CM कमलनाथ को चुनावी घोषणापत्र में किए वादों की याद दिलाने के लिए कांग्रेस विधायक बैठे धरने पर



भोपाल: 




student ठ ॠ  लिठ  ठ मॠ ठ  परिणाममध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पार्टी के विधायक मुन्नालाल गोयल ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर विधानसभा के सामने धरने पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि वह सरकार को चुनावी घोषणपत्र में किए गए वादों की याद दिलाना चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने मुख्यमंत्री को भी लिखा था लेकिन कुछ नहीं हुआ. इसलिए हम यहां बैठे हुए हैं'. यह पहला मौका नहीं है कि जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस के विधायक और नेता अपनी पार्टी के लिए मुसीबत बन रहे हैं. नागरिकता कानून का जमकर विरोध कर रही है पार्टी की उस समय भी फजीहत हुई जब दो विधायक इसके समर्थन में आ गए. मंदसौर जिले के सुवासरा से विधायक हरदीप सिंह डंग ने कहा, "पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि देशों के दुखी लोगों को भारत में सुविधा मिलती है तो उसमें बुराई क्या है." उन्होंने सीएए और एनआरसी को अलग-अलग देखने की बात कही है.


टिप्पणियां

इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई और विधायक लक्ष्मण सिंह ने भी सीएए पर राजनीति बंद करने की सलाह देते हुए ट्वीट किया, "नागरिकता कानून की राजनीति बंद करो. अब तो मुसलमान भी कह रहे हैं कि बंद करो. वे कह रहे हैं कि हमारे रोजगार की व्यवस्था करो. रस्सी को ज्यादा खींचने से वह टूट जाती है." लक्ष्मण सिंह इससे पहले भी दिसंबर में सीएए का समर्थन करते हुए ट्वीट कर चुके हैं, "राष्ट्रीय नागरिकता कानून संसद में पारित हो चुका है. सभी दलों ने अपने विचार व्यक्त कर दिए हैं. इस विषय पर ज्यादा टिप्पणी, बयान व्यर्थ हैं. इसे स्वीकार करो और आगे बढ़ो."


 


 


वहीं प्रदेश में कांग्रेस सरकार का समर्थन कर रही बीएसपी ने अपने एक विधायक रामबाई को सीएए का समर्थन करने पर निलंबित कर दिया है. दरअसल, राज्य में 230 सदस्यों की विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 116 का है. मौजूदा समय में कांग्रेस के पास बसपा और समाजवादी पार्टी के साथ-साथ चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कुल विधायकों की संख्या 121 है. जिसमें कांग्रेस के 114, समाजवादी पार्टी का एक, बहुजन समाज पार्टी के दो विधायक और निर्दलीय चार विधायक शामिल हैं. बसपा प्रमुख द्वारा पार्टी विधायक रामबाई को निलंबित करने के बाद अब यह आंकड़ा 120 हो गया है. वहीं, राज्य में बीजेपी के पास 108 विधायक हैं. ऐसे में अगर बीजेपी कुछ अन्य विधायकों का समर्थन लेने में सफल हो जाती है तो यह राज्य की मौजूदा कांग्रेस सरकार के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है