चीन का वो पड़ोसी मुल्क, जहां कोरोना संक्रमण नहीं ले सका एक भी जान

चीन (China) की सीमा से सटा होने के बाद भी वियतनाम (Vietnam) में कोरोना (corona) के कारण एक भी मौत नहीं हुई है. यहां पर अब तक केवल 270 लोग संक्रमित हुए, जिनमें से 140 लोग रिकवर हो चुके हैं. 



इस छोटे से देश के कोरोना जैसी महामारी पर जीत की वजह इसकी सरकारी नीति है, जिसने पांच चरणों में काम किया।


दिसंबर के आखिर में चीन में कोरोना के शुरूआती केस आए. 
इन चार महीनों में कोरोना संक्रमण (corona infection) का आंकड़ा 29 लाख पार कर चुका है. अमेरिका फिलहाल (America) सबसे खराब हालत में हैं, जहां 54000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
वहीं कमजोर अर्थव्यवस्था और हेल्थकेयर सिस्टम (healthcare system) के बाद भी वियतनाम (Vietnam) में न केवल संक्रमण की दर बहुत कम है, बल्कि कैजुएलिटी भी नहीं है।




यहां तक कि वियतनाम में इतने कम संक्रमण और एक भी मौत न दिखने पर हैरान अमेरिका ने अपने स्तर पर इसकी जांच करवाई।
 U.S. Centers for Disease Control and Prevention ने डाटा, जांच और उसके नतीजे देखने के लिए वियतनाम की मदद की और पाया कि देश वास्तव में कोरोना से सुरक्षित है।
पिछले ही हफ्ते वियतनाम की राजधानी हनोई के बाजार में 1000 दुकानदारों की कोरोना जांच हुई, साथ ही 19000 विदेशियों और ट्रैवल हिस्ट्री वाले लोगों के साथ कुछ रेंडम जांचें हुईं. सारे ही नतीजे निगेटिव रहे. इससे दुनिया का ये शक खत्म हो गया कि कई दूसरे देशों की तरह वियतनाम में भी कोरोना के मामले छिपाए जा रहे हैं।
 जर्जर हेल्थ केयर के बाद भी ये देश अमेरिका जैसे देशों की मदद कर रहा है. इसी महीने यहां से 4 लाख से ज्यादा प्रोटेक्टिव सूट अमेरिका के टेक्सास भेजे गए, जो यहीं की एक फैक्ट्री DuPont में तैयार हुए थे। 
इस पर राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर देश को शुक्रिया भी कहा।


लगभग साढ़े 9 करोड़ की जनसंख्या वाले देश ने चीन में कोरोना के शुरुआती हमले के साथ ही अपने यहां स्टेप लेने शुरू कर दिए।
जनवरी के आखिर में यहां के पीएम Nguyen Xuan Phuc ने कहा कि इस महामारी से लड़ने का मतलब है, अपने दुश्मन से लड़ाई. ये कोरोना से जंग जीतने की तरफ इस छोटे से देश का पहला कदम था।
इसके बाद का कदम था अस्पतालों की व्यवस्था देखना. इस देश में साउथ कोरिया की तरह जांच की सुविधा नहीं और न ही बड़े अस्पताल हैं. कुल मिलाकर 900 बेड हैं, जो इस तरह की गंभीर बीमारी वाले मरीजों की देखभाल कर सकते हैं।
ऐसे में वियतनाम सरकार ने पांच चरणों में काम किया.फॉर्म भराने से हुई शुरुआत
12 फरवरी को वियतनाम के शहर Hanoi में 3 हफ्तों का क्वेरेंटाइन घोषित हो गया. तब वहां केवल 10 मामले पॉजिटिव थे।
तभी से दूसरे देशों से आए लोगों की एयरपोर्ट पर ही पूरी जांच होने लगी. साथ में एक फॉर्म भरवाया जाने लगा, जिसमें ट्रैवल हिस्ट्री से लेकर दूसरी सारी जानकारियां होती थी. ये सिर्फ एयरपोर्ट तक ही सीमित नहीं था, बल्कि किसी भी सरकारी दफ्तर या अस्पताल आने वाले से टेंपरेचर लेकर फॉर्म भरवाया जाने लगा।
जासूस भी थे सड़कों पर
जिसका भी तापमान 38C से ज्यादा हो, उसे पास के ही अस्पताल ले जाकर जांच होती।


 सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म इसमें भी मददगार रहा कि जो भी फॉर्म में अपनी ट्रैवल हिस्ट्री या संपर्क छिपाने की कोशिश करता, उसपर सख्त कार्रवाई होती. ये तरीका बैंक, रेस्त्रां और रेसिडेंशियल इलाकों में भी अपनाने का निर्देश मिला. मरीजों के इलाज या संदिग्ध की जांच जैसी बातों पर ही भरोसा करने की बजाए यहां पर मिलिट्री की मदद ली गई ताकि आम लोगों से क्वेरेंटाइन का पालन करवाया जा सके।
माना जा रहा है कि यहां पर कम्युनिस्ट पार्टी के जासूस भी सड़कों पर तैनात थे जो नजर रख रहे थे कि कोई अपना मामला छिपाने की कोशिश तो नहीं कर रहा या कोई नियम तो नहीं तोड़ रहा।
जांच पर बड़ा जोर
देश में जगह-जगह टेस्टिंग जोन बने, जिसमें कोई भी जाकर अपनी जांच करा सकता था. द कनवर्सेशन की रिपोर्ट के अनुसार मार्च की शुरुआत में ही इस देश में अपने यहां की 3 लैब्स में 3 तरह की जांच को ग्रीन सिग्नल दे दिया था. बेहद कम कीमत पर उपलब्ध इन टेस्ट किट से 90 मिनट में नतीजे मिल जाते. जिसके बाद आइसोलेशन और इलाज की प्रक्रिया शुरू हो जाती।


लॉकडाउन पर सख्ती
लॉकडाउन और क्वारंटाइन पर भी इस देश ने एक-एक स्टेप पर सख्ती से काम किया।
12 फरवरी से आदेश जारी हुआ कि बाहर से लौटने वाले लोगों के लिए 14 दिनों का क्वारंटाइन अनिवार्य है. संदिग्ध दिखने पर लोगों को खुद ही आकर क्वारंटाइन में रहने के लिए प्रोत्साहित किया गया. मार्च में लगभग पूरे देश में या तो पूरे शहर या फिर शहर के कुछ हिस्सों को हिस्ट्री के आधार पर लॉकडाउन कर दिया गया।
 एक शहर Da Nang में नियम लाया गया कि अगर दूसरे शहर का कोई भी व्यक्ति किसी वजह से इस शहर में आना चाहे तो उसे 14 दिनों के क्वारंटाइन में रहना जरूरी है और इस पीरियड में रहने का शुल्क भी उन्हें खुद ही देना होगा।
हुआ लगातार संवाद
सरकार और जनता के बीच लगातार संवाद भी इस देश की जीत के पीछे एक वजह रहा. संवाद के अलग-अलग तरीके बनाए गए. रोज जनता के मोबाइल पर पीएम से लेकर हेल्थ मिनिस्टर और स्थानीय प्रशासन का कोरोना से जुड़ा कोई मैसेज आता. पूरे देश में कोरोना के लक्षणों के बारे में टेक्स्ट भेजे गए. सरकारी मीडिया ने कोरोना पर एक जुमला तैयार किया, जो युद्ध जैसे हालातों में जोश जगा सकता है. ये कहता है- "Every business, every citizen, every residential area must be a fortress to prevent the epidemic". ये सुनकर सारे देशवासी खुद को कोरोना के खिलाफ जंग में एकसाथ खड़ा पाते हैं. इस तरह के कई कैंपेन जोश जगा रहे हैं ताकि देश के लोग अपने मामले छिपाए बिना सरकार की मदद करें।


अस्पतालों की कमी से कैसे किया मुकाबला
संदिग्ध होने पर लोगों को मिलिट्री द्वारा बनाए गए कैंपों (military-run quarantine centres) में रखकर उनकी देखभाल की जा रही है. ये अपनी तरह का नया अप्रोच है. अस्पताल सीमित होने के कारण ये व्यवस्था की गई है. सोशल मीडिया पर सैनिकों की तस्वीरें डाली जा रही हैं कि वे कैसे जंगल में या सड़क किनारे सो रहे हैं ताकि लोग उनके कैंप में रह सकें. इसका भी काफी सकारात्मक असर पड़ा।