इन आठ 'उंगलियों' पर टिका है भारत चीन का सीमा विवाद, समझना है जरूरी


भारत चीन आठ फिंगर्स का विवाद


भारत और चीन के बीच सीमा का विवाद एक बार फिर से चर्चा में है, हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब चीन, भारतीय सीमाओं में घुसने के लिए हाथ-पैर पटक रहा है। भारत चीन सीमा विवाद काफी पहले से चला आ रहा है। वर्तमान समय में जो विवाद है वह पूरी तरह से आठ उंगलियों (फिंगर्स) पर टिका है। पढ़ने में आपको कुछ अजीब लग रहा होगा कि सीमा पर उंगलियों का क्या मतलब है? आइए हम आपको बताते हैं...


क्या है आठ फिंगर्स का विवाद?
पैंगोंग झील के बारे में आप में से अधिकतर लोग जानते ही होंगे। आपको बता दें कि करीब 14,500 फीट की ऊंची पहाड़ी पर मौजूद पैंगोंग झील के पास आठ पहाड़ियां हैं जो कि हाथ की उंगलियों के आकार की हैं और सीमा विवाद फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 तक है, क्योंकि भारतीय सेना के कब्जे में फिंगर 4 तक का इलाका है, जबकि फिंगर 4 से फिंगर 8 तक इलाका दोनों सेनाओं का पेट्रोलिंग इलाका है।
चीन ने फिंगर 4 तक अपनी सड़क बना ली है, जबकि झील के किनारे पर भारतीय सेना का बेस कैंप है जहां पर सैनिकों की तैनाती है। फिंगर 4 से भारतीय सेना फिंगर 8 तक पैदल गश्त करती है। पांच मई के बाद से चीन की सेना फिंगर 4 पर आ गई है और अब वह भारतीय सेना को फिंगर 8 तक जाने नहीं दे रही है। चीन फिंगर 4 के आगे जाना चाहता है। 


भारतीय सेना पहले की तरह फिंगर 8 तक गश्त लगाना चाहती है लेकिन चीन को इस पर आपत्ति होने लगी है। इस वक्त भारतीय सेना, चीनी सेना को किसी भी कीमत पर फिंगर 4 से आगे बढ़ने नहीं दे रही है। भारतीय सेना चाहती है कि चीन पहले की तरह फिंगर 8 तक ही रहे।


अब सवाल यह है कि आखिर चीन फिंगर 4 से अंदर क्यों आना चाह रहा है। जानकारों के मुताबिक चीन की सेना को पैंगोंग के दक्षिण से उत्तरी इलाके में आने-जाने में एक लंबा सफर तय करना पड़ता है। ऐसे में चीन चाहता है कि भारत पीछे हट जाए और उसे रास्ता मिल जाए, लेकिन वास्तव में ऐसा होने वाला नहीं है।


कैसी है पैंगोंग झील?
इस झील का पूरा नाम पैंगोंगे त्सो है जो 134 किलोमीटर लंबी है। यह झील हिमालय में करीब 14,000 फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित है। इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में आता है। बता दें कि इसी झील के किनारे बॉलीवुड फिल्म थ्री इडियट्स की शूटिंग हुई थी।


वास्तविक नियंत्रण रेखा इस झील के बीच से गुजरती है। कहा जाता है कि पश्चिमी सेक्टर में चीन की तरफ से अतिक्रमण के एक तिहाई मामले इसी पैंगोंग त्सो झील के पास होते हैं। इसकी वजह ये है कि इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर सहमति नहीं है।