वाशिंगटन। पूरी दुनिया वैश्विक संकट कोविड-19 से जूझ रही है। दुनिया के सभी देशों में कोरोना की वैक्सीन को तैयार करने का काम जारी है। कई अमेरिकी कंपनियां भी इस खतरनाक वायरस की वैक्सीन तैयार करने में जुटी हुई है। वहीं, अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर इंक तथा जर्मन दवा कम्पनी बायोएनटेक ने घोषणा की है कि उनके द्वारा तैयार की कोरोना वायरस वैक्सीन का 4 मई को मानव परीक्षण शुरू किया गया। यदि ये परीक्षण सफल होते हैं, तो वैक्सीन सितंबर के शुरू में आपातकालीन उपयोग के लिए तैयार हो सकती है।
दोनों फर्म संयुक्त रूप से एक ऐसी वैक्सीन विकसित कर रहे हैं, जो कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश देती हैं। इस वैक्सीन से जेनेटिक मैटेरियल आरएनए को इंजेक्ट किया जाता, जो शरीर को प्रोटीन बनाने में मदद करता है। इसकी मदद से शरीर को इम्यून किया जा सकता है। वायरस आमतौर पर फेफड़ों की कोशिकाओं को चोक करने के लिए स्पाइक प्रोटीन बनाता है। टीका संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाता है। प्रौद्योगिकी का उत्पादन करने के लिए तेज होने का लाभ भी है, और पारंपरिक टीकों की तुलना में अधिक स्थिर है।
एक तरफ कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया में फैलता जा रहा है। वहीं इसके इलाज को लेकर वैज्ञानिक और शोधकर्ता दिनरात जुटे हैं। कोरोना वायरस के इलाज के लिए दुनिया की बड़ी दवा निर्माता कंपनी वैक्सीन बनाने की खोज लगी हुई हैं।
अगर कोई दवा कंपनी इसके इलाज वाली वैक्सीन को बनाने में कामयाब हो जाती है तो वो अरबों डॉलर की कमाई कर सकता है। इसलिए दुनिया की बड़ी से बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनियां कोरोना वायरस के इलाज की वैक्सीन की खोज में लगी हैं।
एक आंकड़े के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से ग्लोबल वैक्सीन मार्केट में 60 बिलियन यूएस डॉलर की बढ़त दर्ज की गई है। हालांकि ये इतना आसान नहीं है। इसके वैक्सीन की खोज को लेकर कई तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं। लेकिन अभी तक इस वैक्सीन की खोज नहीं की जा सकी।
वहीं, दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस का टीका विकसित करने, औषधि खोज, रोग-निदान और परीक्षण में भारत के प्रयासों की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की। मोदी ने कोरोना वायरस टीका विकास पर एक कार्यबल की बैठक की अध्यक्षता की। आधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई समीक्षा में शैक्षिक समुदाय, उद्योग और सरकार के असाधारण रूप से साथ आने का संज्ञान लिया गया। मोदी ने महसूस किया कि इस तरह का समन्वय और गति मानक संचालन प्रक्रिया में सन्निहित होनी चाहिए। बयान में कहा गया कि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संकट में जो संभव है, वह वैज्ञानिक कार्यप्रणाली की हमारी नियमित शैली का हिस्सा होना चाहिए। बैठक के बाद ये बताया गया कि देश में कोरोना की 30 टीकों को तैयार करने का काम अलग-अलग स्तर पर है। इनमें से कुछ का ट्रायल भी शुरू होने वाला है।