ग्वालियर-गुना के सिंधिया परिवार की कहानी
. आजाद भारत की राजनीति में राज परिवारों के राजनीतिक रसूख में मध्य प्रदेश के ग्वालियर-गुना के सिंधिया परिवार की कहानी बड़ी रोचक और पेचीदा है। इस कहानी में भारतीय राजनीति के उन दांव-पेंचों की झलक मिलती है जो कुर्सी के दंगल में आजमाए जाते हैं। महाराष्ट्र के सातारा जिले में कान्हेरखेड़ गांव के पाटिल जानकोजीराव के वंशज अपने आज तक के राजनीति करियर में 27 बार सांसद और 9 बार विधानसभा सदस्य रहे हैं। आंकड़े और अनुभव बताते हैं कि राजमाता से लेकर ज्योतिरादित्य तक सत्ता के गलियारों में इस परिवार की महत्वाकांक्षाएं पार्टी लाइन पर 'मास्टरस्ट्रोक' की तरह भारी पड़ी है।
18 साल तक कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद पिता की 75वीं पुण्यतिथि पर ज्याेतिरादित्य सिंधिया के सोचे-समझे इस्तीफे के बाद चर्चा है कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इस तरह सिंधिया परिवार की 'सत्ता-कहानी' में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है। उनके इस फैसले का सिंधिया परिवार के सदस्यों ने भी स्वागत किया है। उनकी बुआ वसुंधराराजे और यशोधराराजे ने इसे ज्योतिरादित्य की घर वापसी कहा है, जबकि ज्याेतिरादित्य के इकलौते बेटे महाआर्यमन ने इसे अपने पिता का साहस बताकर ट्वीट किया है।
कहानी में आगे चलें, इससे पहले परिवार के किरदार, पार्टियां और सफर -
दादी से लेकर पोते तक 1957 से 2020 का सफर, 5 पार्टियों की राजनीति | कब-कहां से चुनाव जीते-हारे |
विजया राजे कांग्रेस, जनसंघ, जनता पार्टी, भाजपा |
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माधवराव जनसंघ,कांग्रेस,मप्र विकास कांग्रेस (9 बार सांसद) |
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वसुंधरा राजे भाजपा (5 बार सांसद, 5 बार विधायक) |
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यशोधरा राजे भाजपा (5 बार विधायक, 1 बार सांसद) |
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ज्योतिरादित्य कांग्रेस, अब भाजपा में जाने के कयास (4 बार सांसद) |
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