परिवहन आयुक्त व्ही मधुकुमार ने सभी आरटीओ को आदेश जारी किए हैं
ग्वालियर/भोपाल। बीएस-4 वाहनों की बिक्री पर 31 मार्च के बाद से रोक लग जाएगी। यदि बीएस-4 वाहन खरीदने वाले ने 31 मार्च के पूर्व टैक्स जमा कर दिया है, लेकिन रजिस्ट्रेशन के लिए आरटीओ कार्यालय फाइल नहीं पहुंचती तो रजिस्ट्रेशन नहीं होंगे। इस तरह के आदेश परिवहन आयुक्त व्ही मधुकुमार ने सभी आरटीओ को जारी किए हैं।
आयुक्त ने कहा है कि भले ही डीलर्स यह बताएं कि वाहन खरीदने वाले ने 31 मार्च के पूर्व टैक्स जमा कर दिया है। यदि उसका रजिस्ट्रेशन 31 मार्च तक नहीं हुआ है तो इसके बाद ऐसे वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा। इस तरह के आदेश परिवहन विभाग ने इसलिए जारी किए हैं ताकि बीएस-4 वाहन की बिक्री कर डीलर्स फर्जीवाड़ा नहीं कर सके।
सिर्फ चेसिस का अस्थायी रजिस्ट्रेशन 31 मार्च से पहले कराना होगा
चेसिस के रूप मे बिकने वाले बस और ट्रक जैसे वाहनों का अस्थायी रजिस्ट्रेशन 31 मार्च के पूर्व अस्थायी रूप से यदि करा लिए गए हैं और बॉडी बनवाने के लिए परिवहन प्राधिकारी से मंजूरी ली गई है तो बॉडी बनने के बाद ऐसे वाहनों का 31 मार्च के बाद भी रजिस्ट्रेशन कराने के आदेश दिए गए हैं।
बीएस के आगे जितना बड़ा नंबर, उससे प्रदूषण की संभावना उतनी ही कम
जब भी गाड़ी की बात होती है तो उससे जुड़े एक नाम ‘बीएस’ का भी जिक्र होता है। बीएस का मतलब भारत स्टेज से है। यह एक ऐसा मानक है जिससे भारत में गाड़ियों के इंजन से फैलने वाले प्रदूषण को मापा जाता है। इस मानक को भारत सरकार ने तय किया है। बीएस के आगे नंबर (बीएस-3, बीएस-4, बीएस-5 या बीएस-6) भी लगता है। बीएस के आगे नंबर के बढ़ते जाने का मतलब है उत्सर्जन के बेहतर मानक, जो पर्यावरण के लिए सही हैं। यानी कि बीएस के आगे जितना बड़ा नंबर लिखा होता है उस गाड़ी से उतने ही कम प्रदूषण होने की संभावना होती है।
बीएस-4 वाहनों की बिक्री और रजिस्ट्रेशन पर एक अप्रैल से प्रतिबंध लग जाएगा। बीएस-4 वाहनों का टैक्स भले ही 31 मार्च तक जमा हो गया है, यदि रजिस्ट्रेशन के लिए फाइल कार्यालय डीलर द्वारा नहीं भेजी जाती तो 31 मार्च के बाद ऐसे वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा।