मध्यप्रदेश में भाजपा को चैन से नहीं बैठने देंगे कमलनाथ,


मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कांग्रेस छोड़कर भाजपाई हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया से राजनीतिक बदला लेना चाहते हैं। कमलनाथ की इस मंशा को पूरा करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर्दे के पीछे से सक्रिय हैं और कांग्रेस हाई कमान इस मामले में चुप है। जीतू पटवारी की भी सक्रियता बढ़ गई है।


ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक बागी विधायकों ने भी इसे महाराज की इज्जत का सवाल मानकर तैयारी तेज कर दी है। पूर्व मंत्री इमरती देवी के बयान के बाद सूबे की राजनीति काफी गरमाई है।
दिलचस्प है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण अभी उपचुनाव कब होगा, कहा नहीं जा सकता, लेकिन पिछले 18 साल में यह पहला समय है, जब शिवराज सिंह चौहान पीछे छूट गए हैं।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता शिवराज के पीछे छूटने और राजनीति के कमलनाथ बनाम सिंधिया का रूप लेने पर मुस्कराकर कहते हैं कि होने दीजिए। जब चुनाव की तारीखें घोषित होगीं तो सब बदल जाएगा। सूत्र का कहना है कि ग्वालियर के महाराज अब भाजपा के नेता हैं।


उनके  मान, सम्मान की हिफाजत हमारा काम है। सिंधिया ने कमलनाथ को कुर्सी से पलट दिया है तो पूर्व मुख्यमंत्री आखिर इसे कैसे भूल सकते हैं?


भाजपा के एक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का भी कहना है कि उपचुनाव से पहले का माहौल भले सिंधिया बनाम कमलनाथ का रूप लेता दिखाई दे, लेकिन अंतत: यह भाजपा बनाम कांग्रेस ही होगा। शिवराज सिंह चौहान भाजपा का मध्यप्रदेश में चेहरा हैं। राज्य के मुख्यमंत्री हैं।


कमलनाथ को वह जवाब देने में सक्षम हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। इसलिए भाजपा के लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। अभी तो पार्टी का उससे ज्यादा ध्यान मध्यप्रदेश में सही समय पर मंत्रिमंडल के विस्तार पर है।


क्या है कमलनाथ का प्लान?
मध्यप्रदेश में 24 सीटों पर उपचुनाव होना है। 22 सीटें ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बागी हुए विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई हैं और दो सीट एक भाजपा और एक कांग्रेस के विधायक की मृत्यु से रिक्त है।


इनमें से कमलनाथ की निगाह 18-20 सीटों पर टिकी है। टीम कमलनाथ इसे सिंधिया का कांग्रेस पार्टी को धोखा देने के रूप में लगातार प्रचारित कर रही है।


कांग्रेस के नेताओं का यह भी कहना है कि भाजपा ने कोविड-19 संक्रमण के बाबत कांग्रेस की सरकार गिराने के चक्कर में पूरे प्रदेश के निवासियों की जान खतरे में डाल दी। अब राज्य उसका खामियाजा भुगत रहा है।


इसके साथ-साथ ग्वालियर चंबर संभाग में 15 सीटों पर कांग्रेस के नेताओं ने कोशिशें तेज कर दी है। पार्टी की निगाह उन नेताओं पर है जो भाजपा का यहां खेल बिगाड़ सकते हैं।


इस क्षेत्र के तमाम भाजपा नेता जीवन भर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों का विरोध करते रहे हैं। अब उनके सामने अपना राजनीतिक वजूद बनाए रखने की चुनौती है। इस बीच ज्योतिरादित्य ने भाजपा विधायकों और नेताओं के संपर्क में होने का बयान देकर भी भाजपा के खेमे में हलचल बढ़ा दी है।
भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा भी गोटी बिछाने में माहिर हैं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी तेल और तेल की धार दोनों देख रहे हैं। उनका ध्यान अभी प्रशासनिक कामकाज की तरफ ज्यादा है। लेकिन भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा चुप नहीं बैठे हैं।


वह ग्वालियर चंबल संभाग के नेताओं से लगातार फीडबैक ले रहे हैं। भाजपा के जिलाध्यक्षों, क्षेत्रीय नेताओं के संपर्क में हैं। वीडी शर्मा की टीम को लग रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के साथ वह भाजपा की नैया पार लगा ले जाएंगे।


सूत्र बताते हैं कि सिंधिया समर्थक नेताओं ने भी कसरत बढ़ाई है। हालांकि अभी वह भाजपा नेताओं के बीच में घुलमिल नहीं पा रहे हैं। सिंधिया समर्थक नेताओं के बयान, व्यवहार को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के पास शिकायत आने का सिलसिला जारी हैै।
भाजपा ने संक्षिप्त विस्तार में दिया संदेश, लेकिन परेशानी भी कम नहीं
भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के संक्षिप्त मंत्रिमंडल विस्तार में अपना संदेश तो दिया, लेकिन अंदरखाने में बात नहीं बनी है। बताते हैं इसके चलते अभी तक शिवराज चौहान मंत्रिमंडल के 29 मंत्रियों का शपथ ग्रहण रुका है।


संक्षिप्त मंत्रिमंडल में तीन मंत्री भाजपा के, दो सिंधिया के साथ गए विधायक बने। नरोत्तम मिश्रा न केवल मंत्री बने हैं, उनके पास महत्वपूर्ण विभाग भी है। नरोत्तम के जरिए भाजपा ने यह संदेश देने की कोशिश की कि वह सबको साथ लेकर चलेगी।


हालांकि अब सबसे बड़ी चुनौती साथ लेकर चलना ही बन रही है। भाजपा के कई दिग्गज, उत्साही नेता मंत्रिमंडल में जगह चाहते हैं। वह इसके लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं।


सिंधिया का खेमा भी अपने राजनीतिक तरीकों से अपना दबाव बनाए है। उपचुनाव भी होना है। इस पर कांग्रेस की भी नजर है। इतना भाजपा की परेशानी बढ़ाने के लिए काफी है।