भारत में औसत तापमान 32 डिग्री है, यहां अप्रैल के पहले 12 दिनों में 7800 से ज्यादा केस बढ़े, यूएई में 32 डिग्री तापमान, यहां 3500 केस बढ़े
- ब्राजील में एक से 12 अप्रैल तक औसत तापमान 26 डिग्री रहा है, यहां इन 12 दिन में कोरोनावायरस के 16 हजार से ज्यादा नए केस आए हैं
- लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में एक से 12 अप्रैल के बीच औसत तापमान 20 से 40 डिग्री रहा है
- यह खबर 12 अप्रैल तक के उपलब्ध आंकड़ों पर आधरित है
- रिसर्च डेस्क. दुनियाभर में चर्चा थी कि गर्मी बढ़ते ही कोरोना का असर कुछ कम हो सकता है। लेकिन यह दिख नहीं रहा है। कोरोनावायरस पहले 90 दिन तक सबसे ज्यादा ठंडे मौसम वाले देशों में फैला। यहीं सबसे ज्यादा मौतें भी हुईं। लेकिन पिछले 12 दिन से इसके ट्रेंड में थोड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। कोरोना ठंडे देशों के साथ अब गर्म जलवायु वाले देशों में भी दोगुना तेजी से फैल रहा है। लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व एशिया जहां गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है और औसत तापमान 20 डिग्री से लेकर 40 डिग्री तक बना हुआ है। इसके बावजूद यहां कुछ देशों में कोरोना के केस ढाई दिन, चार दिन और सात दिन में ही दोगुना हो जा रहे हैं। भारत में एक अप्रैल से 12 अप्रैल तक औसत तापमान 32 डिग्री रहा है, यहां इन 12 दिनों में 7800 से ज्यादा केस बढ़े हैं। इसी तरह ब्राजील में एक से 12 अप्रैल तक औसत तापमान 26 डिग्री रहा है, यहां 12 दिनों में 16 हजार से ज्यादा केस बढ़े हैं।
लैटिन अमेरिका;
कोरोनावायरस से ब्राजील में सबसे ज्यादा 21 हजार 42 केस और मौतें एक हजार 144 हुई हैं
लैटिन अमेरिकी देशों में अब कोरोनवायरस काफी तेजी के साथ फैल रहा है। यहां सबसे ज्यादा 21,042 कोरोना केस ब्राजील में आए हैं। सबसे ज्यादा 1144 मौतें भी यहीं हुई हैं। यहां हर छह दिन में दोगुना केस बढ़ रहे हैं। दूसरे नंबर पर इक्वाडोर है, यहां अब तक 7257 केस आए हैं। 315 मौतें हुई हैं। यहां हर पांच दिन बाद दोगुना केस बढ़ रहे हैं। लैटिन अमेरिकी ज्यादातर देशों में अभी दिन का तापमान अधिकतम 33 डिग्री और रात में 23 डिग्री दर्ज किया जा रहा है।
- अफ्रीका;
दक्षिण अफ्रीका में सबसे ज्यादा दो हजार 28 केस आए हैं, सबसे ज्यादा मौतें 275 मौतें अल्जीरिया में हुई हैं
अफ्रीका महाद्वीप के ज्यादातर देशों में अप्रैल के पहले दो हफ्तों में तापमान 17 डिग्री से लेकर 45 डिग्री तक दर्ज किया गया है। दुनिया के अन्य महाद्वीपों की तुलना में अफ्रीका महाद्वीप में अब तक सबसे कम कोरोनावायरस के केस आए हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों में यहां भी कोरोना मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। यहां सबसे ज्यादा 2028 केस दक्षिण अफ्रीका में आए हैं। सबसे ज्यादा मौतें 275 मौतें अल्जीरिया में हुई हैं। नाइजर में सबसे ज्यादा तेजी से केस बढ़ रहे हैं। यहां तीन दिन बाद कोरोना केस दोगुना हो जा रहे हैं। मिस्र में 8 दिन बाद कोरोना केसों की संख्या दोगुनी हो रही है।- दक्षिण-पूर्व और दक्षिण पश्चिम एशिया;
इजरायल में कोरोना के सबसे ज्यादा 10 हजार 878 मामले, सबसे ज्यादा 373 मौतें इंडोनेशिया में हुईं
दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों में अन्य एशियाई देशों की तुलना में गर्मी ज्यादा पड़ती है। इन देशों में अभी अप्रैल में 20 से लेकर 41 डिग्री तक तापमान है। यहा कोरोना के सबसे ज्यादा 10,878 केस इजरायल में आए हैं। जबकि सबसे ज्यादा 373 मौतें इंडोनेशिया में हुई हैं। कोरोना मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा तेजी से बांग्लादेश और भारत में बढ़ रही है। बांग्लादेश में करीब हर दो दिन बाद कोरोना मरीजों की संख्या दोगुनी बढ़ रही है, जबकि भारत में करीब चार दिन बाद कोरोना केस दोगुने बढ़ रहे हैं।
मिथक:
चीनी रिसर्च में कहा गया- कोरोनावायरस गर्मी आते ही खत्म हो जाएगा
कोरोनावायरस जब चीन से शुरू हुआ और इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे ठंढे देशों में पहुंचा तो लोग खुद-ब-खुद मानने लगे कि कोरोना गर्म जलवायु वाले देशों में कम फैलता है। सोशल मीडिया पर ऐसे संदेश भी बहुत शेयर किए गए। जबकि अब यह थ्योरी फेल हो चुकी है। चीन की बेइहांग और तसिंगहुआ यूनिवर्सिटी ने भी अपने रिसर्च में कहा था कि गर्मी में कोरोना का ट्रांसमिशन कम हो जाएगा। इसके अलावा कुछ और रिसर्च रिपोर्ट्स में इस तरह के दावे किए गए थे। इसके बाद भारत में भी कुछ लोग मानने लगे थे कि गर्मी में कोरोना खत्म हो जाएगा।
सच:
डब्ल्यूएचओ ने कहा- गर्मी कोरोनावायरस को खत्म नहीं कर पाएगी
डब्ल्यूएचओ ने पांच अप्रैल को अपने एक बयान में कहा कि गर्मी का मौसम भी कोरोनावायरस को खत्म नहीं कर पाएगा। एजेंसी ने कहा कि लोग इस तरह की अफवाह से बचें कि बढ़ते तापमान से कोरोना खत्म हो जाएगा। ज्यादा देर तक धूप में रहने और 25 डिग्री से ज्यादा तापमान कोविड-19 को फैलने से नहीं रोक सकते। चाहे कितनी भी तेज धूप हो या गर्म मौसम हो, कोरोना किसी को भी हो सकता है।'
ब्रिटिश वैज्ञानिक सारा जार्विस कहती हैं कि यह सब बकवास है कि गर्मी में कोरोनावायरस खत्म हो जाएगा। 2002 के नवंबर में सार्स महामारी शुरू हुई थी, जो जुलाई में खत्म हो गई थी। लेकिन ये तापमान बदलने की वजह से हुआ या किसी और अन्य वजह से ये बताना मुश्किल है।'नोट: सभी आंकड़े 12 अप्रैल तक के हैं।
दैनिक भास्कर