ग्वालियर. कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका से घबराए वायुसेना की मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेस में बतौर पाइप फिटर कार्यरत एक युवक ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। घटना शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात डीडी नगर स्थित हिल व्यू कॉलोनी के एक हॉस्टल में हुई जहां युवक रहता था। उसे शुक्रवार को ही प्रशासन की टीम ने होम क्वारैंटाइन किया था लेकिन उसका कोरोना का सैंपल नहीं लिया गया और इसी से वह परेशान था। युवक ने सुसाइड नोट में लोगों द्वारा कोरोना को लेकर उसके मन में डर बैठाने की बात लिखी है। साथ ही लिखा है कि प्रशासन की टीम को सैंपल लेने के लिए कहा था लेकिन वे उसकी ट्रैवल हिस्ट्री मांग रहे थे जबकि वह ग्वालियर से बाहर कहीं नहीं गया। युवक ने यह भी लिखा कि संक्रमण का पता चलते ही लोगों का नजरिया बदल जाता है।
खुदकुशी करने वाला युवक दिलीप (26) पुत्र श्रीराम टोंडवाल मूलत: हरियाणा के सोनीपत के खरखौदा का रहने वाला था। महाराजपुरा थाना प्रभारी मिर्जा आसिफ बेग के मुताबिक, दिलीप को डर था कि उसे कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया है। उसने शुक्रवार को स्वयं इंसीडेंट कमांडर को फोन कर मेडिकल परीक्षण कराने के लिए कहा था। इस पर इंसीडेंट कमांडर ने मेडिकल टीम के साथ हॉस्टल में पहुंचकर दिलीप की जांच की, लेकिन उसमें कोरोना का लक्षण नहीं दिखा और उसकी तबीयत भी ठीक थी।
सैंपल नहीं लेने से हो गया था परेशान
इसके बाद भी दिलीप ने कोरोना टेस्ट कराने की बात कही। इस पर टीम ने उसकी ट्रैवल हिस्ट्री पूछी, लेकिन जब दिलीप ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान वह ग्वालियर से बाहर नहीं गया तो टीम ने उसका सैंपल नहीं लिया। दिलीप के टेस्ट की बार-बार मांग को देखते हुए उसे हॉस्टल के कमरे में ही 14 दिन के लिए होम क्वारैंटाइन कर दिया गया। टीम ने दिलीप का सैंपल शनिवार को कराने का आश्वासन दिया और उसके हॉस्टल के कमरे पर क्वारैंटाइन की सूचना चस्पा कर दी। इस घटनाक्रम के बाद देर रात दिलीप ने फांसी लगा ली।
सुसाइड नोट- प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने मेरे सपने बरबाद कर दिए
- दिलीप ने सुसाइड नोट में प्रशासन पर आरोप लगाते हुए लिखा है कि कोरोना के टेस्ट के लिए प्रशासन को सिर्फ ट्रैवल्स हिस्ट्री चाहिए। अगर कोई शहर में ही रहते हुए संक्रमित हो गया हो तो क्या टेस्ट नहीं हो सकता। प्रशासन दिखावा कर रहा है। चाहे इंसान कितनी भी परेशानी हो। मुझे नहीं पता कि मुझे कोरोना है या नहीं लेकिन मैं किसी की आजादी अपनी वजह से नहीं छीन सकता। प्रशासन की सबसे बड़ी कमी है।
- सुसाइड नोट में दिलीप ने अंतिम इच्छा के तौर पर उसकी अस्थियों को उसके गुरु के आश्रम में बिखेरने के लिए लिखा है। ताकि वह अगला जन्म भी गुरु के आश्रम में ही ले सकेगा।
- दिलीप ने खुदकुशी के लिए अपनी मां और नानी से माफी भी मांगी। दिलीप ने कोरोना संक्रमित से होने वाले भेदभाव को भी सुसाइड नोट में लिखा है।
- उसके शब्द हैं कि किसी के संक्रमित होने के संदेह से ही लोगों का उस व्यक्ति के प्रति नजरिया बदल जाता है। दिलीप ने यह भी लिखा कि कोरोना को लेकर लोगों ने उसके मन में बुरी तरह डर बैठा दिया था। मेरे भी बहुत सपने थे, लेकिन अब प्रशासन की कार्यप्रणाली से सब बर्बाद हो जाएगा।
- प्रशासन अपनी जिम्मेदारी माने और आगे ऐसा किसी के साथ न करे। मेरा यह कदम स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का नतीजा है भले ही इसे कोई माने या न माने।