भारत के महान जासूस रामेश्वर नाथ काव, सिक्किम विलय में निभाई थी अहम भूमिका


भारत के महान जासूस रामेश्वर नाथ काव का जन्म 10 मई, 1918 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। उन्होंने 1960 के दशक में भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की स्थापना की थी। उन्होंने और उनके अधिकारियों ने सिक्किम के भारत में विलय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


भारत के आजाद होने के समय काव ने खुफिया एजेंसी की दुनिया में कदम रखा था। 1947 में उनकी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में नियुक्ति हुई थी और उनका प्रशिक्षण लीजेंडरी भोला नाथ मुल्लिक की निगरानी में हुआ था। उन्होंने कुछ बहुत से अहम मामलों पर काम किया। जिसमें 1950 के मध्य में कश्मीर प्रिंसेस मामले की जांच और 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति में योगदान शामिल है।


काव भारत के तीन प्रधानमंत्रियों के करीबी सलाहकार और सुरक्षा प्रमुख थे। वे 1962 में चीन के साथ भारत के संघर्ष के बाद स्थापित हुए सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएस) के संस्थापकों में से एक थे। बाद में वे एविएशन रिसर्च सेंटर (एआरसी) और रॉ के प्रमुख बने। काव एआरसी के पहले प्रमुख थे।


काव के पास केवल जासूसी करने का गुण नहीं था। एक किताब के अनुसार वे एक मूर्तिकार भी थे। उन्होंने रॉ में दो पीढ़ियों को जासूसी के गुण सिखाए। उनकी टीम को काव ब्वॉयज कहा जाता था। काव के बारे में एक कम ज्ञात तथ्य यह है कि उन्होंने अपनी जिंदगी की घटनाओं को एक टेप रिकॉर्डर में रिकॉर्ड किया था और चाहते थे कि उन्हें उनकी मौत के बाद जनता के सामने जारी किया जाए।