इंदौर / 100 करोड़ की धोखाधड़ी मामले के आरोपी पति-पत्नी 51 कंपनियों का संचालन कर रहे थे

  • ईओडब्ल्यू की जांच में 100 से अधिक बैंक खाते भी मिले

  • दोनों आरोपी अब भी फरार, लुकआउट नोटिस जारी

    फर्जीवाड़ा करने वाले ऋण माफिया संजय द्विवेदी और उसकी पत्नी नेहा द्विवेदी।sanjay neha dwivedi के लिए इमेज परिणामइंदौर. 100 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा करने वाले ऋण माफिया संजय और नेहा द्विवेदी द्वारा 51 कंपनियों का संचालन किए जाने की जानकारी सामने आई है। ईओडब्ल्यू ने आरोपियों के ठिकानों से जो दस्तावेज जब्त किए थे उनकी जांच में यह बात पता चली है। इसके साथ ही दोनों के 100 बैंक खातों की जानकारी भी ईओडब्ल्यू को मिली है। इन खातों के द्वारा करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया है। फिलहाल दोनों आरोपी फरार हैं जिनकी तलाश की जा रही है। दोनों के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया जा चुका है।



    ईओडब्ल्यू एसपी एसएस कनेश के मुताबिक 20 जनवरी को संजय और नेहा के इंदौर स्थित 5 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई को अंजाम दिया था। इस दौरान ठिकानों से एग्रीमेंट और संपत्ति बंधक से जुड़े कागजात जब्त किए गए थे। अलग-अलग कंपनी और डायरेक्टर्स के नाम से बनाई गईं बोगस सील भी जब्त की गई थी। दो बोरी दस्तावेज कब्जे में ले लिए हैं, जबकि बाकी 23 बोरी को सील कर दिया है। 



    दस्तावेजों की जांच में आरोपी पति-पत्नी द्वारा 51 कंपनियों का संचालन किए जाने की बात पता चली है। वहीं लगभग 100 बैंक खाते भी जांच में मिले हैं जिसमें करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन होना पाया गया है। आरोपी संजय द्वारा मांगलिया में जमीन व अन्य जगह एक फ्लैट भी खरीदा गया है। आरोपियों की अन्य संपत्तियों को लेकर ईओडब्ल्यू द्वारा नगर निगम, इंदौर विकास प्राधिकरण आदि को पत्र भी लिखा गया है। संजय द्विवेदी के सीए से भी पूछताछ की जा रही है।



    बेटमा और देपालपुर में दर्ज है केस
    आरोपियों के खिलाफ बेटमा और देपालपुर थाने में किसानों ने एफआईआर कराई थी। एक पीड़ित महेश पुरी ने 11 जनवरी को ही धोखाधड़ी करने सहित अन्य मामलों में केस दर्ज कराया। मामले में पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई की जाती इसके पहले ही पति-पत्नी फरार हो गए जिनकी तलाश की जा रही है।



    2012 से फर्जीवाड़ा कर रहा है संजय
    आरोपी संजय 2012-13 से ठगी कर रहा है। ऑनलाइन जारी होने वाले टेंडर के प्रिंट आउट निकालकर वह लोगों को प्रोजेक्ट मिलने का झांसा देता था। फिर उन्हें पार्टनर बनाता, उनकी संपत्ति बैंक में बंधक रखवाता और लोन निकाल लेता। संजय और पत्नी नेहा 2006-07 में एक निजी बैंक में नौकरी करते थे। यहीं दोनों ने सीखा कि किस तरह फर्जी कंपनी, दस्तावेज बनाकर लोन लिया जा सकता है। इसके बाद दोनों ने नौकरी छोड़ दी।



    दिखावे के जेसीबी, पोकलेन, क्रेन कभी इस्तेेमाल नहीं किए
    संजय, नेहा ने 30 कंपनी बना रखी थी। इनमें रियल एस्टेट से लेकर निवेश कंपनियां तक शामिल हैं। हकीकत में कहीं काम नहीं किया। ईओडब्ल्यू को जितने भी दस्तावेज मिले हैं, उनमें टेंडर की फोटोकॉपी, प्रोजेक्ट रिपोर्ट व लोगों को पार्टनर बनाने के एग्रिमेंट ही हैं। संजय ने दूसरी फर्जी कंपनी ई-बिज गेटवे के जरिए भी लोगों से काफी निवेश कराया। लोगों को फंसाने के लिए संजय ने जेसीबी, पोकलेन, क्रेन, मिक्सर खरीद रखे थे। इनका उपयोग कभी नहीं किया।