कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मुख्य तौर पर सांस लेने में दिक्कत होती है। यह मुख्यत: मानव शरीर के फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करता है, लेकिन नए शोधों में पता चला है कि फेफड़े के अलावा कोरोना वायरस इंसान के दिल, दिमाग, किडनी, तंत्रिका, त्वचा आदि पर भी असर करता है। अमेरिका, इटली और चीन में हुए शोधों में इस बात के सबूत मिले हैं कि कोरोना वायरस हृदय को प्रभावित करता है। इससे होने वाली मौतों में हृदय रोग से पीड़ित लोगों की संख्या ज्यादा पाई गई है और साथ ही इससे संक्रमित मरीजों के हृदय कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के प्रमाण भी मिल चुके हैं। कोरोना संक्रमण के कारण मरीज के शरीर में मायोकार्डिटिस यानी हृदय की मांसपेशियों में सूजन भी देखी गई है।
फेफड़ों पर बुरा प्रभाव
कोविड-19 में सबसे ज्यादा प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। चीन में हुए शोध में पता चला है कि कोरोना बीमारी से ठीक हुए मरीजों के फेफड़ों के कुछ हिस्सों ने काम करना बंद कर दिया है। कुछ मरीजों में फेफड़े का 20 से 30 फीसदी हिस्सा प्रभावित हुआ है। मालूम हो कि फेफड़े का आकार छोटा होने से सांस लेने की क्षमता प्रभावित होती है। प्रभावित व्यक्ति को जल्दी—जल्दी सांस लेना पड़ता है और इसका असर कार्यक्षमता पर भी पड़ता है।
नसों में भी सूजन
कोरोना वायरस के कारण शरीर की नसों में भी सूजन देखने को मिला है। ज्यूरिख यूनिवर्सिटी अस्पताल के डॉक्टरों ने इस बीमारी से मरने वाले मरीजों के शरीर की ऑटोप्सी के दौरान देखा कि इनकी नसों में आंतरिक सूजन पैदा हो गई थी। नसों के जरिए ही खून शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचता है। नसों में सूजन के कारण खून नहीं पहुंचने से दिमाग समेत शरीर के दूसरे अंग भी काम करना बंद कर देते हैं, जो मौत का कारण बनता है।
दिमाग पर भी बुरा असर
कोरोना से पहले फैल चुके सार्स और मर्स वायरस ने तंत्रिका कोशिकाओं के जरिए दिमाग को नुकसान पहुंचाया था। कोराना के मामले में जापान में जब एक मरीज को मिर्गी के दौरे पड़ने लगे तो डॉक्टरों ने पाया कि उसके दिमाग में सूजन आ गई है। उन्होंने पाया कि कोरोना वायरस उसके दिमाग तक पहुंच गया था। चीन और जापान के शोधकर्ताओं ने भी पाया है कि कोरोना वायरस दिमाग में पहुंच जाएं तो दिमाग की कोशिकाओं को भी नष्ट करने लगते हैं।
किडनी को भी प्रभावित करता है
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना संक्रमित मरीज को अगर निमोनिया भी है और उसे वेंटिलेटरकी जरूरत पड़ती है तो उसके किडनी को भी नुकसान पहुंच सकता है। निमोनिया की वजह से फेफड़ों में द्रव जमा होने लगता है, जिसके हटाने के लिए मरीज को दवा दी जाती हैं। इन दवाओं से किडनी में होने वाली ब्लड सप्लाई प्रभावित होती है। कोरोना वायरस के कारण खून जमने की स्थिति में भी किडनी तक ब्लड नहीं पहुंच पाता और किडनी में समस्या हो सकती है।
त्वचा और तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव
पिछले दिनों कोरोना से पीड़ित मरीजों की त्वचा पर रैशेज यानी चकत्ते भी पाए गए, जिसे कोविड-19 के लक्षणों में शामिल किया गया। कई मरीजों के पैर की अंगुलियों पर बैंगनी रंग के धब्बे दिखाई दिए थे। वहीं, चीन में भी कुछ मरीजों की त्वचा के रंग में बदलाव देखे गए थे। वहीं, बेल्जियम में हुए शोध में पता चला है कि तंत्रिका कोशिकाओं पर भी कोरोना का असर होता है। तंत्रिका कोशिकाएं कोरोना वायरस के मुख्य तंत्रिका तंज में पहुंचने का मुख्य द्वार होती हैं।