मध्य प्रदेश / राजधानी से मिलता है 40 फीसदी टैक्स... फिर भी जीएसटी का ट्रिब्यूनल इंदौर में खोलने का प्रस्ताव

भोपाल क्षेत्र का कर संग्रह और ट्रिब्यूनल में जाने वाले प्रकरण भी इंदौर से काफी अधिक हैं


जीएसटी का ट्रिब्यूनल इंदौर के लिए इमेज परिणामजीएसटी का ट्रिब्यूनल इंदौर के लिए इमेज परिणामभोपाल। पूर्ववर्ती मप्र सरकार ने जीएसटी ट्रिब्यूनल का कार्यालय इंदौर में खोलने का प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल में दिया था। इससे राजधानी और इससे लगे क्षेत्रों में काम कर रहीं सरकारी और निजी क्षेत्र की बड़ी कंपनियां और व्यापारी खासे हैरान हैं, क्योंकि वैट का एपेलेंट ट्रिब्यूनल पहले ही अरेरा हिल्स स्थित नर्मदा भवन में कार्यरत है। अब वैट की जगह जीएसटी आ गया है। ऐसे में जीएसटी का ट्रिब्यूनल भी उसी जगह काम कर सकता था। उसके लिए इंदौर में अलग भवन बनाने का कोई तुक नहीं था।



दिलचस्प बात यह है कि भोपाल क्षेत्र का कर संग्रह और ट्रिब्यूनल में जाने वाले प्रकरण भी इंदौर से काफी अधिक हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हालांकि ट्रिब्यूनल के गठन पर अभी कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन काउंसिल ने पूर्ववर्ती सरकार की सिफारिश मानकर वहां ट्रिब्यूनल खोलने का निर्णय ले लिया तो भोपाल में कार्यरत कई सरकारी क्षेत्र की बैंकों और तेल कंपनियों को भी अपने जोनल ऑफिस इंदौर शिफ्ट करने पड़ सकते हैं। अभी ये राजधानी में काम कर रहे हैं। इनके जरिए राज्य सरकार को कुल जीएसटी संग्रह का 40% हिस्सा मिल रहा है। 



टैक्स लॉ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एस कृष्णन ने कहा कि हर राज्य में जीएसटी ट्रिब्यूनल राजधानी में हैं, इसलिए मप्र में भी यहीं होना चाहिए। 10 साल पहले राजस्व संग्रह में इंदौर राजधानी से आगे हुआ करता था, लेकिन 2011 के बाद से लगातार भोपाल में राजस्व इंदौर से ज्यादा मिल रहा है। ऐसे में इसका भी कोई आधार नहीं बनता कि इंदौर एक व्यापारिक राजधानी है। वहां कारोबार ज्यादा है।


कुछ दिन पहले डीजीएफटी का कार्यालय भी इंदौर शिफ्ट कर दिया था, लेकिन उद्यमी कोर्ट गए। वहां उन्होंने भोपाल में ऑफिस जारी रखने की ठाेस वजह बताई, जिससेशिफ्टिंग रुक गई। सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए। यह भी एक तरह से अप्रत्यक्ष कर के ट्रिब्यूनल की शिफ्टिंग का ही मामला है। अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर उद्यमी कोर्ट की शरण लेंगे।
डॉ. आरएस गोस्वामी, एफएमपीसीसीआई, भोपाल