राजस्व मंत्री श्री गोविन्द सिंह राजपूत की अध्यक्षता में भारत सरकार के सर्वे ऑफ इण्डिया एवं राजस्व विभाग के बीच आबादी क्षेत्र सर्वे एवं सीमांकन कन्टीन्यूसली ऑपरेटिंग रिफिरेंस स्टेशन (कोर्स) पध्दति लागू करने हेतु एमओयू साईन किये गये।
राजस्व मंत्री श्री राजपूत ने बताया कि वर्तमान में खड़ी फसल होने पर, बरसात के समय चाँदा पत्थर नहीं मिलने एवं कुशल चैनमेनों के अभाव के कारण सीमांकन में काफी असुविधा होती थी। साल के तीन महीने ही सीमांकन हो पाता था। इसलिए राजस्व विभाग अत्याधुनिक कोर्स पद्धति की शुरूआत करने जा रहा है। इसके लिए आज भारत सरकार के सर्वे ऑफ इण्डिया के साथ एमओयू साईन किया गया। उन्होंने बताया कि कोर्स के पायलेट प्रोजेक्ट की शुरूआत छिन्दवाड़ा जिले से की जायेगी। राजस्व मंत्री ने बताया कि आबादी क्षेत्रों के नक्शे नहीं होने से सीमांकन विवाद शासकीय भूमि पर अतिक्रमण हो जाया करते थे। अब आबादी भूमि का ड्रोन पद्धति से सीमांकन किया जायेगा। इससे आबादी क्षेत्रों के भी नक्शे तैयार हो सकेंगे। पूरे प्रदेश के 55000 गांवों के आबादी सर्वे का काम होगा। बैठक में सर्वे ऑफ इण्डिया के अधिकारी द्वारा योजना का बिन्दुवार प्रस्तुतिकरण किया गया। एमओयू के समय प्रमुख सचिव राजस्व श्री मनीष रस्तोगी, आयुक्त, भू-अभिलेख श्री ज्ञानेश्वर पाटिल, प्रमुख राजस्व आयुक्त सुश्री रश्मि एवं सर्वे ऑफ इण्डिया भारत सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।
छिन्दवाड़ा/अब 12 महीने 365 दिन हो सकेगा सीमांकन, आबादी क्षेत्रों का होगा ड्रोन (हवाई) सर्वे छिन्दवाड़ा से होगी पायलेट प्रोजेक्ट की शुरूआत