श्योपुरकलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल/ जिले के आदिवासी विकाखण्ड कराहल क्षेत्र के ग्राम करियादेह, कराहल, डूंडीखेड़ा में गठित किये गये तीन स्वसहायता समूह वैष्णव, राधा, धूमजी मछली पालन के क्षेत्र में तरक्की की रफ्तार पकड रहे है। इन समूहों ने मत्स्य विभाग से मछलियों का बीज प्राप्त कर मछली बेचने के व्यवसाय में आगे बढ रहे है।
आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम करियादेह में गठित किये गये वैष्णो देवी स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती भूरी पटेरिया, धूमजी स्वसहायता समूह डूंडीखेड़ा के अध्यक्ष श्री नवल आदिवासी एवं राधा स्वसहायता समूह कराहल की अध्यक्ष श्रीमती कलिया बाई को ग्राम भ्रमण के दौरान आजीविका मिशन के मैदानी कर्मचारियों की सलाह दी कि मत्स्य विभाग से बीज प्राप्त कर तालाब में मछली उत्पादन किया जा सकता है। तब उनकी समझाइश पर समूह की अध्यक्षो द्वारा मत्स्य पालन करने की दिशा में मछली पालन विभाग के सहायक संचालक श्री बीपी झसिया से संपर्क किया। साथ ही उनकी पहल पर तीनो स्वसहायता समूहो के प्रकरण तैयार कराये।
इसी प्रकार इन समूहों को 1 लाख 73 हजार रूपये के मान से मत्स्य बीज प्रदान किया गया। जिसमें कतला, रूहू, नरेन पालने वाले प्रजातियों के बीज 150 रूपए प्रति हजार के मान से उपलब्ध कराए गए। यह मछलियां शनै-शनै बड़ी होती गई। इस बीज के माध्यम से मछली उत्पादन में समूहों के श्रीमती भूरी पटेरिया, श्री नवल आदिवासी एवं श्रीमती कलिया बाई अपने-अपने तालाबों में मछली का उत्पादन बढाने के लिए भरपूर प्रयास किये। जिसके अंतर्गत तीनो समूह आर्थिक तरक्की की रफ्तार पकडते हुए तीन-तीन लाख रूपए का बीज बेचने में सहायक बन रहे हैं।
सहायक संचालक मछली पालन श्री बीपी झसिया ने बताया कि कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल के निर्देशन में समूहो को आगे बढाने के प्रयास किये जा रहे है। जिसमें सहायक संचालक मछली पालन श्री बीपी झसिया ने बताया कि मत्स्यउद्योग के कराहल स्थित प्रक्षेत्र में करीबन 30 लाख मछलियों के बीज का उत्पादन किया जा रहा है। जिससे आदिवासी क्षेत्र के समूहों को मत्स्य बीज की आवश्यकतानुसार आपूर्ति की जा रही है।
जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम करियादेह की निवासी श्रीमती भूरी पटेरिया, डूंडीखेडा के श्री नवल आदिवासी, कराहल की श्रीमती कलिया बाई ने बताया कि मप्र सरकार के माध्यम से मछली पालन के लिए सहरिया परिवारों को शासकीय दर पर मत्स्य बीज उपलब्ध कराया गया था। इस बीज का उपयोग अपने तालाबो में किया जाकर मछलिया बेचने के कारोबार को बढाया जा रहा है। हमे बीज पर अनुदान राशि भी प्रदान की गई है। जिससे भी समूहो की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। यह सब करिश्मा मप्र सरकार, जिला प्रशासन एवं मछली पालन विभाग के द्वारा हुआ है।
आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम करियादेह में गठित किये गये वैष्णो देवी स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती भूरी पटेरिया, धूमजी स्वसहायता समूह डूंडीखेड़ा के अध्यक्ष श्री नवल आदिवासी एवं राधा स्वसहायता समूह कराहल की अध्यक्ष श्रीमती कलिया बाई को ग्राम भ्रमण के दौरान आजीविका मिशन के मैदानी कर्मचारियों की सलाह दी कि मत्स्य विभाग से बीज प्राप्त कर तालाब में मछली उत्पादन किया जा सकता है। तब उनकी समझाइश पर समूह की अध्यक्षो द्वारा मत्स्य पालन करने की दिशा में मछली पालन विभाग के सहायक संचालक श्री बीपी झसिया से संपर्क किया। साथ ही उनकी पहल पर तीनो स्वसहायता समूहो के प्रकरण तैयार कराये।
इसी प्रकार इन समूहों को 1 लाख 73 हजार रूपये के मान से मत्स्य बीज प्रदान किया गया। जिसमें कतला, रूहू, नरेन पालने वाले प्रजातियों के बीज 150 रूपए प्रति हजार के मान से उपलब्ध कराए गए। यह मछलियां शनै-शनै बड़ी होती गई। इस बीज के माध्यम से मछली उत्पादन में समूहों के श्रीमती भूरी पटेरिया, श्री नवल आदिवासी एवं श्रीमती कलिया बाई अपने-अपने तालाबों में मछली का उत्पादन बढाने के लिए भरपूर प्रयास किये। जिसके अंतर्गत तीनो समूह आर्थिक तरक्की की रफ्तार पकडते हुए तीन-तीन लाख रूपए का बीज बेचने में सहायक बन रहे हैं।
सहायक संचालक मछली पालन श्री बीपी झसिया ने बताया कि कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल के निर्देशन में समूहो को आगे बढाने के प्रयास किये जा रहे है। जिसमें सहायक संचालक मछली पालन श्री बीपी झसिया ने बताया कि मत्स्यउद्योग के कराहल स्थित प्रक्षेत्र में करीबन 30 लाख मछलियों के बीज का उत्पादन किया जा रहा है। जिससे आदिवासी क्षेत्र के समूहों को मत्स्य बीज की आवश्यकतानुसार आपूर्ति की जा रही है।
जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम करियादेह की निवासी श्रीमती भूरी पटेरिया, डूंडीखेडा के श्री नवल आदिवासी, कराहल की श्रीमती कलिया बाई ने बताया कि मप्र सरकार के माध्यम से मछली पालन के लिए सहरिया परिवारों को शासकीय दर पर मत्स्य बीज उपलब्ध कराया गया था। इस बीज का उपयोग अपने तालाबो में किया जाकर मछलिया बेचने के कारोबार को बढाया जा रहा है। हमे बीज पर अनुदान राशि भी प्रदान की गई है। जिससे भी समूहो की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। यह सब करिश्मा मप्र सरकार, जिला प्रशासन एवं मछली पालन विभाग के द्वारा हुआ है।