार ग्रहण भी कर लिया है। विश्वविद्यालय में कुल सचिव की नियुक्ति भी की जा चुकी है।
      छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में  पदभार ग्रहण करने के बाद डॉ. श्रीवास्तव ने प्रथम सप्ताह के भीतर ही जिला प्रशासन, अग्रणी महाविद्यालयों के प्राचार्यों और  विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों के साथ एक दूरगामी रणनीति बनाई जिसमें एक बार में ही परीक्षा केन्द्र की बैठक संपन्न हो गई। इसमें 29 विषयों के पाठ्यक्रम शामिल किए गए। पाठयक्रम निर्धारण की प्रथम प्राथमिकता समझते हुए विधिवत एवं त्वरित कार्यवाही करते हुये 29 अध्ययन मंडल बनाए गये जिसकी बैठके 12-12 घन्टे चली और शीघ्रता से पाठयक्रम निर्धारित कर छिन्दवाडा विश्वविद्यालय का अपना पाठयक्रम बनाया गया। पाठ्यक्रम बनने के बाद चारों जिलों के 128 महाविद्यालयों की संबद्धता के लिए टीमों का गठन कर उनका निरीक्षण किया गया और वीडियो रिकार्डिंग की गई जिसकी रिपोर्ट के आधार पर इन महाविद्यालयों को अक्टूबर माह में ही सम्बध्दता प्रदान कर दी गई। इन 4 जिलों में 35 परीक्षा केन्द्र चिन्हित किए गये हैं।
      विश्वविद्यालय की पहली परीक्षा के लिये कुलपति डॉ.श्रीवास्तव की कार्य योजना के अनुसार तीन स्तर पर उड़न दस्ता दल बनाये गये जिसमें सबसे पहले जिला स्तर पर चार जिलों के चार दल बनाए गए। दो दल विश्वविद्यालय स्तर पर बनाये गये और एक दल में जिला प्रशासन के अपर कलेक्टर एवं उनके सहायक अधिकारी को प्रेक्षक नियुक्त किया गया जिससे परीक्षा में नकल पर पूर्णतः अंकुश लगाया जा सका। इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत जनवरी माह की परीक्षा में लगभग 14 हजार 800 विद्यार्थी सम्मिलित हुये। विश्वविद्यालय ने 16 जनवरी से 5 फरवरी तक 29 विषयों की परीक्षा मात्र 13 दिनों में संपन्न कराई। परीक्षा परिणाम घोषित करने में शीघ्रता व आसानी के लिये कुलपति के निर्देशन में ओ.एम.आर. शीट की उत्तरपुस्तिकाओं का अभिनव प्रयोग किया गया। इस पध्दति के प्रयोग के लिये चारों जिलों के चिन्हित महाविद्यालयों में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये गये जिसमें परीक्षा में संलग्न प्राध्यापकों को प्रशिक्षण दिया गया। अंतिम प्रश्न-पत्र की परीक्षा 5 फरवरी को संपन्न हुई जिसके मात्र 3 दिन बाद विश्वविद्यालय ने दो परीक्षा परिणाम घोषित कर दिये। शेष सभी परीक्षा परिणाम भी शीघ्र घोषित किये जा रहे है। वार्षिक परीक्षा पध्दति की तैयारी भी जारी है जो समय-सीमा में पूर्ण कर ली जायेगी।  
       विश्वविद्यालय द्वारा प्रारम्भ से ही एम.पी.ऑनलाईन के साथ अनुबन्ध कर विद्यार्थियों के सभी कार्य जैसे प्रवेश शुल्क, परीक्षा पूर्व के सभी कार्य आदि ऑनलाईन करने का निर्णय लिया गया जिससे वर्तमान में अन्य प्रमुख विश्वविद्यालयों की भांति छिन्दवाडा विश्वविद्यालय में भी सभी प्रक्रियायें ऑनलाईन हो रही हैं और इसी माध्यम से विद्यार्थियों ने अपना नामांकन कराया व परीक्षा फार्म भरे हैं। किसी भी विद्यार्थी को महाविद्यालय या विश्वविद्यालय नहीं दौडना पडा है। मध्यप्रदेश के कुलाधिपति की अध्यक्षता में निर्मित विश्वविद्यालय कंर्सोटियम से प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय अपने-अपने पास उपलब्ध मानव संसाधन, अधोसंरचना प्रयोग और बौध्दिक ज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए आपस में सहयोग  किया जाना  है। इसी तारतम्य में छिन्दवाडा विश्वविद्यालय के कुलपति एवं राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मध्य एक एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित हुआ है जिसमें नवनिर्मित छिन्दवाडा विश्वविद्यालय के लिये आवश्यक सभी साफ्टवेयर राजीवगांधी प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय व्दारा निर्मित किये जायेंगे।
      छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय की इन त्वरित शैक्षणिक गतिविधियों से विद्यार्थियों में अत्यंत उत्साह और जोश है। विद्यार्थी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से संतुष्ट है और इस विश्वविद्यालय के माध्यम से उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपने भविष्य को संवारने में लग गये हैं। सभी विद्यार्थी प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री नाथ और सांसद श्री नकुल नाथ को इस सौगात के लिये धन्यवाद दे रहे हैं।