कोरोना वायरसः जीनोम सीक्वेंसिंग से ढूंढा गया ‘बहुरुपिये’ का संक्रमण पथ, तेजी से बदल रहा रूप


वुहान में उपजा कोविड-19 वायरस अमेरिका में सबसे पहले वाशिंगटन के प्रमुख शहर सिएटल पहुंचा। यहां वह कुछ हफ्ते बिना पकड़ में आए लोगों में रहा और संक्रमण बढ़ाता रहा। यहां सामुदायिक संक्रमण के बाद यह अमेरिका के 14 अन्य राज्यों से होता हुआ छह अन्य देशों में पहुंच गया। वैज्ञानिकों ने जेनेटिक फिंगरप्रिंट्स से वायरस का ‘संक्रमण-पथ’ या ‘पदचिह्नों’ का पता लगाकर इसके दुनियाभर में पहुंचने का मार्ग बनाया है।  


जीनोम सीक्वेंसिंग तकनीक से किए गए शोध में यह खुलासा हुआ कि वायरस जितनी तेजी से फैल रहा है उतनी ही तेजी से म्यूटेट कर रहा है या अपना रूप भी बदल रहा है। चिंता की बात है कि सिएटल में अपना नया अनुवांशिक संस्करण बनाकर वायरस सामने आए बगैर ज्यादा मजबूत होकर उभरा।


यही वजह है कि अमेरिका के एक-चौथाई मामले इसी की देन हैं। दरअसल जीनोम सीक्वेंसिंग वायरस के डीएनए व आरएनए में मौजूद आनुवांशिक सूचनाओं को जानने और परिभाषित करने में मदद करती है। इससे किसी मरीज में मिला वायरस कहां से आया जाना जाता है।


यहां-यहां फैला यह वायरस: वाशिंगटन में मिले वायरस का रूप एरिजोना, कैलिफोर्निया, कनेक्टिकट, लोरिडा, इलिनोइस, मिशिगन, मिनिसोटा, न्यूयॉर्क, उत्तरी कैरोलिना, ओरेगन, यूटा, वर्जीनिया, विस्कॉन्सिन और वायोमिंग राज्यों में भी मिला। वहीं ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको, आइसलैंड, कनाडा, ब्रिटेन और उरुग्वे जैसे देशों तक भी यही पैठ बना चुका था। 


एक महीने बाद चौंकाने वाला खुलासा: खामोशी से अपना परिवार बढ़ाता रहा कोविड संक्रमण पथ की तलाश में पहला संकेत एक महीने बाद 24 फरवरी को अमेरिका में सामने आया। स्नोहोमिश काउंटी में जहां यह युवक ठहरा था वहां एक किशोरी ने क्लीनिक में लू की शिकायत की। डॉक्टरों ने स्थिति भांपते हुए किशोरी का स्वैब लिया। वह पॉजिटिव निकली और शोधकर्ताओं ने किशोरी में मिले वायरस की सीक्वेेंंसिंग की। नतीजा वही निकला, जिसका डर था। किशोरी में मिला वायरस अमेरिका के पहले मरीज में मिले कोरोना का ही प्रत्यक्ष वंशज था। गंभीर बात यह थी कि किशोरी उस युवक के संपर्क में आई ही नहीं थी। अगले कुछ दिनों में नए संक्रमितों में भी कोरोना का यही स्वरूप मिला। मतलब एक ही था, वायरस वुहान से लौटे उस शख्स से हफ्तों तक फैलता रहा।


वुहान से वाशिंगटन पहुंचा वायरस
तारीख 15 जनवरी, 2020ः दक्षिण सिएटल हवाईअड्डे पर एक 35 वर्षीय युवक वुहान से लौटा। हवाईअड्डे पर उसने शेयर कैब बुक की। अगले दिन दफ्तर में थोड़ी खांसी हुई, पर उसने  नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद एक रेस्तरां में साथियों के साथ लंच पर भी गया। शाम होते-होते लक्षण बिगड़े तो दवा लेने पहुंचा। कुछ दिनों बाद जांच में वह अमेरिका का पहला संक्रमित साबित हुआ। केंद्र और राज्य एजेंसियों ने तेजी दिखाते हुए उसके कैब ड्राइवर, रेस्तरां में साथ गए साथियों से लेकर दवा दुकान पर आए लोगों को कई हफ्तों निगरानी में रखा। राहत की बात यह रही कि कोई भी संक्रमित नहीं हुआ। लेकिन समस्या यहां खत्म होने की बजाय शुरू हुई थी, जिसका किसी को अंदाज नहीं लगा।


