भोपाल / सरकार ने साड़ी खरीदने के लिए खाते में डाल दिए 16 करोड़, एक माह बाद भी रंग ही तय नहीं कर पाईं मंत्री इमरती देवी

इमरती देवी, मंत्री, महिला एवं बाल विकास के लिए इमेज नतीजेभोपाल . मप्र की 2 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और बाल शिक्षा केंद्र की महिलाओं को ड्रेस कोड के तहत साड़ी खरीदने के लिए सरकार ने उनके खाते में 16 करोड़ डाल दिए, लेकिन अभी तक यही तय नहीं हो पाया कि साड़ी का रंग क्या होगा? राशि जारी किए हुए एक माह से अधिक बीत चुके हैं। अफसरों का कहना है कि साड़ी का रंग महिला एवं बाल विकास मंत्री को ही तय करना है।  


भाजपा सरकार में साड़ियों का रंग गुलाबी (पिंक) तय किया गया था। 12 साल से वे इसी रंग की साड़ियां पहन रही हैं। हर साल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को दो साड़ियों के लिए 800 रुपए उनके खाते में दिए जाते हैं। कांग्रेस की सरकार आने के बाद उन्हें वित्तीय वर्ष 2019-20 में फिर साड़ी के लिए पैसा दिया जाना था, लेकिन विभागीय मंत्री ने पूर्व में गुना के एक कार्यक्रम में साड़ी का रंग बदलने की बात कह दी। अधिकारियों ने मंत्री से रंग पूछा, परंतु अभी तक मंत्री की ओर से किसी एक रंग को हरी झंडी नहीं मिली। रंग तय होने के बाद सूरत में साड़ी निर्माता कंपनी से बात करने अधिकारी जाएंगे। यह कंपनी बाद में मप्र में अलग-अलग जिलों में एक आउटलेट खोलेगी या साड़ी की किसी दुकान में व्यवस्था करेगी, जहां से महिलाएं साड़ी खरीद सकें। 


बाल शिक्षा केंद्र के लिए भी ड्रेस  
प्रदेश में बाल एक हजार से अधिक बाल शिक्षा केंद्र खुलने हैं। इसमें से 313 खुल चुके हैं, 800 की प्रक्रिया चल रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका की तरह इनके लिए भी ड्रेस कोड होगा।


हम तो दे चुके हैं पैसा:एक माह पहले ही पैसा दिया गया है। किस रंग की साड़ी होगी, इस पर उच्च स्तर से निर्णय होना है, क्योंकि बाल शिक्षा केंद्र और आंगनबाड़ी की ड्रेस अलग-अलग रखनी है। उम्मीद है कि जल्द इस पर निर्णय हो जाएगा। -


 नरेश पाल, आयुक्त, महिला एवं बाल विकास विभाग 


अच्छी क्वालिटी की साड़ी देंगे:आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या सहायिका जब पिंक साड़ी पहनकर कहीं जाती हैं, लोग देखते ही पहचान लेते हैं कि वह आंगनबाड़ी से है। उन्हें कुछ अच्छी क्वालिटी की साड़ी देंगे, ताकि वह उसे शादियों में भी पहन सकें। मार्च के पहले सप्ताह में तय कर देंगे कि रंग कैसा हो।  


इमरती देवी, मंत्री, महिला एवं बाल विकास