आईपीएस अधिकारी ने एमवाय अस्पताल में डोनेट किया प्लाज्मा, ड्यटी के दौरान हुए थे संक्रमित

  • महू में पदस्थ आईपीएस अधिकारी की कुछ दिन पहले दूसरी रिपोर्ट भी निगेटिव आई थी

  • आईसीएमआर से एमजीएम को प्लाज्मा थैरेपी की मंजूरी मिली, पर एंटी बॉडी उन्हीं से लेना है, जिन्हें ठीक हुए 14 दिन हो गए हैं 



इंदौर. इंदौर में भी प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना संक्रमितों का इलाज होगा। इसके ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गुरुवार को एक आईपीएस अधिकारी ने थैरेपी के लिए अपना प्लाज्मा डोनेट किया। अधिकारी महू और मानपुर में ड्यूटी के दौरान संक्रमण का शिकार हो गए थे। कोरोना को हराकर वे 14 दिन पहले वापस लौटे थे। दोपहर में वे अस्पताल पहुंचे। इस प्लाज्मा का परीक्षण और एंटी बॉडी के लेबल का अध्ययन करने के बाद ही पीड़ित मरीजों का उपचार किया जाएगा। इस थैरेपी के लिए अभी प्रदेश में एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर और गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल को ही परमिशन मिली है।


प्लाज्मा थैरेपी से प्रदेश में पहली बार ठीक हुए दो मरीज
आईडीए के असिस्टेंट इंजीनियर कपिल भल्ला और एक अन्य मरीज प्रियल जैन प्लाज्मा थैरेपी के जरिये कोरोना संक्रमण से पूरी तरह ठीक होकर बुधवार को घर लौट गए। ये दोनों उन मरीजों में शामिल थे, जिन्हें अरबिंदो अस्पताल में प्लाज्मा थैरेपी दी गई थी। 


प्लाज्मा डोनेट करने की इच्छा जताई
प्लाज्मा थैरेपी से ठीक होने वाले कपिल भल्ला ने बताया कि मेरी ड्यूटी क्वारैंटाइन सेंटर पर थी। 10 अप्रैल को बुखार आने के बाद जांच की। 16 को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जब अस्पताल में भर्ती किया, तब मेरा ऑक्सीजन लेवल बहुत कम था। रिकवरी धीमी देख मुझे डॉक्टरों ने बताया कि आपके लिए प्लाज्मा थैरेपी प्लान कर रहे हैं। मैंने सहमति दी तो 26 अप्रैल को मुझे व दो अन्य को ये थैरेपी दी गई। उस दिन तक मेरी स्थिति में कोई सुधार नहीं था, लेकिन थैरेपी के बाद 29 अप्रैल को चमत्कारिक बदलाव नजर आया। डॉक्टर्स ने मेरी ऑक्सीजन हटा दी। इसके बाद कई तरह की जांच करवाई, सब नॉर्मल आई। आज मुझे व पत्नी को डिस्चार्ज कर दिया। मैंने भी प्लाज्मा डोनेट करने की इच्छा जताई है। डॉक्टर्स इसके लिए 14 दिन बाद संपर्क करेंगे। 


डॉक्टर बोले थे- यह प्रामाणिक इलाज नहीं


प्लाज्मा थैरेपी से ठीक हुई सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रियल जैन ने बताया कि एक्स रे में पता लगा कि मेरे लंग्स 60% तक डैमेज हो चुके हैं तो प्लाज्मा थैरेपी प्लान हुई। डॉक्टरों ने बता दिया था कि यह प्रामाणिक इलाज नहीं है, लेकिन इसे कई शहरों में ट्राय किया जा रहा है। पिताजी और पारिवारिक डॉक्टर से सलाह लेकर तय किया कि मैं इस थैरेपी को आजमाऊंगी। अब पूरी तरह ठीक हूं।