मप्र / पीएससी उम्मीदवाराें की याचिका पर हाईकाेर्ट का फैसला, भर्ती में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर अभी रोक

  • निर्देश- जब तक सरकार जवाब दे, तब तक 14% कोटा जारी रखें

  • आगे क्या- अगली सुनवाई 12 को, 400 नियुक्तियां प्रभावित


    मप्र लोक सेवा आयोग के लिए इमेज परिणामभोपाल/जबलपुर. हाईकोर्ट ने मप्र लोक सेवा आयोग की आगामी भर्ती परीक्षाअाें में ओबीसी को बढ़ा हुआ 27% आरक्षण देने पर फिलहाल रोक लगा दी है। पीएससी उम्मीदवारों के अंतरिम आवेदन पर सरकार का जवाब नहीं आने पर हाईकोर्ट ने मंगलवार काे यह फैसला दिया। इन उम्मीदवाराें ने याचिका में कहा है कि एमपीपीएससी ने 14 नवंबर को विज्ञापन जारी कर तहसीलदार, नायब तहसीलदार, लेबर इंस्पेक्टर सहित कुल 450 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं।


    दलील दी गई कि आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने से सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों का हक मारा जाएगा। चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि जब तक सरकार इनकी याचिका पर जवाब दाखिल नहीं करती, तब तक एमपीपीएससी अाेबीसी काे 14% अारक्षण जारी रखे।  मामले में अगली सुनवाई 12 फरवरी काे हाेगी। हाईकाेर्ट के ताजा फैसले से पीएससी की करीब 400 नियुक्तियां प्रभावित हाेंगी।


    इनकी याचिका पर सुनवाई
    यूथ फॉर इक्वेलिटी संस्था, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ पीजी नाजपांडे, मेडिकल छात्र आशिता दुबे, रिचा पांडे, पीएससी उम्मीदवार सूर्यकांत शर्मा, पियूष जैन आदि ने याचिका दाखिल की है।



    काेर्ट में 11 याचिकाओं से चुनाैती
    प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी के मद्देनजर शासकीय सेवाओं में ओबीसी को दिया जाने वाला आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 फीसदी करने को चुनौती देने वाली अब तक 11 याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर हो गई हैं।


    तर्क : इतने आरक्षण से अनुच्छेद 14, 15 एवं 16 का उल्लंघन 



    •  याचिकाकर्ताओं ने बताया कि ओबीसी आरक्षण 14 से 27% करना अनुच्छेद 14, 15 एवं 16 की उपधारा 4 का उल्लंघन है। 

    •  सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की पीठ ने 1995 में इंदिरा साहनी केस में स्पष्ट आदेश दिया था कि किसी भी परिस्थिति में कुल आरक्षण 50% से अधिक न हो। 

    •  अभी अनुसूचित जाति को 16, जनजाति को 20, ओबीसी को 14% आरक्षण देने का प्रावधान है। ओबीसी कोटा 27% करने से कुल कोटा 63% हाे गया। 

    •  आर्थिक कमजोर सामान्य वर्ग को भी 10% आरक्षण दिया है। ऐसे में सामान्य वर्ग के लिए सिर्फ 27% सीट ही बचती हैं।


    सरकार का जवाब : इसलिए बढ़ाया आरक्षण... कोर्ट को सरकार ने बताया कि 1990 में आई महाजन आयोग की सिफारिश के आधार पर ओबीसी आरक्षण 27% किया गया है। प्रदेश में प्रतिनिधित्व के आधार पर ओबीसी को अधिक आरक्षण की जरूरत है।