कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में अबतक कितना आगे पहुंचा देश?


दुनियाभर में बढ़ता जा रहा है कोरोना वायरस का संक्रमण
सभी को है इंतजार कि कब तैयार होगी कोरोना की वैक्सीन
विभिन्न देशों में 100 से ज्यादा वैक्सीन पर चल रहा है काम
भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट से देश को बड़ी उम्मीद


कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच सभी को इंतजार है तो बस कोरोना की वैक्सीन का। दुनिया के कई देश और कंपनियां इस वायरस की वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। भारत में भी कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने पर काम चल रहा है। वैसे तो वैक्सीन तैयार करने में सालों लग जाते हैं, लेकिन इस कोरोना संकट के समय में दुनियाभर के वैज्ञानिक सालों के इस कार्य को कुछ ही महीनों में करने में लगे हैं।


हर नई सुबह के साथ लोगों के मन में बस यही सवाल होता है कि कोरोना की वैक्सीन को लेकर अपडेट स्थिति क्या है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन के मुताबिक, दुनियाभर में 100 से ज्यादा वैक्सीन पर काम चल रहा है, जबकि भारत में भी 30 से ज्यादा वैक्सीन पर काम किया जा रहा है। 
पीएम मोदी के वैज्ञाानिक सलाहकार विजय राघवन ने एक टीवी न्यूज चैनल के साथ बातचीत में बताया था कि साधारण तौर पर कोई वैक्सीन बनाने के लिए सालों लग जाते हैं और बहुत 20 से 30 करोड़ डॉलर के बराबर एक बड़ी राशि भी खर्च होती है।
हालांकि उन्होंने कहा कि वैक्सीन जल्दी तैयार हो, इसके लिए संसाधन और फंड मुहैया कराया जा रहा है। उनका कहना है कि वैक्सीन का परीक्षण अगर सही तरीके से चल रहा हो, जैसा की अभी चल रहा है और उसके परिणाम अच्छे आने लगें जैसा कि अभी आ रहे हैं तो बाजार में वैक्सीन को आने में आठ महीने का समय लग सकता है।


देश में करीब 30 से ज्यादा कोरोना वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है, लेकिन दो बड़ी कंपनियों हैदराबाद की भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (BBIL) और पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से देशभर के लोगों की उम्मीद है।


दोनों ही कंपनियां कोरोना की वैक्सीन जल्द को लेकर प्रयासरत है। भारत बायोटेक कंपनी आईसीएमआर यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर वैक्सीन विकसित करेगी। दूसरी ओर, सीरम की साझेदारी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ भी हुई है, जिसने तीन महीने में वैक्सीन तैयार करने का दावा किया है। 


वैक्सीन तैयार करना एक लंबी प्रक्रिया
वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया का सबसे प्राथमिक हिस्सा होता है, किसी भी बीमारी का लक्षण पता करना। इसके बाद उस पर पूरी रिसर्च की जाती है। बीमारी या संक्रमण के छोटे-बड़े लक्षणों को समझने के बाद वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। बड़ी चुनौती यह होती है कि वैक्सीन ऐसे तैयार हो कि बीमारी या संक्रमण को रोकने के लिए कार्य करे।


इसके लिए पहले जानवरों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जाता है और उसके बाद मानव शरीर पर। दोनों चरणों के ट्रायल में पास होने के बाद ही वैक्सीन आम लोगों के इस्तेमाल के लिए जारी की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में आठ महीने से लेकर साल भर का समय लगता है। कई वैक्सीन तैयार करने में सालों लग जाते हैं। 


सीरम इंस्टीट्यूट से उम्मीद
बात करें सीरम इंस्टीट्यूट की, तो इस कंपनी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ एक वैक्सीन की 60 मिलियन यानी छह करोड़ डोज का उत्पादन करने के लिए साझेदारी की है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया उत्पादन और बिक्री के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनियों में है।


विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) से मान्यता प्राप्त इस कंपनी ने क्लिनिकल ट्रायल के बाद सितंबर-अक्टूबर तक दो करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज तैयार करने का दावा किया है। कंपनी खुद भी पांच तरह के वैक्सीन पर प्रयोग कर रही है। हालांकि प्रक्रिया अभी लंबी है। 


पूरी तरह देसी वैक्सीन तैयार होगी
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (BBIL) के साथ मिलकर कोविड 19 की वैक्सीन विकसित कर रही है। भारतीय विषाणुविज्ञान संस्थान, पुणे में मौजूद वायरस के स्ट्रेन का उपयोग करेगा। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में आइसोलेट कर रखे गए कोरोना वायरस के स्ट्रेन को हैदराबाद स्थानांतरित भी कर दिया गया है।


वैक्सीन विकसित करने में इस कंपनी को आईसीएमआर और एनआईवी की ओर से पूरी तरह सहयोग किया जा रहा है। मतलब यह वैक्सीन पूरी तरह से भारत में बनेगी। उम्मीद है कि आने वाले कुछ महीनों में वैक्सीन बन कर तैयार हो जाएगी।



विश्व भर के वैज्ञानिक हैं प्रयासरत
कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हुए हैं। अमेरिका, चीन, इजरायल समेत अन्य देश जल्द ही आम जनमानस के लिए वैक्सीन तैयार करने का दावा कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, करीब 100 संस्थाएं इस दिशा में काम कर रही हैं, जिनमें सात से आठ संस्थाएं सकारात्मक परिणामों के साथ आगे चल रही हैं।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक जनरल टेड्रॉस एडहानोम घेबरेसस ने संयुक्त राष्ट्र इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल को बताया है कि पहले वैक्सीन को तैयार करने में 12 से 18 महीने का समय लगने की संभावना थी, लेकिन दुनिया के 40 देशों, संगठनों और बैंकों से शोध, इलाज और जांच के लिए करीब 800 करोड़ रुपये की मदद मिलने से वैक्सीन बनाने का काम तेज हो गया है।