देश / पहले देश में महामारिया फैला करती थी फिर लड़ाई किसने लड़ी कि हम 30 करोड़ से 133 करोड़ हो गये।

आलेखःमहामारी की कहानी
संघर्ष की जुबानी

भूपेंद्र गुप्ता के लिए इमेज नतीजे


भूपेन्द्र गुप्ता
बचपन में पिताजी बताया करते थे कि किस तरह आजादी के पहले देश में महामारिया फैला करती थी। गांव के गांव प्लेग,हैजा,चेचक जैसी महामारियो के शिकार हो जाते थे और कांग्रेस के कार्यकर्ता आइसोलेशन केम्पों में बीमारों की सेवा करते थे। सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता खुद महामारी के शिकार हो जाते थे। भीषण गरीबी और सीमित विज्ञान। आखिर फिर लड़ाई किसने लड़ी कि हम 30 करोड़ से 133 करोड़ हो गये।
वे बताते थे सागर में जब प्लैग फैला तब सेठ जी के बगीचे में केम्प लगा ।बीमारों को वहां शिफ्ट किया गया,हजारों लोग केम्प में थे।सेठ भगवान.दास को प्यार से लोग दाजी कहते थे।उन्होने अपनी पूरी ताकत केम्प में लगा दी। पिताजी कांग्रेस की तरफ से सेवा में थे,मां रो-रो कर बताती कि दादा(ताऊजी) का बड़ा (पहला) लड़का उसी केम्प में खत्म हो गया था।मां खूब याद करतीं कि वह कितना सुंदर था। आदि.. आदि ..फिर वे बतातीं कि उसी झटके में दादी चलीं गईं ..कहने लगतीं जाते जाते कह गई ।जानकी बेटा तुम उसका(बड़ी अम्मा) का ख्याल रखना वो दुखी है उसका बच्चा चला गया है ..मैं भी अब बचूंगीं नहीं सुबकती हुई मां बताती तुम्हारी दादी बचन की पक्की थी इतवार का बोली थी और उसी दिन देह त्याग दी।पिताजी की गोद में उनका सिर..बोली बेटा गोपाल अपना ख्याल रखना।
उस समय हर मर्ज की एक ही रामवाण दवा पेनिसिलीन होती थी । उस का इंजेक्शन ही अंतिम उपाय था,सैकड़ों लाखों लोग उससे बचे और मारे भी गये..लेकिन मनुष्य ने हार नहीं मानी ..वह लड़ता रहा..पिताजी कहते जिंदगी की अधिकतर लडा़ईयां इच्छा शक्ति से जिजीविशा से जीतीं जातीं है। मां बताती जब मैं दुनिया में आया चेचक फैली थी..बोली तुम्हें पहला (रुई) में रखकर बचाया । हर घर में अस्तित्व की ऐसी ही संघर्ष की कहानियां भरीं पड़ीं हैं।मानवता कभी हारी नहीं उसने मुकाबला किया और जीत दर्ज की।गिरना..उठना..खड़ा होना प्रकृति का नियम है।भगवत्ता खुद उंगली पकड़ती है।
कल प्लेग को हराया था अब करोना को हरायेंगे। टूटिये मत,सामना कीजिये। जो संक्रमित है वह भी अपना ही है उसे भी हिम्मत देना है जो संक्रमित नहीं है उसे बचाना है ।
दूसरा संघर्ष देखा हमने गैस त्रासदी का पहले तो लोग भागे फिर लौटकर देखा गैस शांत हो गई तालाबों के किनारे की नमी और थर्मल करंट से बने वैक्वम में वह सिमट गयी। और सैकड़ों हजारों समाजसेवी कार्यकर्ता जुट गये।अशोक जैन भाभा ,मालवीय जी,हमारी युवक कांग्रेस ,भाजपा के साथी,हिन्दु,मुस्लिम ,सिख ईसाई सब उतर पड़े और मानवता की जीत हुई। मानवता हमेशा जीतती है,यही भगवत्ता का गीत है। वह प्रकृति से टकराती भी है और उसे अपनाती भी है 'आज वही समय फिर है जीत की कहानी लिखने का'।