होते रहे गैस हादसे लेकिन नहीं लिया सबक, क्या विशाखापट्टनम हादसे से खुलेगी नींद?


1984 के दिसंबर में भोपाल गैस त्रासदी हुई थी जिसने भारत ही दुनिया को झकझोर दिया था। भोपाल गैस त्रासदी 20वीं सदी की सबसे बड़ी गैस त्रासदी थी। 1984 में 2-3 दिसंबर की आधी रात को भोपाल के यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) से मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस का रिसाव हुआ था जिससे हजारों लोगों की मौत हुई थी। इतना बड़ा यह हादसा कंपनी की लापरवाही की वजह से हुआ था। आजतक जितने भी गैस हादसे हुए हैं सभी भयावह रहे हैं, क्योंकि गैस हवा में तेजी से फैल जाती है।


भोपाल गैस त्रासदी कितनी खतरनाक थी, उसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि साल 2006 में एक हलफनामे में सरकार ने कहा था कि भोपाल गैस रिसाव के कारण 5,58,125 लोग प्रभावित हुए थे जिनमें से करीब 3,900 लोग गंभीर और स्थायी रूप से दिव्यांग हो गए थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस हादसे में 40 टन मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस का रिसाव हुआ था। 1984 में भोपाल की आबादी करीब 8.5 लाख थी जिनमें से 50 फीसदी लोगों को इस रिसाव के कारण खांसी, आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ जैसी दिक्कतों से सालों जूझना पड़ा।


विशाखापट्टनम में भोपाल जैसा हादसा
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एलजी पॉलिमर उद्योग में भी भोपाल गैस हादसा जैसा ही हादसा हुआ है। विशाखापट्टन को विजाग भी कहा जाता है, इसलिए इसे विजाग गैस लीक कहा जा रहा है। लॉकडाउन की वजह से फैक्टी बंद थी जिसे हाल ही में खोला गया था। सात मई की सुबह आरआर वेंकटपुरम गांव में गैस रिसाव हुआ जिसमें खबर लिखे जाने तक 10 लोगों की मौत हो गई थी और 800 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं। गैस का रिसाव बंद कर दिया गया है लेकिन हवा में गैस फैल चुकी है। राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीम मौके पर मौजूद है और हालत पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है। आइए समझते हैं विजाग गैसे हादसे को आंकड़ों में...


विजाग गैस रिसाव (Vizag Gas Leak)


क्या हुआ?


विशाखापट्टनम में एलजी के पॉलिमर प्लांट में 7 मई की सुबह 3 बजे गैस लीक हुई


कौन-सी गैस लीक हुई?


स्टाइरीन (Styrene), यह एक सिंथेटिक केमिकल है। इसे विनाइल बेंजीन भी कहते हैं। इसका रंग हल्का पीला होता है।


कितना इलाका प्रभावित हुआ?
4.82 किलोमीटर, 6 गांव खाली कराए गए


कितनी खतरनाक है गैस?
शरीर और आंखों में खुजली, श्वांस नली में दिक्कत


क्या हैं लक्षण?
सांस लेने में तकलीफ, हाथ में चकते, आंखों में जलन, उल्टी, बेहोशी


कितने लोग हुए प्रभावित?
अनुमानतः 5000 से अधिक


किसे है अधिक खतरा?
बच्चों और सांस के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है ये गैस


कहां होता है इस गैस का इस्तेमाल?
यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार स्टाइरीन का इस्तेमाल पॉलिस्टाइरीन प्लास्टिक, फाइबर ग्लास और रबड़ बनाने में होता है। इसके अलावा पाइप, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, प्रिंटिग और कॉपी मशीन, जूते और खिलौने आदि बनाने में किया जाता है।


कितनी भयावह थी भोपाल गैस त्रासदी?
गैस रिसाव के प्रमुख कारण
टैंक ई 610 में आवश्यकता से अधिक गैस भरी हुई थी।
गैस का तापमान भी निर्धारित 4.5 डिग्री की जगह 20 डिग्री था। 
23 दिसंबर की रात्रि को टैंक ई 610 से पानी का रिसाव हो जाने के कारण मिथाइल आइसोसायनेट गैस के पानी में मिल जाने से हुई रासायनिक प्रक्रिया की वजह से टैंक में ग्रीष्म दबाव पैदा हो गया। 
ग्रीष्म दबाव के कारण टैंक का तापमान लगभग 200 डिग्री के पार पहुंच गया, जिसके बाद टैंक के सेफ्टीवाल्व खुल जाने के कारण इस विषैली गैस का रिसाव वातावरण में हो गया।


कितना पड़ा गैस का प्रभाव?
मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के वातावरण में मिश्रित हो जाने से लोगों को सांस लेने में कठिनाई होने लगी। 
आंखों, फेफड़े, मस्तिष्क, मांसपेशियों और साथ ही तंत्रिका तंत्र, प्रजनन तंत्र एवं प्रतिरक्षा तंत्र पर इस विषैली गैस का दुष्प्रभाव हुआ। 
पूरा भोपाल एक गैस चैंबर बन गया था। इस त्रासदी का शिकार हुए वे लोग जो रोजी-रोटी की तलाश में दूर-दूर के गांवों से आकर यहां बस गए थे। 
इस जहरीली गैस के प्रतिविष ( एंटीडोट) की जानकारी न होने के कारण लोग तड़प-तड़पकर मर गए।
इस त्रासदी में 5,00,000 से भी ज्यादा लोगों का शरीर पीड़ादायक घावों से ग्रस्त हो गया। 
इस त्रासदी में 10,000 से भी अधिक लोगों की मृत्यु हो गई।
सेंटर फॉर साइंस एनवायरनमेंट द्वारा किए गए परीक्षण में इस बात की पुष्टि हुई कि फैक्ट्री और इसके आस-पास हजारों जानवरों ने प्राण त्याग दिए।
पेड़-पौधों व मिट्टियों पर भी इसका प्रभाव पड़ा एवं फैक्ट्री के आस-पास के 3 किमीमीटर के दायरे में भू-जल में 40 गुणा अधिक जहरीले तत्व मिले।


2014- भिलाई स्टील प्लांट में गैस रिसाव
साल 2014 में छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट में मीथेन गैस का रिसाव हुआ था जिसमें छह लोगों की मौत हुई थी और 40 से अधिक लोग घायल हुए थे। छह मृतक दो डिप्टी मैनेजर सहित राज्य सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी सेल के कर्मचारी शामिल थे। भिलाई स्टील प्लांट में 2018 में भी गैस पाइपलाइन में ब्लास्ट हुआ था जिसमें 14 लोगों की जान गई थी।


2017- दिल्ली गैस रिसाव
साल 2017 में देश की राजधानी दिल्ली में बड़ा गैस हादसा हुआ था जिसके बाद करीब 470 स्कूली लड़कियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में एक कंटेनर डिपो से गैस का रिसाव हुआ था। लीक हुई गैस क्लोरोमिथाइल थी जिसका इस्तेमाल कीटनाशक बनाने में किया जाता है। इस गैस रिसाव के बाद बच्चों में आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और चक्कर आने जैसी शिकायतें देखी गईं।


कुल मिलाकर देखा जाए तो ये सभी हादसे किसी-ना-किसी लापरवाही की वजह से ही हुए हैं, लेकिन हमने हर बार के हादसे को एक हादसा समझा और सबक नहीं लिए, ना ही गैस रिसाव के दौरान आपातस्थिति के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए।