वैक्सीन ही नहीं है कोरोना का एकमात्र उपाय, जानें स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय


कोरोना वायरस


कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कई डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक इस वायरस से पीछा नहीं छुड़ाया जा सकता। डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना की वैक्सीन बनने में कम से कम एक से डेढ़ साल लग सकते हैं।
कुछ जानकारों का ये भी मानना है कि वायरस से लड़ने के लिए सिर्फ इसकी वैक्सीन पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। दुनिया के जाने माने जानकारों ने ये चेतावनी दी है कि वैक्सीन कोरोना को हमेशा के लिए खत्म कर दें इस बात की कोई गारंटी नहीं है। 


इंपीरियल कॉलेज के वैश्विक स्वास्थ्य विभाग के प्रोफेसर डेविड नाबेरो ने ये कड़वा सच सबके सामने रखा है। यूनाइटेड किंगडम में अब तक 15,000 लोग कोरोना वायरस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। शनिवार को कोरोना से 888 नई मौतें हुई, जबकि संक्रमित मरीजों की संख्या 5,525 से बढ़कर 1,14,217 पर पहुंच गई।


मार्च के अंत में यूनाइटेड किंगडम सरकार के स्वास्थ्य सलाहकारों ने कहा था कि अगर देश में महामारी से कुल 20,000 ही मौतें होती हैं तो यह देश के बहुत अच्छा परिणाम होगा। लेकिन एक अनुमान के मुताबिक केयर होम में ही छह हजार कोरोना मरीजों की मौत हो गई जिसे आधिकारिक आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है।


प्रो. नाबेरो के मुताबिक लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि कोरोना को खत्म करने के लिए बहुत जल्द एक वैक्सीन तैयार हो जाएगी। ऐसा जरूरी नहीं है कि हर वायरस को खत्म करने के लिए सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन बनाई जाए। कुछ वायरस बहुत ज्यादा खतरनाक होते हैं। इस वायरस के डर के साथ ही जिंदगी को दोबारा सामान्य करने के बारे में विचार करना होगा।


प्रो नाबेरो के मुताबिक कोरोना से संक्रमित मरीजों को आइसोलेट करें और उनके संपर्क में जो व्यक्ति आए हैं उन पर निगरानी करें। बुजुर्ग लोगों की ज्यादा से ज्यादा देखभाल की जा सकती है। ऐसे मरीजों के लिए अस्पताल की सुविधाओं को बढ़ाया जाए। कुछ इस तरह इस वायरस से लड़ने में मदद मिल सकती है।


यूनाइटेड किंगडम के स्वास्थ्य सचिव का कहना है कि देश की सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के चलते ही इस बीमारी से लड़ा जा सकता है। इसके अलावा अमीर देश गरीब देशों की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में ज्यादा से ज्यादा मदद करें।


कोरोना वायरस महामारी से एक सबक यह सीखने को मिलता है कि वही देश सबसे ज्यादा मजबूत या शक्तिशाली है जहां संक्रमण की चेन कमजोर है। गरीब देशों को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और स्वास्थ्य सुविधाओं की सप्लाई ही प्राथमिकता होनी चाहिए।


विश्व स्वास्थ्य संगठन के दूसरे बड़े पद पर अधिकारी के तौर पर बैठे प्रो नाबेरो का संदेश कई मायनों में सख्त है। इसस पहले डब्ल्यूएचओ की मारिया ने चेतावनी दी थी कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि एक बार कोरोना होने के बाद दूसरी बार इंफेक्शन नहीं हो सकता। 


गौरतलब है कि कोरोना से अब तक दुनियाभर में 23 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और डेढ़ लाख के पार मौत का आंकड़ा पहुंच चुका है। कोरोना को हराने के लिए कई देशों ने लॉकडाउन लगाया हुआ है लेकिन इस वायरस का संक्रमण लगातार फैलता जा रहा है। जानकारों की माने तो ज्यादा से ज्यादा घरों में रहकर और एक दूसरे से दूरी बनाकर ही कोरोना को हराया जा सकता है।