क्लोरोक्वीन, रेम्डेसिविर से क्या सचमुच ठीक हो जाता है कोरोना?


अमेरिका के एरिजोना में हाल ही में एक व्यक्ति की मौत क्लोरोक्वीन दवा के सेवन से हो गई। उस व्यक्ति ने कहीं सुना था कि क्लोरोक्वीन कोरोना संक्रमण दूर करने में कारगर है। दुभार्ग्यवश इसमें कोई सच्चाई नहीं थी। इसके बाद अमेरिका के खाद्य और दवा विभाग को सामने आकर कहना पड़ा कि उसने कोरोना के उपचार के लिए क्लोरोक्वीन समेत किसी भी दवा को मंजूरी नहीं दे रखी है। दरअसल, दुनियाभर में क्लोरोक्वीन और एचआईवी ड्रग से कोरोना संक्रमण के खत्म होने का भ्रम फैल रहा है।


जानिए इन दवाओं की सच्चाई ..


मलेरिया में भी नहीं हो रहा इस्तेमाल
इसका इस्तेमाल मलेरिया ठीक करने के लिए होता रहा है। पर अब मलेरिया का मच्छर भी इस दवा के खिलाफ प्रतिरोध पैदा कर चुका है। ऐसे में कई देशों में अब मलेरिया के इलाज में भी डॉक्टर यह दवा नहीं देते।


चीनी शोध में अच्छे नतीजे मिले
नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक चीनी अध्ययन में दावा था,100 से ज्यादा मरीजों पर परीक्षण में अन्य दवा की तुलना में क्लोरोक्वीन के अच्छे नतीजे सामने आए थे। इस प्रकार मानव में एक्यूट वायरल रोग के उपचार के लिए क्लोरोक्वीन का यह पहला सफल प्रयोग था। हालांकि, यह ध्यान रखना चाहिए कि अवसाद, बाल टूटना, पेट और सिरदर्द जैसे साइड इफेक्ट भी हैं।


जानवरों पर बेअसर
इसका दूसरे प्रकार के कोरोना वायरस को फैलने से रोकने को लेकर प्रयोगशालाओं में परीक्षण हुआ था। जानवरों पर हुए परीक्षण में यह दवा बेअसर रही थी।


सार्स और मर्स पर काबू पाने में सफल
रेम्डेसिविर: इस दवा का इस्तेमाल इबोला के दौरान किया गया था लेकिन इससे कोई ज्यादा सफलता नहीं मिली थी। इसका निर्माण स्वस्थ कोशिकाओं को संक्रमित होने से बचाने के लिए किया गया था। हालांकि, नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के अध्ययन से पता चला कि यह दवा सार्स और मर्स फैलाने वाले कोरोना वायरस पर काबू पा सकती हैं।


एचआईवी ड्रग: आरंभिक स्तर में हैं परीक्षण
रिटोनाविर-लोपिनाविर: एचाईआईवी दवाओं से भी कोविड-19 के इलाज को लेकर शुभ संकेत मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन इन पर नजर बनाए हुए है। ये दवाएं वायरस में निश्चित एंजाइमों को ब्लॉक कर देती है, जिससे यह मानव कोशिका में अपना कुनबा नहीं बढ़ा पाता।
नतीजों के आंकड़े किए जा रहे इकट्ठे


नॉवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) पर इसके प्रभाव को लेकर अमेरिका से अच्छी खबर आई। द न्यू इंग्लैड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वहां दो मरीजों में यह दवा लेने के बाद सुधार नजर आया। हालांकि ऐसे मामलों के बहुत कम संख्या है, जिसके चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अभी और डाटा एकत्र करने की सलाह दी है।


लंबे शोध की जरूरत
हालांकि, इन दवाओं का अभी बहुत सीमित मामलों में ही असर देखा गया है। लिहाजा, इन्हें लेकर अभी बहुत लंबे शोध की जरूरत है। इसके चलते फिलहाल डॉक्टरों ने लोगों को ये दवाएं न लेने की सलाह दी है।
आईसीएमआर ने कहा- फिलहाल कोई टीका नहीं
आईएसीएमआर ने शनिवार को स्पष्ट किया है कि कोविड-19 के लिए दुनिया में कोई भी टीका मानव परीक्षण के चरण के लिए फिलहाल तैयार नहीं है।
गंभीर श्वसन रोग से पीड़ित हर मरीज में कोरोना के लिए जांच की जा रही है। 
ऐसे में एचआईवी-मलेरिया की दवाओं पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता है।