मप्र / मंत्री नहीं बनाए जाने पर छलका विधायक शेरा का दर्द

  • निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा को मुख्यमंत्री दो बार मंत्री बनाने का आश्वासन दे चुके है

  • शेरा ने बुरहानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, कांग्रेस यहां तीसरे नंबर पर रही थी

    बुरहानपुर के निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा। के लिए इमेज नतीजेबुरहानपुर. निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा का कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर एक बार फिर से दर्द छलका है। अब तक उन्हें मंत्री नहीं बनाए जाने के सवाल पर विधायक ने कहा - अच्छे बैट्समैन की जरूरत बाद में पड़ती है, जब कम ओवरों में ज्यादा रन बनाने होते हैं। तब अपने सबसे अच्छे ऑल राउंडर बैट्समैन को मैदान में उतारा जाता है। 


    उन्होंने कहा कि सीएम कमलनाथ ने उन्हें दो बार मंत्री बनाए जाने का आश्वासन दिया। एक बार जब वे जीतकर भोपाल पहुंचे तब, दूसरी बाद जब लोकसभा चुनाव में पत्नी ने नामांकन दाखिल किया। इसके बाद अब तक की पूरी कहानी सबके सामने है।मंत्री बनाए जाने के पीछे शेरा का तर्क है कि वे अपने विस क्षेत्र के लिए काफी काम करना चाहते हैं। मेरे मंत्री बनने से पॉवर बढ़ेगा, ऐसे में मेरे क्षेत्र में विकास की गति और तेज हो जाएगी। 


    प्रदेशभर में फूलछाप कांग्रेसी सक्रिय हैं:विधायक आरिफ मसूद द्वारा रतलाम में कांग्रेस के नेताओं के भाजपा के पल्लू से बंधे होने और मंत्री साधौ के पार्टी में कई फूलछाप कांग्रेसी होने के बयान का ठाकुर ने समर्थन किया। उन्हांेने प्रदेश के सभी 52 जिलों में फूलछाप कांग्रेसी संगठन में राज कर रहे हैं। जो लोग अभी संगठन में पद पर बैठे हैं, उन्हें आम जनता पसंद नहीं करती। इसका उदाहरण पिछला बुरहानपुर चुनाव है, यहां कांग्रेस उम्मीदवार को केवल 15 हजार वोट मिले। 15-20 साल पुराने चेहरों ने कांग्रेस के निशान पर चुनाव लड़ा। से सभी कमर्शियल चेहरे हैं, इन्होंने पार्टी को अपने लिए यूज किया। कभी पार्टी को मजबूत नहीं किया। भाजपा में हर तीन साल में चेहरे बदल दिए जाते हैं। बुरहानपुर में तो 18 साल से दो ही चेहरे राज कर रहे हैं 


    सिंधिया को बनना चाहिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष:ठाकुर ने कहा कि ज्योतिरादित्य को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाना चाहिए। चुनाव में सिंधिया ने बहुत मेहनत की है। कमलनाथ को सिंधिया को यह पद देना चाहिए। मप्र में सरकार बनाने में दोनों का सहयोग रहा है। अब दोनों के साथ आकर प्रदेश में पांच साल सरकार चलानी चाहिए।