उपभोक्ता फोरम का फैसला / रिलायंस फ्रेश पर 2.27 लाख का जुर्माना, हेयर ऑइल का प्रिंट से ज्यादा रुपए लेना और कैरीबैग का चार्ज वसूलना पड़ा भारी

  • फोरम अध्यक्ष ने माना- सामान ले जाने के लिए दिए कैरी बैग की कीमत वसूलना अनुचित व्यापार प्रथा को बढ़ावा देता है

  • मनमानी रोकने जुर्माना, असहाय लोगों के लिए दिए जाएं 2 लाख रुपए जमा करने होंगे जिला अस्पताल की रोगी कल्याण समिति में

    उपभोक्ता फोरम का फैसला / रिलायंस फ्रेश पर 2.27 लाख का जुर्माना, हेयर ऑइल का प्रिंट से ज्यादा रुपए लेना और कैरीबैग का चार्ज वसूलना पड़ा भारी के लिए इमेज परिणामहरदा। जीपी मॉल परिसर में संचालित स्टोर रिलायंस फ्रेश द्वारा हेयर ऑइल पर प्रिंट 525 रुपए के बजाए उससे ज्यादा 549 रुपए और कैरीबैग के 6 रुपए अलग से वसूलना भारी पड़ गया। उपभोक्ता फोरम ने रिलायंस फ्रेश को दोषी हुए 2 लाख 27 हजार रुपए जुर्माना लगाया। वहीं इस जुर्माना में से 2 लाख रुपए जिला अस्पताल में रोगी कल्याण समिति में जमा करने होंगे। परिवादी को मानसिक पीड़ा के लिए 25 हजार और वाद खर्च 2 हजार रुपए कुल 27 हजार रुपए 30 दिन में देने के आदेश दिए हैं।



    संकल्प अपार्टमेंट निवासी विकास जुनेजा ने प्रबंधक रिलायंस स्मार्ट रिलायंस रिटेल लि. जीपी मॉल प्रथम तल हरदा व निदेशक एवं प्रबंधक रिलायंस रिटेल लि. तृतीय तल कोर्ट, हाउस लोकमान्य तिलक मार्ग धोबी तलाब मुंबई के खिलाफ 16 जून 19 को परिवाद लगाया था। जुनेजा ने बताया कि नया स्टोर खुलने पर दाम में भारी छूट का विज्ञापन देखकर 31 मार्च 19 को रिलायंस स्टोर से कुल 1895 रुपए की खरीदी की।


    इसमें एक के साथ एक खरीदी के विज्ञापन के जरिए छूट पर ऑलमंड ड्राप ऑइल व अन्य वस्तु खरीदी। जुनेजा ने ऑइल खरीदा तो स्टोर संचालक ने 549 रुपए वसूल लिए। वहीं सामान रखने के कैरी बैग का चार्ज 6 रुपए अलग से लिया। जब घर जाकर परिवादी जुनेजा ने मिलान किया तो ऑइल पर 525 रुपए प्रिंट था, जबकि रिलायंस स्टोर ने 549 रुपए यानि 30 रुपए ज्यादा वसूले। जुनेजा ने मानसिक पीड़ा के लिए 1 लाख रुपए, वाद व्यय एक लाख रुपए दिलाने परिवाद लगाया। फोरम ने सुनवाई में पेश तथ्यों में पाया कि ऑइल पर 525 रुपए प्रिंट थे, इसके बजाय 549 रुपए लिए गए। सामान ले जाने के लिए दिए कैरी बैग पर भी कंपनी का नाम व प्रचार था, फिर भी 6 रुपए वसूलना अनुचित व्यापार प्रथा को बढ़ावा देता है। ऐसा देशभर में हो रहा है, जिससे रोजाना लाखों रुपए की ठगी हो रही है।


    परिवादी के वकील अनिल जाट ने बताया कि तथ्य व परिस्थितियों को देखते हुए उपभोक्ता संरक्षण एकट 1986 के अनुसार उपभोक्ताओं के हितों का हनन करने व मनमाने ढंग से कर्तव्यों का उल्लंघन करने के ऐसे मामलों में प्रलोभन की आड़ में लाखों उपभोक्ताओं से रोज ही ठगी कर भारी आर्थिक क्षति पहुंचाई जाती है। इनकी रोकथाम के लिए दंड जरूरी है। फोरम अध्यक्ष कनकलता सोनकर ने रिलायंस मॉल को 2 लाख रुपए जिला अस्पताल में रोगी कल्याण समिति को रोगियों के कल्याण के लिए देने के आदेश दिए। मानसिक पीड़ा के लिए 25 हजार व वाद व्यय 2 हजार रुपए चुकाने के अादेश दिए। 30 दिन में राशि न देने पर 12 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज देने के भी आदेश दिए।


    अपने हक के लिए यह प्रक्रिया अपनाएं



    • ऐसे करें शिकायत : यदि सेवा में कमी हो तो संबंधित उपभोक्ता निर्माता एवं विक्रेता दोनों को स्वयं या वकील के माध्यम से लिखित शिकायत करना होगा।

    • समय सीमा : यदि संबंधित निर्माता या कंपनी या विक्रेता तय समय सीमा में समस्या या शिकायत का हल नहीं करे, तो उपभोक्ता को बिल व जरूरी दस्तावेज के साथ उपभोक्ता फोरम में परिवाद लगाना होगा। वस्तु का बिल जरूरी होगा।

    • खुद भी कर सकते हैं पैरवी : उपभोक्ता फोरम की शिकायतों में उपभोक्ता खुद भी अपना पक्ष रख सकता है या अधिवक्ता की भी मदद ले सकता है।

    • ऐसे रहें जागरूक : जब भी कोई सामग्री खरीदें तो दुकानदार से पक्का बिल जरूर लें। यदि दुकानदार बिल नहीं देता है तो यह भी उपभोक्ता सेवा में कमी है।