- हर जिले में एक समूह ही संभालेगा पूरा कारोबार, इस साल संशोधित नीति से होगी नीलामी
- यह भी अहम : शराब दुकान का लाइसेंस दो साल के लिए मिलेगा, अभी लिमिट एक साल
भोपाल . प्रदेश सरकार आबकारी नीति में बड़े बदलाव करने जा रही है। इसके मुताबिक शराब की दुकानें अलग-अलग नीलाम करने के बजाए ठेकेदारों के समूहों को एक या दो जिलों की सभी दुकानें देने की तैयारी है। इतना ही नहीं, एक साल का लाइसेंस देने और अगले साल टेंडर करने की व्यवस्था को भी बदलकर दो साल का लाइसेंस दिया जा सकता है।
आबकारी विभाग के आला अधिकारियों के साथ शराब कारोबारियों की चर्चा हो चुकी है। बताया जा रहा है कि कारोबारियों की मंशा के अनुरूप इस तरह के बदलाव की तैयारी है। 16 साल पहले दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते शराब का कारोबार समूहों के ही हाथ में था। इसके बाद भाजपा के सत्ता में आने पर यह नीति बदल दी गई थी।
तब... 9 कारोबारियों के हाथ में था सभी दुकानों का काम
- दिग्विजय सरकार के समय मप्र में नौ लोगों के हाथों में ही शराब का काम था।
- फिर भाजपा शासन में आबकारी आयुक्त रहे ओपी रावत ने नीति बदली और 3000 शराब दुकानों की नीलामी की गई।
- इसके बाद दिग्विजय सरकार में सक्रिय रहे नौ लोगों के पास सिर्फ 5 से 7% ही दुकानें बची थीं।
- इससे 2003-04 तक 750 करोड़ तक का सालाना रेवेन्यू सीधे 200 करोड़ रु. बढ़ गया। 2019-20 में 11 हजार 500 करोड़ हो गया।
अभी दुकानें
- देसी शराब - 2544 हैं अभी, जो 2015-16 में 2624 थीं
- अंग्रेजी शराब- 1060 हैं अभी, जो 2015-16 में 1061 थीं।
अब : एक अप्रैल से नए सिरे से नीलामी
अब राज्य सरकार पुरानी व्यवस्था में जाने वाली है। एक अप्रैल से पहले शराब दुकानों की नए सिरे से नीलामी प्रस्तावित है। इसलिए प्रयास किया जा रहा है कि नीति में जल्द से जल्द बदलाव कर दिया जाए।अभी : प्रदेश में 1242 शराब कारोबारी
इनमें से 700 के पास शराब की दुकानें हैं। पांच सौ एेसे ठेकेदार हैं, जिनके पास दो दुकानें हैं। नीति बदली तो यह संख्या 50 से 100 के बीच रह जाएगी। अगले वर्ष के लिए 20% लाइसेंस फीस बढ़ाकर नवीनीकरण हो रहा है।दस साल में एक बार ही हुई दुकानों की नीलामी
लंबे समय से शराब कारोबारियों का लाइसेंस नवीनीकरण ही किया जाता रहा। दस साल में आखिरी बार नीलामी 2015-16 में हुई। अब वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए नीलामी प्रस्तावित है। आबकारी विभाग काे उम्मीद है कि इससे राजस्व बढ़ जाएगा। वर्ष 2018-19 में करीब 9000 करोड़ रेवेन्यू था, जिसे 2019-20 में बढ़ाकर 11500 करोड़ रुपए कर दिया गया। अब इस लक्ष्य से भी आगे बढ़ना है।
शराब कारोबारियों के समूह संभालेंगे जिलों की सभी दुकानें; आबकारी नीति में बड़े संशोधन की तैयारी शुरू