ग्वालियर स्मार्ट सिटी के रूप में विश्व मानचित्र पर उभरेगा – श्रीमंत सिंधिया ग्वालियर स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन के कार्यों का किया लोकार्पण

 



 

     पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर शहर एक नवरत्न के रूप में है। इसका स्मार्ट सिटी के रूप में और निखार हो। जिससे ग्वालियर देश का ही नहीं बल्कि विश्व के मानचित्र पर उभर सके। पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया शुक्रवार को मोतीमहल परिसर में ग्वालियर स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कार्यों के लोकार्पण समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
   समारोह में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, विधायक श्री मुन्नालाल गोयल, शहर कांग्रेस जिला अध्यक्ष श्री देवेन्द्र शर्मा, ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष श्री मोहन सिंह राठौर, आयुक्त ग्वालियर संभाग श्री एम बी ओझा, कलेक्टर श्री अनुराग चौधरी, पुलिस अधीक्षक श्री नवनीत भसीन, आयुक्त नगर निगम श्री संदीप माकिन, स्मार्ट सिटी के सीईओ श्री महिप तेजस्वी एवं श्री कृष्णराव दीक्षित मंचासीन थे।
   श्रीमंत सिंधिया ने समारोह में 30.86 करोड़ की लागत से निर्मित एकीकृत कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेंटर, मोतीमहल प्रवेश द्वार का लोकार्पण कर एक करोड़ 8 लाख रूपए की लागत की सात नवीन बसें जनता को समर्पित कीं। इस दौरान 53 करोड़ की लागत के आरटीएसएस एवं 53 लाख की लागत के सेल्फी प्वॉइंट का शिलान्यास कर नगर निगम द्वारा ऑटोमेटेड मैकेनाइज्ड पजल पार्किंग का भी लोकार्पण किया।
   श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ग्वालियर का इतिहास एक संग्रहालय के रूप में रहा है जो किसी भी शहर में देखने को नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर में विभिन्न समाज के शासकों ने दस्तक दी, जिसमें तोमर वंश, मुगल सम्राट, मराठा सम्राट, जाट सम्राट शामिल है, जो देश में कहीं देखने को नहीं मिलती। ग्वालियर मिनी गुलदस्ता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर में आर्किटेक्चर भी ऐतिहासिक रहा है। ग्वालियर में मानसिंह का किला, गूजरी महल, दक्षिण वास्तुकला का तेली का मंदिर, सास बहू का मंदिर और किले पर दाताबंदी गुरूद्वारा भी स्थित है। इसके साथ ही गोरखी का मंदिर, मोतीमहल, जयविलास पैलेस, ऊषा किरण पैलेस में सिंधिया वंश की छाप देखने को मिलती है।
   पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत सिंधिया ने कहा कि शहर के नागरिकों का दायित्व है कि ग्वालियर की संस्कृति व आर्किट्रेक्चर का हम संरक्षण एवं संवर्धन करें, जो भावी पीढ़ी के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि सिंधिया राजवंश ने सबसे पहले गोरखी, मोतीमहल और जयविलास का निर्माण किया। बाद में मोतीमहल को शासकीय कार्यालयों के लिए दे दिया गया। उन्होंने कहा कि मोतीमहल जो धीरे-धीरे अपना वैभव खो रहा है, इस धरोहर को स्मार्ट सिटी एवं जिला प्रशासन के सहयोग से आधुनिक बनाकर जनता को समर्पित किया है।
   उन्होंने कहा कि ग्वालियरवासियो को आज र्स्माट सिटी के रूप में शहर के यातायात को नियंत्रण करने हेतु नई तकनीकी के रूप में लाल, पीली एवं हरी लाईटें सड़कों पर दिखाई देंगीं। कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेंटर का लोकार्पण होने से केन्द्र में लगे सीसीटीव्ही कैमरों के माध्यम से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पर भी नजर रखी जा सकेगी। उन्होंने नागरिकों से कहा कि अच्छा कार्य होने पर प्रासनिक अधिकारियों का भी उत्साहवर्धन भी करें।
   श्रीमंत सिंधिया ने कहा कि कैलाशवासी माधवराव सिंधिया का सपना था कि ग्वालियर का निखार हो। उन्होंने पहली बार सांसद बनने पर उन्होंने ग्वालियर किले का जीर्णोद्धार कर अभिनेता अमिताभ बच्चन की आवाज में लाईट एण्ड साउण्ड म्यूजिक जनता को समर्पित की। उन्होने शिवपुरी और चंदेरी में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु कई कार्य किए। 



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