मप्र / सीएए के विरोध पर राज्यपाल टंडन ने कहा- संविधान में राज्य सरकारों के लिए भी 'लक्ष्मण रेखा', इसका उन्हें पालन करना चाहिए

  • राज्यपाल ने कहा- जब कोई विधेयक कानून बनता है, तो उसे कोई भी राज्य लागू करने से इंकार कैसे कर सकता है

  • उन्होंने कहा- मैं अयोध्या पर एक किताब लिख रहा हूं, मगर उसे इस पद पर रहते नहीं छपवाऊंगा राज्यपाल लालजी टंडन शुक्रवार को राजभवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने राज्य सरकार की तारीफ भी की।

    राज्यपाल लालजी टंडन शुक्रवार को राजभवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने राज्य सरकार की तारीफ भी की। के लिए इमेज नतीजेभोपाल. मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने शुकवार को कहा कि संविधान में राज्य सरकारों के लिए भी 'लक्ष्मण रेखा' है। जिसका उन्हें पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भी कोई विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पारित होकर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद कानून बन जाता है, तो उसे देश का कोई भी राज्य लागू करने से इंकार कैसे कर सकता है। राज्यपाल ने राजभवन में प्रेस प्रकोष्ठ के नवनिर्मित कक्ष के लोकार्पण के बाद मीडिया से बातचीत की।


    सीएए को लेकर केरल में राज्यपाल और राज्य के बीच टकराव और कुछ राज्यों में नागरिकता कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास करने से जुड़े सवाल पर लालजी टंडन ने कहा, "राज्यपाल पद पर किसी व्यक्ति के काबिज होने के बाद वह संवैधानिक प्रावधानों के दायरों में रहकर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हो जाता है। भले ही वह किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि का हो।"


    विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है देश


    उन्होंने आगे कहा कि आज जब देश विश्व में अपनी धाक जमा रहा है। विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, तो सभी को इसकी सराहना करनी चाहिए। दिवंगत राममनोहर लोहिया के वाक्य का उल्लेख करते उन्होंने कहा, 'जब कोई दुर्व्यवस्था से सुव्यवस्था की ओर जाता है, तो उसे तत्कालीन परिस्थितियों से होकर गुजरना पड़ता है। वर्तमान में इस देश के साथ ऐसा ही हो रहा है।"


    मैं अयोध्या पर किताब लिख रहा हूं: टंडन
    लालजी टंडन ने सनातन परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ की सराहना की। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार श्रीलंका में सीता माता के मंदिर का निर्माण करा रहे हैं। राम वनगमन पथ को विकसित करा रहे हैं। यह सब सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने के कार्य हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस देश में भगवान राम के अस्तित्व का निर्धारण अदालत से तय हुआ है। वह अयोध्या पर किताब लिख रहे हैं। मगर उसे इस पद पर रहते नहीं छपवाऊंगा।