चीन-ब्रिटेन
चीन की विस्तारवादी नीति को झटका लगा है। भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में बदलाव के बाद कई देशों ने कोरोना के इस दौर में भी चीनी की अन्य देशों की कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने की मुहिम को झटका दिया है। ब्रिटिश सांसदों ने देश में निवेश को लेकर चीन सरकार की मदद करने वाली राजनीतिक हस्तियों व सलाहकारों के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया है।
डेली मेल में छपी खबर के मुताबिक, 'विदेशी मामलों की समिति के चेयरमैन टॉम टगेनडाथ ने कहा, नियमों से समझौता करने वालों में से कुछ संसद में बैठे थे और सरकार में सीखे गुर बेच रहे थे। चीन ने हाल ही में यूके की इमेजिनेशन टेक्नोलॉजी को टेकओवर करने की कोशिश की थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है।'
सख्त फैसला: विदेशी निवेश के बदले नियमों में दोनों को माना जाएगा एक
हांगकांग के रास्ते भी निवेश नहीं कर पाएगा चीन
चीनी निवेश पर लगाम लगाने के लिए बदले गए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियम हांगकांग पर भी लागू होंगे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नई नीति की व्यापक तौर पर व्याख्या की जाएगी और चीन व हांगकांग में कोई अंतर नहीं किया जाएगा।
दरअसल, निवेशकों व कारोबारियों के बीच यह भ्रम था कि नए नियम हांगकांग पर लागू होंगे या नहीं। चीनी निवेश का बड़ा हिस्सा हांगकांग के माध्यम से संचालित होता है। जानकारों का मानना था कि चीन इसका फायदा उठा सकता है। हांगकांग चीन का विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है, जो स्वायत्त है। हांगकांग ‘एक देश, दो सिस्टम’ नीति पर काम करता है।
नियमों में बदलाव पर तिलमिलाया चीन, बताया डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन
चीन ने भारत के एफडीआई नियमों में बदलाव को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन करार दिया। चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने सोमवार को कहा, कुछ खास देशों के लिए भारत के नए एफडीआई नियम डब्ल्यूटीओ के गैर भेदभाव वाले नियमों का उल्लंघन करते हैं। यह मुक्त व्यापार की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ है। बीते सप्ताह औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने एफडीआई नियमों में बदलाव करते हुए पड़ोसी देशों के लिए भारत में निवेश करने को लेकर सरकारी मंजूरी को अनिवार्य कर दिया था।
रोंग ने कहा, कंपनियां बाजार नियमों के आधार पर नीति बनाती हैं। हमें उम्मीद है कि भारत इनमें उपयुक्त संशोधन करेगा और अन्य देशों के साथ व्यापार की तरह ही व्यवहार करेगा। एक खुले, निष्पक्ष व व्यापार संगत माहौल को बढ़ावा देगा।
स्वीडन के प्रमुख ब्रांड खरीदने के करीब चीन...
चीनी निवेश को लेकर भारत ने सही समय पर कदम उठाया है। एचडीएफसी में एक फीसदी शेयर खरीदने के बाद चीन अब वोल्वो और हैसलबाल्ड जैसे प्रमुख ब्रांड को पूरी तरह खरीदने के करीब है। वोल्वो और हैसलबाल्ड में चीनी कंपनियां कई वर्षों से धीरे-धीरे अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही थीं।