कोरोना कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। दुनिया के 200 के करीब देशों में कोरोना से अब तक दुनिया में एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और दुनियाभर के डॉक्टर कोरोना की वैक्सीन ढूंढने में व्यस्त है।
मोनाश बायोमेडिकल डिस्कवरी इंस्टीट्यूट और डॉहार्टी इंस्टीट्यूट ने मिलकर एक साझा रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में एक एंटी पैरासिटिक दवा उपलब्ध है जो कोरोना को 48 घंटे में खत्म कर सकती है।
मोनाश इंस्टीट्यूट की डॉक्टर काइली वॉगस्टाफ के मुताबिक वैज्ञानिकों ने पाया है कि इवेरमेक्टिन की एक खुराक से कोशिका संवर्धन में बढ़ रहे कोरोना वायरस को रोका जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दवा का सेवन दो दिनों में वायरस के सभी अनुवांशिक पदार्थों को उचित ढंग से खत्म कर सकता है।
इवेरमेक्टिन दवा से अन्य वायरस को खत्म करने में सहायता मिली है। इस दवा ने एचआईवी, डेंगू, इन्फ्लूएंजा, और जीका वायरस जैसे बीमारियों पर जीत हासिल की है। डॉ वॉगस्टाफ का कहना है कि ये पता लगाना जरूरी है कि इवेरमेक्टिन की कितनी मात्रा का सेवन करने से कोरोना को खत्म किया जा सकता है।
डॉ वॉगस्टाफ का मानना है कि जब तक कोरोना की असली वैक्सीन का पता नहीं लगाया जा पा रहा है तब तक इवेरमेक्टिन के प्रयोग पर शोध कर सकते हैं। हालांकि वॉगस्टाफ ने आगाह किया है कि अभी ये अध्ययन विट्रो तौर पर किया गया है और उसे लोगों पर परीक्षण करना बाकी है। ये पता लगाना जरूरी है कि क्या ये दवा इंसानों पर इस्तेमाल की जा सकती है या नहीं? क्या ये दवा इंसानों पर प्रभावी रहेगी?
डॉ वॉगस्टाफ साल 2012 से इवेरमेक्टिन पर शोध कर रही है, इसी के साथ मोनाश इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डेविड जांस की मदद से उन्होंने इस दवा के एंटी वायरल होने का पता किया। प्रोफेसर डेविड जांस और उनकी टीम 10 साल से इवेरमेक्टिन दवा पर रिसर्च कर रही है।
कोरोना महामारी के शुरू होते ही डॉ वॉगस्टाफ और प्रोफेसर डेविड जांस ने कोरोना से लड़ने के लिए इवेरमेक्टिन दवा पर जांच करना शुरू कर दिया था। हालांकि अभी तक दवा का परीक्षण इंसान पर नहीं हुआ है लेकिन डॉ वॉगस्टाफ का कहना है कि इवेरमेक्टिन का कोरोना पर कितना असर पड़ेगा ये जांच के परिणाम के बाद ही चल पाएगा।