ओरछा / राम राजा सरकार की कहानी: रानी गणेशकुंवरि की हठ और तपस्या से प्रसन्न हो भगवान राम अयोध्या से ओरछा पधारे

मधुकर शाह की रानी गणेशकुंवरि ग्वालियर के परमार वंश में जन्मी रामभक्त राजपूतानी थीं के लिए इमेज नतीजे


ओरछा (टीकमगढ़). मधुकर शाह की रानी गणेशकुंवरि ग्वालियर के परमार वंश में जन्मी रामभक्त राजपूतानी थीं। उन दिनों भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या अपने विपत्ति काल से गुजर रही थी। एक दिन राजा मधुकरशाह ने रानी को चुनौती दे दी कि इतनी रामभक्त हो तो राम को अयोध्या से ओरछा क्यों नहीं ले आतीं। रानी ने प्रण ले लिया और अपने आराध्य राम को लाने सन् 1573 के आषाढ़ माह में अयोध्या के लिए निकल पड़ीं। 


श्रीराम की प्रतिमा को लेकर रानी गणेशकुंवरि साधु संतों और महिलाओं के बड़े काफिले के साथ अयोध्या से पांच सौ किमी दूर ओरछा की यात्रा पर निकल पड़ीं। साढ़े आठ माह में प्रण पूरा करके रानी सन् 1574 की रामनवमी को ओरछा पहुंचीं। ओरछा नरेश मधुकरशाह ने सैन्यबल के साथ भगवान राम का ओरछा में शाही सम्मान से स्वागत किया और उन्हें ओरछा के श्री रामराजा सरकार के रूप में मान्यता दी। तब से आज भी रामराजा सरकार को सशस्त्र बल के साथ सुबह शाम राजकीय सेल्यूट देने की परंपरा है जिसे मप्र सरकार निभाती है। श्रीरामराजा की प्रतिमा को रानी गणेशकुंवरि ने अपने महल में श्रद्धापूर्वक विराजमान किया।


सरयू से जलसमाधि करने के दौरान साधू ने दी राम की प्रतिमा सरयू नदी के लक्ष्मणघाट पर एक कुटिया में रहते हुए रानी ने राम की साधना की और साधु-संतों से विमर्श किया। भगवान राम के दर्शनों को संकल्पित रानी सरयू में जलसमाधि लेने को उद्धत हो गईं। तभी एक वृद्ध साधु ने सरयू के किलाघाट की बालू से निकाल कर भगवान राम की प्रतिमा रानी गणेशकुंवरि को सौंप दी।


भगवान राम ने लिए थे तीन वचन किंवदंती के अनुसार भगवान राम स्वयं प्रकट हुए और ओरछा चलने के लिए रानी से 3 वचन लिए थे... पहला, यह कि पुष्य नक्षत्र में ही प्रवास करेंगे। दूसरा, वचन यह कि जहां स्थापना होगी वहां से विस्थापित नहीं होंगे। तीसरा, यह कि स्थापना दिवस से भगवान राम स्वयं ओरछा के राजा होंगे।


आज से नमस्ते ओरछा महोत्सव का आगाज हो रहा है पर्यटन नगरी ओरछा में तीन दिवसीय 'नमस्ते ओरछा' महोत्सव का आगाज आज (शुक्रवार) हो रहा है। यह पहला मौका है जब देश ही नहीं विदेश से आने वाले सैलानियों को बुंदेलखंड की परंपराओं से रूबरू कराया जाएगा। इसके लिए प्रशासन ने सारी तैयारियां कर ली हैं। इसमें पर्यटक ओरछा के गौरवशाली साहित्य एवं इतिहास को जान सकेंगे।कार्यक्रम का शुभारंभ शाम 6 बजे मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ करने वाले थे, लेकिन प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के चलते उनका ओरछा दौरा निरस्त हो गया है। उनके स्थान पर कांग्रेस सरकार के दो-तीन मंत्री पहुंचेंगे। समारोह के पहले दिन भगवान श्रीराम के अयोध्या से ओरछा आगमन की गाथा का चित्रण किया जाएगा। इस ऐतिहासिक गाथा को थ्री-डी मैपिंग से जहांगीर महल की दीवारों पर दिखाया जाएगा।