घर में रहें, सावधाना रहें
कोरोना को हराने के लिए कई देशों ने लॉकडाउन का विकल्प चुना। चीन ने सख्त नियम कानून के चलते कोरोना वायरस की पहली लहर का खात्मा भी कर दिया और आखिरकार 76 दिनों में ही कोरोना का केंद्र रहे वुहान में लॉकडाउन हटा दिया गया। वुहान की तर्ज पर अब कुछ देश लॉकडाउन हटाने की बात कर रहे हैं। क्या इस वक्त लॉकडाउन हटाना सही रहेगा? ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना की दोबारा संक्रमण ज्यादा तबाही ला सकती है।
कोरोना के चलते लॉकडाउन की वजह से कई देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कोरोना खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था के बहुत बुरे दौर में होने की चेतावनी तक दे दी है। बावजूद इसके कुछ देश लॉकडाउन खत्म करने की बात कर रहे हैं और अपने नागरिकों के दोबारा काम करने के पक्ष में है।
चीन के अनुभवों के आधार एक नया शोध कहता है कि ऐसा करने से नए इंफेक्शन के लिए ज्यादा सतर्क होना पड़ेगा और वैक्सीन ना बनने तक कई इलाकों को नियंत्रण में रखना होगा। हॉन्ग कॉन्ग के शोधकर्ताओं का कहना है कि चीन के सख्त कानूनों ने कोरोना के संक्रमण की पहली लहर को तो खत्म कर दिया लेकिन दूसरी लहर का खतरा एक सच्चाई है।
हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोसेफ टी वू का कहना है कि सख्ती करने से कोरोना से संक्रमित मरीजों में कमी तो आई है लेकिन दोबारा स्कूल खुलने, व्यापार और फैक्ट्री शुरू होने की वजह से मामलों में बढ़ोतरी आ सकती है। चीन ने मामलों के बढ़ने पर दबाव बनाया लेकिन सामान्य जीवन में जल्द वापस जाने से वायरस का खतरा बना रह सकता है।
प्रोफेसर वू का कहना है कि अभी कुछ समय तक सोशल डिस्टेंसिंग और व्यावहारिक बदलाव को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देशों की सरकारों को ऐसी रणनीतियां अपनानी चाहिए जिससे गिरती अर्थव्यवस्था को ठीक करने और कोरोना के संक्रमित मामलों को रोकने के बीच तालमेल बैठ जाए।
चीन में फैले कोरोना महामारी के मॉडल के आधार पर एक स्टडी कहती है कि मुख्य चीन शहर में कोरोना से मरने वाले मरीजों की संख्या हुबेई में मरने वालों की संख्या से तुलनात्मक तौर पर कम है। चीन में मरने वालों की संख्या एक फीसदी से भी कम है जबकि हुबेई में मरने वालों का आंकड़ा छह फीसदी है। चीन के अलग अलग शहरों में वहां की। अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाओं के आधार पर मौतों का आंकड़ा अलग है।
चीन में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं की वजह से ही वहां से मौत के आंकड़ों पर काबू पा लिया गया है। शोध में पता चला कि स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों की संख्या और संसाधनों ने कोरोना के मामलों पर काबू पाने में काफी मदद की है।
प्रोफेसर वु की टीम ने चीन के चार बड़े शहरों बीजिं ग, शंघाई, शेनजान और वेनजोउ में 15 जनवरी से 29 फरवरी के बीच के हुए कोरोना के मामलों के डाटा के आधार पर अपनी स्टडी को तैयार किया। इन चारों शहरों के स्थानीय स्वास्थ्य कमीशन के डाटा का इस्तेमाल किया गया। इस शोध में हुबेई के बाहर के 10 शहरों को भी शामिल किया गया जहां सबसे ज्यादा कोरोना के मामले थे।
इस शोध से वैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष निकाला कि कोरोना के मामलों को धीरे धीरे नियंत्रण में लाया जा सकता है। अगर कोरोना वायरस दोबारा फैलता है तो इससे अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं को काफी नुकसान हो सकता है चाहे कितने भी सख्त नियमों का पालन क्यों ना किया जाए?