- अब तक 256 नगरीय निकायों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, निकाय चुनाव पहले ही ड्यू हो चुके
- लेकिन आयोग उसके बारे में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन भी नहीं कर पाया है
भोपाल. पंचायतों के लिए आरक्षण की तारीख घोषित होने के बाद एक बार फिर पंचायत व नगरीय निकाय चुनावों को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग इसके लिए खुद को पूरी तरह तैयार बता रहा है। निकाय चुनाव पहले ही ड्यू हो चुके हैं, लेकिन आयोग उसके बारे में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन भी नहीं कर पाया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय चुनाव समय पर कराने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद मप्र में समय पर चुनाव नहीं हो पा रहे हैं।
दिसंबर 2019 से अब तक 256 नगरीय निकायों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। इसके अलावा 10 निकायों का कार्यकाल भी काफी समय पहले पूरा हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय चुनावों के एक मामले में जो आदेश दिए थे, उसमें उसने साफ कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग समय पर चुनाव नहीं कराने के लिए बेवजह कोई बहाना नहीं बना सकता। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को उसकी ताकत का अहसास कराते हुए भी कहा है कि आपके पावर भारत निर्वाचन आयोग से कम नहीं हैं।
परिसीमन के कारण थोड़ा लेट हो गए
सवाल : नगरीय निकाय चुनाव कब तक होंगे?
जवाब : आरक्षण के प्रक्रिया पूरी होते ही इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। हमारी तैयारी पूरी है।सवाल : चुनाव समय पर नहीं हो पाएंगे, क्या कारण है?
जवाब : परिसीमन व आरक्षण की कार्यवाही पूरी नहीं होने के कारण इसमें देरी हुई है।
सवाल : चुनाव समय पर कराने में सुप्रीम कोर्ट निर्देशों का पालन नहीं हुआ?
जवाब : एक्ट में भी प्रावधान है कि कार्यकाल पूरा होने से पहले चुनाव कराए जाएं, लेकिन परिसीमन में देरी से चुनाव थोड़ा आगे बढ़े हैं।
विडंबना / सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बावजूद समय पर निकाय चुनाव नहीं करा पा रहा आयोग