अर्थव्यवस्था
जिंदल स्टील वर्क्स (जेएसडब्ल्यू) समूह के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को बचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के निष्क्रिय पड़ने से पहले हमें तत्काल जरूरी कदम उठाने होंगे। कोरोना वायरस संकट के चलते देशभर में तीन मई तक लॉकडाउन किया गया है, जिसकी वजह से देश की आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप पड़ गई हैं।
अर्थव्यवस्था की सेहत पर ध्यान देना जरूरी आगे जिंदल ने कहा कि लॉकडाउन से कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने में भले ही मदद मिली हो, लेकिन हमें अनिवार्य तौर पर अर्थव्यवस्था की सेहत पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि, 'हमें अर्थव्यस्था को निष्क्रिय होने से बचाने को लेकर जागने की जरूरत है। वरना अर्थव्यस्था को फिर से सक्रिय करने में वक्त लगेगा। कोरोना वायरस हमारे लिए तब तक परेशानी बना रहेगा जब तक उसका टीका नहीं ढूंढ लिया जाता। अब हमें नई तरह की परिस्थितियों को सामान्य मानते हुए इसके हिसाब से काम करने के तरीके ढूंढने होंगे ताकि कम से कम अवधि में अर्थव्यवस्था को उसकी पूर्व क्षमता के अनुसार खड़ा कर सकें।'
विभिन्न एजेंसियों के मुताबिक इतनी रह सकती है GDP
विश्व बैंक के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में 1.5 फीसदी से 2.8 फीसदी रह सकती है। 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद से यह सबसे धीमी वृद्धि दर होगी।
एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में चार फीसदी रहने का अनुमान जताया।
सेंट्रम इंस्टीट्यूशनल रिसर्च ने भी 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर अनुमान 5.2 फीसदी से कम कर 3.1 फीसदी कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को भारत की वृद्धि दर 1.9 फीसदी रहने का अनुमान है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 1.8 फीसदी कर दिया थी। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण आई वैश्विक महामारी के मद्देनजर यह कटौती की गई। एजेंसी के अनुसार, यह 2021-22 में बढ़कर 7.5 फीसदी रह सकता है।
अपने वैश्विक आर्थिक आउटलुक में फिच रेटिंग्स ने कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अप्रैल 2020 से मार्च 2021 (FY21) के दौरान 0.8 फीसदी तक रह जाएगी, जबकि बीते वित्त वर्ष के दौरान यह आंकड़ा 4.9 फीसदी (अनुमानित) था।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कोविड-19 महामारी और अर्थव्यवस्था पर इसके असर का हवाला देते हुए वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमानों को संशोधित कर 1.9 फीसदी तक घटा दिया, जो पिछले 29 वर्षों में सबसे कम वृद्धि होगी।