भोपाल.MP: किसानों को उपज का अधिक मूल्य दिलाने के लिए संशोधित किया मंडी एक्ट:शिवराज


भोपाल. मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने किसानों को उनकी उपज का अधिक से अधिक मूल्य दिलाने के उद्देश्य से मंडी अधिनियम में कई संशोधन किए हैं. इनके लागू होने से अब किसान घर बैठे ही अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेच सकेंगे. उन्हें मंडी जाने की बाध्यता नहीं होगी. इसके साथ ही, उनके पास मंडी में जाकर फसल बेचने तथा समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचने का विकल्प भी जारी रहेगा. चौहान ने कहा कि अधिक प्रतिस्पर्धी व्यवस्था बनाकर सरकार ने किसानों के हित में यह प्रयास किया है.

सीएम शिवराज सिंह चौहान मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों को मंडी अधिनियम में किए गए संशोधनों की जानकारी दे रहे थे. इस अवसर पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्री कमल पटेल, जल-संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह और अतिरिक्त मुख्य सचिव के के सिंह, प्रमुख सचिव कृषि अजीत केसरी उपस्थित थे.

किसान घर से ही बेच सकेंगे अपनी उपजफलसब्जी
मुख्यमंत्री ने बताया कि अब व्यापारी लाइसेंस लेकर किसानों के घर पर जाकर अथवा खेत पर जाकर उनकी फसल खरीद सकेंगे. पूरे प्रदेश के लिए एक लाइसेंस रहेगा. व्यापारी कहीं भी फसल खरीद सकेंगे. उन्होंने बताया कि सरकार ने प्रदेश में ई-ट्रेडिंग व्यवस्था भी लागू की है, जिसमें पूरे देश की मंडियों के दाम किसानों को पता चल सकें. वे देश की किसी भी मंडी में, जहां उनकी फसलों का अधिक दाम मिले, सौदा कर सकेंगे.


सौदा पत्रक व्यवस्था के अच्छे परिणाम


मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि इस बार प्रदेश में सौदा पत्रक व्यवस्था लागू की गई है. इसके माध्यम से व्यापारी किसानों से उनकी फसल घर से ही खरीद रहे हैं. मंडियों की खरीद की लगभग 80% खरीदी सौदा पत्रकों के माध्यम से हुई है. किसानों को इससे उनकी उपज का अच्छा मूल्य भी प्राप्त हुआ है. इस प्रयोग के परिणाम सकारात्मक होने के कारण मंडी अधिनियम में संशोधन किए गए हैं.

9 प्रावधानों में से 2 पहले से लागू, 7 को अपनाया गया
मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि भारत सरकार द्वारा एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एंड लाइव-स्टॉक मैनेजमेंट एक्ट 2017 (IPLM) मॉडल मंडी अधिनियम राज्यों को भेजकर उसे अपनाने अथवा प्रचलित अधिनियम में संशोधन का विकल्प दिया गया था. अधिनियम को लागू करने के लिए रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से गठित मुख्यमंत्रियों की उच्च-स्तरीय समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा था कि यदि राज्य अपने मौजूदा मंडी अधिनियम में संशोधन करना चाहते हैं, तो उन्हें उसमें IPLM के प्रावधानों में से कम से कम 7 को शामिल कर संशोधन करना होगा. मध्य प्रदेश में IPLM के प्रावधानों में से दो प्रावधान पहले से ही लागू हैं, इसलिए अन्य 07 प्रावधानों को मंडी अधिनियम में संशोधन के माध्यम से अब प्रदेश में लागू किया गया है.

ये हैं पूर्व के 2 प्रावधान
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में IPLM के पहले से लागू दो प्रावधान हैं. पहला प्रावधान यह है कि संपूर्ण राज्य में कृषि उपज पहली बार खरीदने के समय ही मंडी शुल्क लिया जाएगा. इसके बाद पूरे प्रदेश में पश्चातवर्ती क्रय-विक्रय में मंडी शुल्क नहीं लिया जाएगा. दूसरा प्रावधान यह है कि फलों और सब्जियों के विपणन का विनियमन अर्थात फल और सब्जियों को मंडी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है. शेष सात प्रावधानों पर कानून में संशोधन किया गया है.

मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन 7 नए प्रावधानों को मंडी एक्ट में शामिल किया गया है वे हैं -



निजी क्षेत्रों में मंडियों की स्थापना के लिए प्रावधान.


गोदामों, साइलो कोल्ड स्टोरेज आदि को भी प्राइवेट मंडी घोषित किया जा सकेगा.


किसानों से मंडी के बाहर ग्राम स्तर से फूड प्रोसेसर, निर्यातक, होलसेल विक्रेता और अंतिम उपयोगकर्ता को सीधे उपज खरीदने का प्रावधान.


मंडी समितियों का निजी मंडियों के कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा.


प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड से रेगुलेटरी शक्तियों को पृथक कर संचालक विपणन को दिए जाने का प्रावधान.


पूरे प्रदेश में एक ही लाइसेंस से व्यापारियों को व्यापार करने का प्रावधान.


ट्रेनिंग के लिए प्रावधान.