भाेपाल / विशेष अदालत का फैसला- एमपी नगर में 200 करोड़ की जमीन के फर्जी पट्टे बनाने वाले को उम्रकैद

  • 17 साल पुराने केस में 9 अन्य को भी सजा, सभी आरोपियों को सेंट्रल जेल भेजा गया

  • राजस्व विभाग की जमीन को फर्जी नोटशीट बनाकर कर दिया आरापियों के नाम

    कलेक्टोरेट में भृत्य था बाबूलाल के लिए इमेज नतीजेभोपाल . विशेष अदालत ने एमपी नगर में गुरुदेव गुप्त तिराहे के पास खाली 200 करोड़ की जमीन के फर्जी पट्टे तैयार करने, राजस्व रिकाॅर्ड में हेराफेरी करने और फर्जी नोटशीट तैयार करने के 17 साल पुराने मामले के मुख्य आरोपी बाबूलाल सुनहरे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मामले में शामिल अन्य 9 आरोपियों को भी अलग-अलग अवधि के कारावास की सजा सुनाई। सजा सुनाने के बाद सभी आरोपियों को हिरासत में लेकर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। 


    शनिवार को विशेष न्यायाधीश संजीव पाण्डेय ने मास्टर माइंड बाबूलाल सुनहरे को उम्रकैद व 4 लाख जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपी संजीव बिसारिया, उनकी मां माया बिसारिया और बहनों अमिता, अल्पना व प्रीति बिसारिया के अलावा शैलेंद्र जैन को दस साल की जेल और 3-3 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने सावित्री बाई और अदालत में कर्मचारी रहीं रूपश्री जैन को 7-7 साल जेल और तीन लाख जुर्माना तथा मोहम्मद अनवर को पांच साल और एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपी रवींद्र बाथम को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।


    कलेक्टोरेट में भृत्य था बाबूलाल
    2003-2007 के बीच बाबूलाल कलेक्टोरेट में भृत्य था। इस दौरान उसने राजस्व भूमि के मामलों में फर्जी पट्टे तैयार किए और राजस्व विभाग की फर्जी नोटशीट तैयार कर करोड़ों की संपत्ति आरोपियों के नाम करने में मदद की। बाबूलाल ने सरकारी जमीनों के फर्जी पट्टे तैयार कर नामांतरण कराने के लिए फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराए और शासन काे करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। आरोपियों ने अदालत में चल रहे सिविल के मामलों में कॉपिंग सेक्शन में पदस्थ कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज को असल के तौर पर फाइलों में लगवाकर उनकी सर्टिफाइड कॉपी निकलवा लीं। अदालत की सर्टिफाइड कॉपी को बाद में दूसरे केसों में असल दस्तावेजों के तौर पर पेश किया गया।तत्कालीन जिला जज रेणु शर्मा की शिकायत पर दर्ज हुआ था केस
    तत्कालीन जिला जज रेणु शर्मा के मुताबिक सिविल केसों में फर्जी दस्तावेज और पट्टे पेश कर सर्टिफाइड कॉपियां निकलवाने की बात सामने आई थी। उन्होंने ईओडब्ल्यू में शिकायत की। इस पर ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज कर जांच की थी। इसमें राजस्व न्यायालय के कर्मचारी, सिविल कोर्ट के कर्मचारी और पक्षकारों के अधिवक्ता की भूमिका भी सामने आई थी।

  • विवाद के कारण निगम को वापस लेना पड़ी थी पार्क की योजना
    एमपी नगर के डेवलपमेंट के समय यहां पर एक पार्क हुआ करता था, जो देखरेख के अभाव में खत्म हो गया। नगर निगम ने इस जमीन पर प्रोजेक्ट अमृत के तहत एक पार्क तैयार करने की योजना बनाई थी। लेकिन विवाद के कारण इसे वापस लेना पड़ा था। निगमायुक्त बी विजय दत्ता ने कहा कि यहां एक सिटी पार्क डेवलप करने की योजना दोबारा बनाई जा सकती है।

    उर्दू में था मूल दस्तावेज




  • जिस खसरा नंबर पर फर्जीवाड़े का प्लान तैयार किया गया था उसका मूल दस्तावेज उर्दू में था। इसमें खसरा नंबर पर महकमा म्युनिसिपल बोर्ड दर्ज था। महिला ने अनुवाद करते समय मेंगूलाल लिख दिया था। सावित्री बाई ने जमीन पर अपना कब्जा यह कहते हुए पेश कर दिया था कि उसे मेंगूलाल की वसीयत से यह जमीन मिली है। 


     


     








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