चतुर्थ श्रेणी वाले भगवान भरोसे, कोविड-19 से जंग जारी दिल्ली सरकार के दावे बड़े-बड़े हैं,

कोविड-19 से जंग जारी है।



दिल्ली सरकार के दावे बड़े-बड़े हैं, लेकिन इंतजाम की गाड़ी अभी भी पटरी पर नहीं आई है। दिल्ली सरकार के कोविड-19 के लिए समर्पित पांचों अस्पतालों में यदि रतन टाटा की पहल पर ताज होटल से दोपहर का लंच, रात का डिनर न आता तो सोचिए क्या होता?
तब्लीगी जमात के लोगों की नासमझ जिद तो अलग समस्या है ही। डॉक्टर तो ललित होटल में रह रहे हैं, क्वारंटीन में रहने को मिल गया है। नर्सों की हालत बेहद पतली है, हंगामा करना पड़ रहा है। वहीं चतुर्थ श्रेणी की दशा भगवान भरोसे चल रही है। एक दूसरा पहलू भी है कि दिल्ली सरकार से कोई बात नहीं करने के लिए नहीं आ रहा है।


दिल्ली सरकार के पांच कोविड-19 समर्पित अस्पताल
लोकनायक जयप्रकाश और जीबी पंत अस्पताल, गुरुतेग बहादुर, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी, बाबा भीमराव अंबेडकर और दीनदयाल उपाध्याय हास्पिटल। ये पांच कोविड-19 समर्पित अस्पताल हैं। यहां दिल्ली के सभी जिलों से, कोविड केयर सेंटरों और कोविड वार्ड अस्पतालों से संक्रमण की आशंका वाले मरीज रेफर होकर आते हैं।


इन अस्पतालों में ही मरीजों की देखभाल, इलाज की व्यवस्था है। इन मरीजों की सीनियर कंसल्टेंट, पल्मोनरी एक्सपर्ट, मेडिसिन समेत अन्य विभाग के चिकित्सक की सलाह, परीक्षण के आधार पर सीनियर, जूनियर रेजीडेंट, नर्सिंग स्टाफ देखभाल और इलाज करता है।


चतुर्थ श्रेणी के कर्मी के जिम्मे साफ-सफाई रहती है और अस्पतालों से प्राप्त जानकारी के अनुसार संक्रमित, संक्रमण की पुष्टि और आईसीयू वेंटिलेटर वाले मरीजों के पास भी सबसे अधिक इसी वर्ग की मौजदूगी रहती है।


एक झलक लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल की
कोविड-19 कमेटी के चेयरमैन डा. एसके सरीन हैं। दिल्ली सरकार ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ डा. जेपी पासी को लगाया है। डा. सुरेश कुमार कोऑर्डिनेशन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, लेकिन सीनियर रेसीडेंट, जूनियर रेसीडेंट के भरोसे कोविड-19 के संक्रमितों का इलाज चल रहा है।


नर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ, तकनीशियन और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी बताते हैं कि डा. विकास मनचंदा न होते तो अब तक वह सब संक्रमित हो गए होते। डा. मनचंदा प्रतिदिन इन सबको ट्रेनिंग देने से नहीं चूकते। कभी अहिल्याबाई मेडिकल सेंटर के पास, कभी कांफ्रेस हॉल में।


हर रोज सुरक्षा के लिहाज से जगह बदलते हैं। नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का ख्याल रखकर उन्हें पीपीई किट, सुरक्षा के सभी इंतजाम से लैस करके संक्रमित के पास भेजता है।


डा. विकास मनचंदा की ट्रेनिंग के अनुसार यह सब खुद अपना ध्यान रखते हैं। बताते हैं कि कोविड-19 के करीब 600 संक्रमित एलएनजेपी में हैं। 230 से अधिक में संक्रमण की पुष्टि हो गई है। इनमें से 150 के करीब तबलीगी जमात के हैं।
तब्लीगियों ने नाक में दम किया हुआ है
सीनियर रेजीडेंट, नर्सिंग स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी के कर्मी एलएनजेपी में तब्लीगियों से परेशान हैं। सूत्रों का कहना है कि सुर्ती, सिगरेट आदि की मांग करना, खाने- नाश्ते में कमी निकालना, दूसरे तरह के खाने की चीजों की मांग करना और स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार आम बात हैं।