अदृश्य पदचिह्नों ने संक्रमण पकड़ने में की मदद


जीनोम सीक्वेंसिंग में पता लगा कि समुदाय से गुजरने के दौरान कोविड-19 करीब दो बार म्यूटेट कर चुका था। हर बार 29,903 न्यूक्लियोटाइड्स के आरएनए स्ट्रैंड का एक अक्षर बदला। न्यूक्लियोटाइड्स डीएनए और आरएनए के बुनियादी निर्माण खंड हैं। इस तब्दीली से वायरस का हर नया रूप उसके पूर्ववर्ती से थोड़ा-सा अलग होता गया।


वुहान में जिस पैटर्न में कोरोना उपजा, जर्मनी पहुंचते-पहुंचते उसके आरएनए स्ट्रैंड में तीन बदलाव तो इटली में दो बदलाव दिखे। अमेरिका के पहले मरीज में स्ट्रेन यूरोप और अन्य जगहों पर फैले स्वरूप से काफी अलग था। वॉशिंगटन में मिला वायरस सबसे ज्यादा ताकतवर बना हुआ है। 


अज्ञात स्रोत से वाशिंगटन पहुंचने का भी दावा, ग्रैंड प्रिंसेस शिप से आए नौ यात्रियों में भी वही वायरस  


एक अनुमान यह है कि वाशिंगटन में वायरस अज्ञात स्रोत से आया। सैनफ्रांसिस्को की एक प्रयोगशाला में डॉ. चार्ल्स शिउ को सीक्वेंसिंग में पता चला कि अज्ञात संक्रमण सूत्र के पांच मामले वाशिंगटन के क्लस्टर से जुड़े हैं। प्रशांत महासागर में ग्रैंड प्रिंसेस क्रूजशिप से आए नौ यात्रियों में भी वायरस का वही आनुवांशिक संबंध मिला। वायरस का अधिकांश म्यूटेशन भी समान था। उनका कहना है, शिप पर हुए प्रसार का जुड़ाव संभवत: वाशिंगटन के संक्रमित व्यक्ति से हो सकता है। 


केवल संभावनाएं : जवाब शायद न मिले


नए मामलों की सीक्वेंसिग ने नई संभावना उजागर की हैं। वाशिंगटन की सीमा से सटे कनाडाई प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया में कई मामलों में कोरोना का आनुवांशिक पदचिह्न (जेनेटिक फिंगरप्रिंट ) वुहान से लौटे यात्री के काफी समान मिला है। संभावना बनती है कि उसी दौरान कोई व्यक्ति वुहान से ब्रिटिश कोलंबिया या आसपास के इलाके में समान आनुवांशिक छाप वाला वायरस लेकर आया होगा। शायद उस व्यक्ति के बीमार होने पर वहां प्रकोप फैला। लेकिन वह कौन था, उसने कैसे फैलाया, इसका शायद ही कभी जवाब मिल पाएगा।


वैज्ञानिकों के मन है यह दुविधा
हालांकि, यह अभी भी रहस्य है कि इस वायरस ने वॉशिंगटन में अपने घातक पैर जमाने में कामयाबी कैसे हासिल की। इसे लेकर वैज्ञानिकों के दिमाग में कुछ सवाल घुमड़ रहे हैं - क्या संपर्क स्रोत ढूंढ़ने वाले लोगों ने वुहान से आए पहले मरीज की गतिविधियां पकड़ने में कोई खामी छोड़ दी। क्या उसने किराना दुकान पर किसी को संक्रमित किया या अपने दफ्तर के पास रेस्तरां के दरवाजे के हैंडल को संक्रमित हाथों से छुआ।


महत्वपूर्ण है यह शोध: जीनोम तकनीक से अमेरिका में हुआ यह शोध वायरस के तेजी से विस्तार और बदलते रूप को समझने के लिहाज से  भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण है।