एक सीनियर स्टाफ ने बताया कि दीवार पर बार-बार थूकना, पेशाब कर देना, चिल्लाना तब्लीगियों के लिए आम है। हालांकि अस्पताल प्रशासन, सरकार ने इससे निबटने के लिए पुलिस, बाउंसर सभी का इंतजाम किया है। पुलिस के जवान भी बार-बार तब्लीगियों से अनुरोध करते हैं। इस तरह से इलाज एक-एक दिन आगे बढ़ रहा है।
नर्सों ने कर दिया हंगामा, एमएस आफिस के सामने बैठ गईं धरने पर
दो दिन पहले, 9 अप्रैल की बात है। पहले 14 दिन की ड्यूटी समाप्त होने के बाद नर्सिंग स्टाफ को क्वारंटीन में जाना था, लेकिन ठीक-ठाक इंतजाम नहीं थे। सुबह का नाश्ता हास्पिटल की ड्यूटी वाली नर्सों को ही मिल पा रहा था।


ड्यूटी टाइम में रहने के लिए नर्सों को मौलाना आजाद मेडिकल कालेज के हॉस्टल में जगह दी गई, लेकिन वहां बाथरुम आदि कई कमरों के कॉमन थे।


महिला स्टाफ के अनुकूल नहीं थे। कहां नहाएं, कहां कपड़े साफ हों? हास्टल में नाश्ते का इंतजाम ही नहीं। बस, खाना रतन टाटा के कमिटमेंट के कारण ताज होटल से अस्पताल में आता था और सहयोगी भिजवा देते थे। लिहाजा नर्सिंग स्टाफ अड़ गया।


अस्पताल में ड्यूटी के बाद रहने के लिए ढंग के स्थान की मांग पर अड़ा रहा। काफी जद्दोजहद के बाद गुजरात भवन में व्यवस्था हो पाई है। एक दो दिन में स्टाफ वहां रहने जाएगा।
डॉक्टर को पांच सितारा होटल, चतुर्थ श्रेणी के लिए कुछ नहीं
यह पीड़ा नर्सिंग स्टाफ की है। उसका कहना है कि संक्रमित के पास सबसे अधिक साफ-सफाई वाला चतुर्थ श्रेणी का कर्मी जा रहा है। उसे मास्क, पीपीई किट तो दे दी जाती है, क्योंकि हम सब उसे सुरक्षित नहीं रखेंगे तो सब संक्रमित हो जाएंगे।


लेकिन उसको क्वारंटीन करने की कोई सुविधा नहीं है। वह लगातार ड्यूटी आ रहा है, हर रोज काम करने के बाद सीधे अपने घर जा रहा है। गनीमत है कि अभी तक कोई संक्रमित नहीं हुआ है।  दिल्ली सरकार ने डॉक्टरों के लिए पांच सितारा होटल की व्यवस्था की है।


वहीं क्वारंटीन का 14 दिन का समय बिताते हैं। लेकिन नर्सिंग स्टाफ के लिए दिल्ली सरकार, अस्पताल प्रशासन ने क्वारंटीन की कोई सुविधाजनक व्यवस्था नहीं की है।
घर पर कैसे हों क्वारंटीन ?
स्टाफ की एक सीनियर नर्स 14 दिन की ड्यूटी करके कल घर लौटी हैं। सूत्र का कहना है कि दो कमरे का मकान, परिवार में छह सदस्य, कैसे क्वारंटीन रह सकते हैं? दूसरी नर्स की भी यही पीड़ा है। संक्रमित की देखभाल के लिए दिन में दो-चार बार उसके पास जाना मजबूरी है।


ऐसे में हमेशा नर्सों को डर लगा रहता है। हालांकि डॉक्टर ने पहले दिन हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की शुबह, शाम दो गोली और फिर बाद में एक गोली खाने के लिए दी है। लेकिन डर पीछा नहीं छोड़ रहा है।


एलएनजेपी के एक सीनियर स्टाफ ने बताया कि उसने पड़ोस में एक रूम का सेट किराए पर ले लिया था। कुछ नर्सिंग स्टाफ ने अपने परिवार को गांव भेज दिया है। ताकि उनके परिवार को संक्रमण न फैलने पाए।


बताते हैं 14 दिन की ड्यूटी खत्म होने से पहले नर्सों को अपना कोविड-19 का परीक्षण कराने के लिए तगड़ा संघर्ष करना पड़ा।
पीपीई किट की क्वॉलिटी भी डराती है
अस्पताल सूत्रों का कहना है कि पुरानी पीपीई किट जो उन्हें मिली थी, उसकी गुणवत्ता अच्छी थी। दो दिन बाद जो मिली है, वह कमतर है। एन-95 मास्क मिलना दूर की कौड़ी है।


स्टाफ का कहना है कि सुरक्षा के अभी भी कामचलाऊ  इंतजाम ही चल रहे हैं। बीच में ग्लव्स ठीक मिले थे। अब खराब मिले हैं। खैर, पहली बैच ने 14 दिन की ड्यूटी पूरी कर ली है। अब दूसरा बैच अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है।